Explainer Indian Army Promotion Policy: भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल बनने के लिए क्या है नई प्रमोशन पॉलिसी, क्यों हो रहा हैं इस पर विवाद? जानें

Kindly Promote Us:

📍नई दिल्ली | 3 months ago

Explainer Indian Army Promotion Policy: भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की प्रमोशन प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। नई प्रमोशन नीति के तहत भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल बनने के लिए अब केवल वरिष्ठता ही नहीं, बल्कि ग्रेडिंग भी अहम होगी। 31 मार्च 2025 से लागू होने वाली इस नई नीति के तहत लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर 1 से 9 तक की स्केल में मापा जाएगा। इससे सेना में मेरिट-आधारित चयन प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा। यह प्रणाली सेना के शीर्ष अधिकारियों की जिम्मेदारियों को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए तैयार की गई है। इससे पहले यह नीति भारतीय वायुसेना और नौसेना में पहले से ही लागू है।

Explainer Indian Army Promotion Policy: Merit-Based Changes for Lieutenant Generals, Why the Controversy?
Credit: Indian Army
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Explainer Indian Army Promotion Policy: क्या है नई प्रणाली में खास?

भारतीय सेना इस समय बदलाव के दौर से गुजर रही है। भारतीय सेना में मॉर्डेनाइजेशन के साथ स्ट्रक्चर में जरूरी बदलाव भी किए जा रहे हैं। सेना की प्रमोशन पॉलिसी में लगातार बदलाव देखे जा रहे हैं। वहीं अब नया बदलाव सेना में वरिष्ठ अधिकारियों के प्रमोशन लेकर हुआ है।

अब तक भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल रैंक तक प्रमोशन वरिष्ठता के आधार पर होता था। लेकिन नई प्रणाली में प्रदर्शन को प्राथमिकता दी जाएगी। अधिकारियों को उनकी वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में 1 से 9 के स्केल पर ग्रेडिंग दी जाएगी। इस ग्रेडिंग का सीधा असर उनकी प्रमोशन और भविष्य की जिम्मेदारियों पर पड़ेगा। भारतीय वायुसेना और नौसेना में पहले से ही यह प्रणाली लागू है और अब सेना ने इसे अपनाने का फैसला किया है।

सेना में 90 लेफ्टिनेंट जनरल, 300 मेजर जनरल और 1,200 ब्रिगेडियर

सूत्रों का कहना है  कि इस बदलाव का उद्देश्य है सेना के शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता देना। यह नई पॉलिसी थियेटर कमांड्स और ट्राई-सर्विस (सेना, नौसेना, और वायुसेना) के वरिष्ठ पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति में मदद करेगी।

लेफ्टिनेंट जनरल रैंक भारतीय सेना में थ्री-स्टार रैंक का पद होता है। भारतीय सेना के 11 लाख जवानों में लगभग 90 लेफ्टिनेंट जनरल, 300 मेजर जनरल और 1,200 ब्रिगेडियर हैं। लेफ्टिनेंट जनरल बनने के बाद अधिकारी को कोर कमांडर या आर्मी कमांडर जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलती हैं। अब नई प्रणाली के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल योग्य और बेहतर प्रदर्शन करने वाले अधिकारी ही इन पदों पर पहुंचें। क्योंकि अभी तक इन पदों पर सीनियरिटी के आधार पर ही पहुंच पाते थे।

थिएटर कमांड पर है फोकस

भारतीय सेना में थिएटर कमांड्स की योजना के मद्देनजर यह नई प्रणाली लागू की जा रही है। यह कमांड्स भारत की तीन प्रमुख सीमाओं- चीन, पाकिस्तान और हिंद महासागर क्षेत्र पर केंद्रित होंगी। चीन-विशेष थिएटर कमांड लखनऊ में, पाकिस्तान-विशेष थिएटर कमांड जयपुर में और समुद्री थिएटर कमांड तिरुवनंतपुरम में बनाया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल के मध्य तक थिएटर कमांड्स बनाने का काम पूरा हो जाएगा। इन थिएटर कमांड्स का उद्देश्य भारतीय सेना को एकीकृत और अधिक प्रभावी युद्धक क्षमता प्रदान करना है।

नई प्रमोशन नीति से सेना में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ने की उम्मीद है। अब तक वरिष्ठता के आधार पर अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी जाती थीं। लेकिन नई प्रणाली में ग्रेडिंग के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सही अधिकारी को सही पद पर नियुक्त किया जाए। इससे न केवल सेना की कार्यकुशलता में सुधार होगा, बल्कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सेना को बेहतर तरीके से तैयार किया जा सकेगा।

Explainer Army Day: जानें इस साल 15 जनवरी को किस शहर में मनाया जाएगा आर्मी डे, क्या है सेना दिवस मनाने की परंपरा?

नई नीति की क्यों हो रही आलोचना

हालांकि सेना के इस कदम को सुधारवादी बताया जा रहा है, लेकिन इसने विवाद भी खड़े कर दिए हैं। वर्तमान में, लेफ्टिनेंट जनरल रैंक तक प्रमोशन के लिए वरिष्ठता का आधार जन्मतिथि और नियुक्ति की तिथि होती है। लेकिन नई पॉलिसी में मेरिट को प्राथमिकता देने से संभावित राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ सकता है।

नई नीति के लागू होने के साथ ही विवाद भी शुरू हो गए हैं। नई प्रणाली में प्रदर्शन को प्राथमिकता देने से प्रतिस्पर्धा और दबाव बढ़ सकता है। कुछ अधिकारियों को यह भी डर है कि ग्रेडिंग प्रणाली में भेदभाव या पक्षपात हो सकता है।

कई अधिकारियों ने इस पॉलिसी पर चिंता जताई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “थ्री-स्टार जनरल बनने के लिए पहले ही कई स्तरों पर मेरिट के आधार पर प्रमोशन मिलता है। इस नई प्रणाली से गैरजरूरी हस्तक्षेप की संभावना बढ़ जाएगी।”

रिटायर्ड मेजर जनरल राजू चौहान का कहना है कि नई नीति से अधिकारियों के प्रदर्शन को सम्मान मिलेगा। हालांकि, इससे संभावित पक्षपात और विवाद का खतरा भी है।

वहीं, पूर्व रक्षा विशेषज्ञ मन अमन सिंह छिन्ना का मानना है कि सेना को ब्रिगेडियर से लेकर लेफ्टिनेंट जनरल तक प्रो-राटा सिस्टम को खत्म कर देना चाहिए और पूरी तरह से मेरिट-आधारित चयन करना चाहिए।

जबकि रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों उसके पक्ष में हैं, उनके अनुसार, “यह नीति उन अधिकारियों का सम्मान करेगी जो वर्तमान में अपनी रैंक पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले प्रमोशन की प्रक्रिया किसी की जन्म तिथि या 38 साल पहले की अकादमी की रैंकिंग पर निर्भर करती थी।”

सेना में लेफ्टिनेंट जनरल बनने के बाद अधिकारी को आर्मी कमांडर या वाइस चीफ बनने के लिए वरिष्ठता और रेसिड्यूल सर्विस के आधार पर चुना जाता है। लेकिन ग्रेडिंग प्रणाली यह सुनिश्चित करेगी कि सही व्यक्ति को जिम्मेदारी मिले।

Army Junior Officers: सरकार ने माना, सेना में कुछ सीनियर अफसर जूनियर अफसरों के साथ कर रहे हैं दुर्व्यवहार

सैनिक कमांडर और वाइस चीफ पर लागू नहीं होगी यह नीति

सेना के उप-प्रमुख और सात कमांडर-इन-चीफ (C-in-C) इस नई नीति के दायरे में नहीं आएंगे। इन पदों पर नियुक्ति अभी भी वरिष्ठता के आधार पर होगी। लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर पहुंचने के बाद, अधिकारी को कोर कमांडर बनाने के लिए उनकी ग्रेडिंग और प्रदर्शन देखा जाएगा। आर्मी कमांडर का पद भी लेफ्टिनेंट जनरल को मिलता है। ग्रेडिंग प्रणाली से यह तय किया जाएगा कि कौन-से अधिकारी आर्मी कमांडर बनने के योग्य हैं।

ग्रेडिंग प्रणाली और थिएटर कमांड्स की योजना सेना को आधुनिक और प्रभावी बनाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस नीति की सफलता इसके निष्पक्ष और कुशल कार्यान्वयन पर निर्भर करेगी। नई प्रणाली का उद्देश्य सेना को पारदर्शिता, योग्यता और आधुनिकता की ओर ले जाना है, जो इसे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगी।

हालांकि, इस प्रणाली को लागू करने में कई चुनौतियां भी हैं। ग्रेडिंग प्रणाली में भेदभाव की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। अधिकारियों पर प्रदर्शन करने का अतिरिक्त दबाव भी होगा। इसके अलावा, राजनीतिक हस्तक्षेप और पक्षपात की संभावनाएं भी मौजूद हैं।

Kindly Promote Us:
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Comment

Share on WhatsApp