📍नई दिल्ली | 2 months ago
HAL LUH: भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुक्रवार को सेना मुख्यालय में एक उच्च-स्तरीय बैठक की, जिसमें लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) प्रोजेक्ट में हो रही देरी पर चर्चा की गई। सेना की योजना है कि पुराने पड़ चुके चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों की जगह LUH को भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया जाए। बैठक में इस बात पर फोकस किया गया कि क्या हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) के उत्पादन में तेजी ला सकता है या फिर सेना को विकल्पों की और देखना होगा।
Cheetah और Chetak हेलीकॉप्टरों की उम्र पूरी
भारतीय सेना के पास वर्तमान में 130 से अधिक चेतक और चीता हेलीकॉप्टर हैं। ये हेलीकॉप्टर ऊंचाई वाले इलाकों और दुर्गम क्षेत्रों में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं। ये हेलीकॉप्टर अपनी निर्धारित सेवा अवधि पूरी कर चुके हैं। लेकिन अब इनकी मेंटेनेंस मुश्किल होती जा रही है और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। इस वजह से सेना के पास अब विकल्प हैं कि या तो इन हेलीकॉप्टरों के सर्विस लाइफ को जबरदस्ती बढ़ाया जाए या फिर तत्काल नई खरीद की प्रक्रिया अपनाई जाए।
इन पुराने पड़ चुके हेलीकॉप्टरों की विश्वसनीयता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, पुरानी तकनीक वाले हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल जारी रखना काफी जोखिम भरा है, क्योंकि इन्हें ऑपरेट करना बेहद खतरा भरा है। सेना को जल्द से जल्द एक भरोसेमंद हल्के हेलीकॉप्टर की जरूरत है, जिससे उसकी ऑपरेशनल क्षमताओं में कोई कमी न आए।
इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल ऊंचाई वाले इलाकों में सैनिकों की तैनाती, घायलों को निकालने, निगरानी मिशनों और राशन सप्लाई के लिए किया जाता है। लेकिन बढ़ती तकनीकी चुनौतियों और स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण सेना अब इन्हें बनाए रखना मुश्किल पा रही है। इसी वजह से भारतीय सेना जल्द से जल्द इनके बदले नए हेलीकॉप्टरों की तैनाती चाहती है।
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LUH परियोजना में क्यों हो रही देरी?
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बनाए लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) को सेना की जरूरतों के अनुसार बनाया गया है। यह 3 टन वजनी एक इंजन वाला हेलीकॉप्टर है, जिसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी सर्विस सीलिंग 6.5 किमी है और यह 260 किमी/घंटे की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकता है। यह ग्लास कॉकपिट, क्रैश-रेसिस्टेंट फ्यूल टैंक और दूसरी आधुनिक सुविधाओं से लैस है।
हालांकि, 2020 में ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सफल परीक्षण और 2021 में इनिशियल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (IOC) मिलने के बावजूद, ऑटोपायलट सिस्टम में आई दिक्कतों के चलते से इसकी डिलीवरी में देरी हो रही है। अब तक, अनुमान था कि इसकी डिलीवरी 2024 तक शुरू हो जाएगी, लेकिन ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब इसे कम से कम 2025 के मध्य तक टाला जा सकता है।
ध्रुव हेलीकॉप्टर हादसों ने घटाया सेना का भरोसा
भारतीय सेना की हेलीकॉप्टर जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन HAL की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। ध्रुव हेलीकॉप्टर बेड़े को हाल ही में कई दुर्घटनाओं के बाद ग्राउंडेड कर दिया गया था। 2023 में कई दुर्घटनाओं के बाद, 5 जनवरी 2025 को हुए एक और हादसे के बाद HAL पर भरोसा कम हुआ है। हालांकि, LUH को अब तक इस तरह की दुर्घटनाओं का सामना नहीं करना पड़ा है, लेकिन सेना सतर्क बनी हुई है।
यहां तक कि पिछले महीने फरवरी में Aero India 2025 में, भारतीय सेना के टॉप अधिकारियों ने LUH की डेमो फ्लाइट में बैठने से इनकार कर दिया था। इसके बजाय, उन्होंने इसे केवल ग्राउंड टेस्टिंग के जरिए जांचा। लेकिन एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने इसकी डेमो फ्लाइट ली थी और एचएएल पर भरोसा जताया था।
सेना के सामने क्या हैं विकल्प
पहला विकल्प यह है कि HAL को एलयूएच के प्रोडक्शन में तेजी लाने को कहा जाए ताकि जल्द से जल्द जरूरी हेलीकॉप्टर सेना को उपलब्ध कराए जा सकें। इसके लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाने और जरूरी रिसोर्सेज देने पर जोर दिया जा सकता है।
दूसरा विकल्प हेलीकॉप्टरों की लीजिंग का है। यदि LUH की मैन्युफैक्चरिंग में और देरी होती है, तो सेना अस्थायी रूप से निजी कंपनियों या अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं से हेलीकॉप्टर किराए पर लेने पर विचार कर सकती है। इससे तत्काल जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा और सेना के अभियानों में कोई रुकावट नहीं आएगी।
तीसरा विकल्प Cheetah और Chetak हेलीकॉप्टरों का सीमित अपग्रेड हो सकता है। सेना इन पुराने हेलीकॉप्टरों के कुछ हिस्सों को अपग्रेड कर उनकी कार्यक्षमता को बनाए रखने की कोशिश कर सकती है। हालांकि, यह एक अस्थायी समाधान ही होगा क्योंकि ये हेलीकॉप्टर अपनी टेक्निकल एज पूरी कर चुके हैं और इनका लंबे समय तक सर्विस में बने रहना संभव नहीं होगा।
भारतीय सेना के लिए क्यों LUH क्यों है जरूरी?
भारतीय सेना ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे लद्दाख, सियाचिन और उत्तर-पूर्वी भारत में तैनात रहती है, जहां पारंपरिक हेलीकॉप्टरों का ऑपरेशन मुश्किल हो जाता है। LUH को विशेष रूप से इन क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती, निगरानी, आपातकालीन चिकित्सा निकासी (MEDEVAC) और रसद आपूर्ति के लिए तैयार किया गया है। अगर इसका उत्पादन और तैनाती में देरी होती है, तो यह भारत की ऑपरेशनल तैयारियों पर असर डाल सकता है, खासकर जब भारत को दो मोर्चों पाकिस्तान और चीन से खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
क्या विदेशी हेलीकॉप्टर हो सकते हैं विकल्प?
अगर HAL समय पर LUH की डिलीवरी देने में फेल होता है, तो भारतीय सेना को मजबूरन विदेशी हेलीकॉप्टरों का रुख करना पड़ सकता है। भारत के पास पहले से ही अमेरिकी अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर हैं, लेकिन छोटे और हल्के हेलीकॉप्टरों के लिए अन्य देशों से मदद लेने की जरूरत पड़ सकती है। फ्रांस, अमेरिका और रूस जैसे देशों से भारत हल्के हेलीकॉप्टर खरीद सकता है, लेकिन इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को झटका लग सकता है, क्योंकि भारत स्वदेशी उत्पादन पर अधिक जोर दे रहा है।
दूसरी तरफ रक्षा मंत्रालय (MoD) को भी यह तय करना होगा कि क्या LUH के अतिरिक्त 200 से ज्यादा हेलीकॉप्टरों का निर्माण निजी क्षेत्र को दिया जाए या HAL को ही पूरा ऑर्डर मिले। अगले कुछ महीनों में इस संकट के हल होने की उम्मीद है, लेकिन अगर यह और बढ़ता है, तो सेना को अन्य विकल्पों की तलाश करनी होगी।