Scorpene Submarines: समंदर में बढ़ेगी भारतीय नौसेना की ताकत, मिलेंगी तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां, 36,000 करोड़ रुपये की डील को दी मंजूरी

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By News Desk

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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Scorpene Submarines: भारतीय नौसेना ने सरकारी कंपनी मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड (MDL) के साथ तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद के लिए 36,000 करोड़ रुपये से अधिक का सौदा अंतिम रूप दे दिया है। इस सौदे पर इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक, 31 मार्च से पहले रक्षा मंत्रालय और एमडीएल के बीत दस्तखत किए जाने की उम्मीद है।

Scorpene Submarines: Indian Navy to Get 3 More Scorpene Subs in Rs 36,000 Cr Deal

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यह डील ऐसे समय में फाइनल की गई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह फ्रांस के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समिट में हिस्सा लेने के लिए रवाना हो रहे हैं।

डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, 36,000 करोड़ रुपये से अधिक की इस डील (Scorpene Submarines) में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) सिस्टम की लागत शामिल नहीं है। AIP सिस्टम से पनडुब्बियों की पानी के नीचे रहने की क्षमता बढ़ जाती है, जिससे मिलिट्री ऑपरेशंस के दौरान पानी के नीचे लंबे समय तक रहने में मदद मिलती है।

नौसेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि नई स्कॉर्पीन पनडुब्बियों (Scorpene Submarines) में 60 प्रतिशत स्वदेशी में बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाएगा, जो पहले से निर्मित छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के मुकाबले दोगुना है। पहले ये पनडुब्बियां फ्रांसीसी रक्षा कंपनी नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाई गई थीं। इसके अलावा, इन तीन नई पनडुब्बियों के डिजाइन में भी कुछ बदलाव किए जाएंगे और ये ब्राजीलियन नेवी को सप्लाई की जा रहीं स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के समान होंगी, जिसके चलते इनका साइज भी पहले की छह पनडुब्बियों से थोड़ा बड़ा होगा।

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यह पूछने पर कि इन तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों (Scorpene Submarines) की कीमत इतनी ज्यादा क्यों है, तो सूत्रों ने बताया कि यह सबसे अच्छा सौदा है जो बातचीत के बाद तय किया गया। इनमें अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया जाएगा, जिससे उत्पादन लागत बढ़ी है। पहले छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की कुल लागत लगभग 36,000 करोड़ रुपये है, जिसमें लागत में बढ़ोतरी (cost escalation) भी शामिल है। मूल रूप से यह सौदा 21,000 करोड़ रुपये में तय हुआ था।

सूत्रों के मुताबिक, तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए एमडीएल द्वारा दी गई शुरुआती कीमत इतनी अधिक थी कि भारतीय नौसेना को प्रस्ताव वापस भेजना पड़ा। हालांकि, दूसरी बार दी गई कीमत भी नौसेना की उम्मीद से ज्यादा थी, लेकिन बातचीत के बाद इसे मौजूदा राशि तक घटाया गया।

दरअसल, भारतीय नौसेना के पास शुरुआत में तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों को खरीदने की कोई योजना नहीं थी। लेकिन प्रोजेक्ट-75 इंडिया में देरी के चलते इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया गया। इस प्रोजेक्ट के तहत नौसेना को AIP सिस्टम वाली छह नई पनडुब्बियां मिलनी थीं।

वहीं, परंपरागत डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के अलावा भारतीय नौसेना की योजना 2036-37 तक अपनी पहली पूरी तरह स्वदेशी डिजाइन वाली न्यूक्लियर अटैक पनडुब्बी (SSN) को कमीशन करने की है, जबकि दूसरी न्यूक्लियर अटैक पनडुब्बी इसके दो साल बाद तैयार होगी।

हालांकि भारत के पास परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBN) के लिए अलग कार्यक्रम है। इन पनडुब्बियों के लिए फंडिंग भी अलग व्यवस्था के तहत होती है और ये स्ट्रेटेजिक फोर्सेज कमांड (Strategic Forces Command – SFC) के तहत ऑपरेट होती हैं।

जहां चीन और पाकिस्तान अपनी पनडुब्बी और नौसेना ताकत को तेजी से बढ़ा रहे हैं, वहीं भारत भी अपनी नौसैनिक शक्ति को मजबूती देने के लिए लगातार प्रयासरत है। तीन नई स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के जुड़ने से भारतीय नौसेना की पनडुब्बी बेड़े की ताकत में खासा इजाफा होगा। इस डील से खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत की समुद्री रणनीति को और मजबूत मिलेगी।

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