📍नई दिल्ली | 2 months ago
Delhi-Dhaka Tensions: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने बता दिया है कि एशिया में भारत की भूमिका अभी भी उसके लिए काफी अहम है। वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा था, “बांग्लादेश का मामला मैं प्रधानमंत्री मोदी पर छोड़ रहा हूं।” वहीं ट्रप के इस बयान के दो दिन बाद ही बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर जोरदार हमला बोला। हमला भी ऐसा बोला कि उन्होंने युनूस सरकार को आतंकवादियों की सरकार बता डाला।
Delhi-Dhaka Tensions: पीएम मोदी को दी कमान!
पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पांच साल बाद हुई मुलाकात कई मायनों में अहम है। दोनों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान एक रिपोर्टर ने ट्रंप से पूछा कि कुछ जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में हुए सत्ता परिवर्तन के पीछे अमेरिका के डीप स्टेट (Deep State) का हाथ था। रिपोर्टर ने पूछा कि क्या पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार ने बांग्लादेश में सत्ता पलट में कोई भूमिका निभाई थी और मुहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त किया था?
इस सवाल के जवाब में राष्ट्रपति ट्रंप ने जो कहा वह वाकई चौंकाने वाला था। ट्रंप ने अमेरिकी डीप स्टेट की किसी भी भूमिका से साफ इनकार करते हुए कहा, “यह कुछ ऐसा है जिस पर प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से काम कर रहे हैं। ईमानदारी से कहूं तो मैं इस बारे में पढ़ता रहा हूं। मैं बांग्लादेश को प्रधानमंत्री मोदी पर छोड़ता हूं।”
हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने सीधे तौर पर यह स्पष्ट नहीं किया कि अमेरिका भविष्य में बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति में कोई भूमिका निभाएगा या नहीं। लेकिन उनके बयान से यह संकेत जरूर मिला कि अब अमेरिका इस मामले में दखल देने के मूड में नहीं है। वहीं, अमेरिका के इस रुख से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, कट्टरपंथी इस्लामी गुटों और पाकिस्तान की रणनीति पर असर पड़ सकता है। ट्रंप के इस बयान को भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अमेरिका का यह स्पष्ट संकेत है कि वह अब बांग्लादेश के मामलों में सीधा हस्तक्षेप नहीं करेगा और भारत को अपनी पूर्वी सीमा पर खुद फैसला लेने की पूरी छूट होगी।
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सूत्रों के मुताबिक, मोदी और ट्रंप ने बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक बदलाव को लेकर विस्तार से चर्चा की थी। मोदी ने ट्रंप को बताया कि कैसे शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद कट्टरपंथी ताकतें बांग्लादेश में बढ़ रही हैं और पाकिस्तान वहां अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
Delhi-Dhaka Tensions: पाकिस्तान और बांग्लादेश पर बढ़ा दबाव
मेरठ कॉलेज में डिफेंस स्टडीज और इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद रिजवान कहते हैं कि अमेरिका लंबे समय से यह मानता आया है कि दक्षिण एशिया में भारत की भूमिका सबसे अहम है। पूरे क्षेत्र में अगर कोई स्थिर और जिम्मेदार लोकतंत्र है, तो वह भारत ही है। इसके विपरीत, भारत के पड़ोस में अलोकतांत्रिक व्यवस्थाएं, सत्तावादी शासन और अस्थिरता देखने को मिलती है। ऐसे में जब डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश के मामलों को भारत के हवाले करने की बात कही, तो यह न सिर्फ ढाका के लिए बल्कि इस्लामाबाद के लिए भी एक बड़ा झटका था। जो बाइडेन के कार्यकाल में यह आशंका जताई जा रही थी कि अमेरिकी डीप स्टेट, पाकिस्तान के गुप्त नेटवर्क के जरिए बांग्लादेश में अस्थिरता फैला रहा था।
बाइडेन प्रशासन के दौरान बांग्लादेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों, मुजीबुर्रहमान की मूर्तियों के अपमान और हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर कई रिपोर्टें सामने आई थीं। मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, अब तक 1500 से अधिक हिंदुओं की हत्या की जा चुकी है, और यह सिलसिला अभी भी जारी है।
प्रोफेसर रिजवान के मुतााबिक, ट्रंप का यह बयान बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि अमेरिका अब इस क्षेत्र में भारत को नेतृत्व की भूमिका देना चाहता है। इससे भारत को दक्षिण एशिया में अपनी स्थिति और मजबूत करने का अवसर मिलेगा और वह इस क्षेत्र में जारी उथल-पुथल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाएगा। ट्रंप के इस बयान के बाद भारत के पास अब दक्षिण एशिया की राजनीति को अपने पक्ष में मोड़ने का एक सुनहरा मौका है। अमेरिका का समर्थन मिलने के बाद भारत को बांग्लादेश, पाकिस्तान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी नीतियों को और आक्रामक बनाने का अवसर मिल सकता है।
शेख हसीना का कड़ा पलटवार: “मैं आतंकियों की सरकार को उखाड़ फेंकूंगी!”
ट्रंप के बयान के दो दिन बाद ही बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने समर्थकों वर्चुअली संबोधित करते हुए मोहम्मद यूनुस सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश वापस जाना मेरी प्राथमिकता है, और मैं सुनिश्चित करूंगी कि आतंकियों की सरकार को उखाड़ फेंका जाए।”
उन्होंने कहा, “यूनुस ने सत्ता में आते ही सभी जांच समितियों को भंग कर दिया और आतंकियों को खुली छूट दे दी। अब निर्दोष लोगों की हत्याएं हो रही हैं, और बांग्लादेश बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। लेकिन हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे – हम इस आतंकवादी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। इंशाअल्लाह!”
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शेख हसीना ने यह भी कहा कि वह हर उस परिवार के साथ खड़ी हैं, जिन्होंने इस राजनीतिक उथल-पुथल में अपनों को खोया है। उन्होंने कहा, “मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि सभी हत्यारे कानून का सामना करें। मैं वापस आऊंगी, और यही कारण है कि शायद अल्लाह ने मुझे अब तक जिंदा रखा है।” हसीना ने यह भी दावा किया कि पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई थी। उन्होंने जोर देकर कहा, “अगर उन शवों का अब भी पोस्टमार्टम किया जाए, तो सच सामने आ जाएगा।”
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यूनुस सरकार आतंकवादियों और बाहरी ताकतों के इशारों पर काम कर रही है और उनका एक ही उद्देश्य है – बांग्लादेश को अस्थिर करना और भारत के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलना। “अगर आज बांग्लादेश में मोदी सरकार की भूमिका बढ़ रही है, तो यह इसलिए है क्योंकि यूनुस और उनके समर्थकों ने देश को पाकिस्तान के करीब ले जाने की कोशिश की।” शेख हसीना ने साफ कहा कि वह जल्द बांग्लादेश लौटेंगी और अपने समर्थकों के साथ मिलकर लोकतंत्र की वापसी के लिए संघर्ष करेंगी।
ट्रंप के इस बयान का एक और बड़ा असर यह हुआ कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और अवामी लीग को एक नई ताकत मिली है। बीएनपी लंबे समय से यह मांग कर रही थी कि बांग्लादेश में जल्द से जल्द संसदीय चुनाव कराए जाएं। लेकिन मोहम्मद यूनुस और उनकी सरकार चुनावों को टालने के लिए विभिन्न बहाने बना रहे हैं। यूनुस सरकार का कहना है कि पहले न्यायपालिका, पुलिस और प्रशासन में सुधार होने चाहिए, फिर चुनाव कराए जाएंगे।
अमेरिका ने 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग रोकी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से लौटे के ठीक बाद ही ट्रंप प्रशासन ने एक चौंकाने वाला फैसला किया। ट्रंप ने बांग्लादेश के लिए दी जाने वाली 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग को भी रोक दिया। यह फंडिंग अब तक USAID (United States Agency for International Development) और UK के DFID (Department for International Development) के जरिए बांग्लादेश को दी जा रही थी। माना जाता है कि यह फंड यूनुस सरकार और कुछ इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों को आर्थिक मदद देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। इसी वजह से भारत ने अमेरिका से मांग की थी कि इस फंडिंग को रोक दिया जाए। ट्रंप प्रशासन ने इस मांग को स्वीकार करते हुए यूनुस सरकार को बड़ा झटका दिया है। साथ ही, ट्रंप ने यह साफ कर दिया है कि उनका बांग्लादेश में कोई इंट्रेस्ट नहीं है और साथ ही मदद देने का भी कोई इरादा नहीं है। अमेरिका के इस कदम के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि यूनुस सरकार का अस्तित्व कितने दिनों तक बना रहेगा?
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भारत के खिलाफ फंडिंग का इस्तेमाल
भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को मान्यता नहीं देगा और केवल एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के साथ ही बातचीत करेगा। इसके विपरीत, पाकिस्तान और तुर्किये यूनुस सरकार का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। पाकिस्तान इस स्थिति का फायदा उठाकर बांग्लादेश में कट्टरपंथी संगठनों को मजबूत करने और भारत के पूर्वोत्तर में अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, यूनुस सरकार पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत विरोधी समूहों को आर्थिक और सैन्य मदद देने की योजना बना रही थी। लेकिन अब जब अमेरिका ने खुद को पीछे कर लिया है और भारत को ‘फ्री हैंड’ दे दिया है, तो यूनुस सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं।