China Radar: भारत के मिसाइल कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए चीन ने लगाया पावरफुल रडार, 5,000 किलोमीटर तक है रेंज

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 2 months ago

China Radar: चीन ने हाल ही में म्यांमार के नजदीक अपने युन्नान प्रांत में एक नया रडार स्टेशन स्थापित किया है। चीन ने यह नया ‘लार्ज फेज्ड अर्रे रडार’ (LPAR) सिस्टम भारत के बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम पर नजर रखेगा। चीन इस रडार की मदद से बैलिस्टिक मिसाइलों की ट्रायल्स को ट्रैक करने में मदद करेगा। इस रडार की रेंज लगभग 5,000 किलोमीटर तक बताई जा रही है। इस रडार की मदद से चीन न केवल भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) बल्कि भारत के कई हिस्सों तक अपनी पहुंच बना सकता है।

China Radar: Powerful Surveillance System to Track India's Missile Program with 5,000 km Range

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China Radar: कैसे काम करता है यह रडार और भारत के लिए क्यों है चिंता की बात?

युन्नान प्रांत में स्थित यह लार्ज फेज़्ड एरे रडार चीन की बैलिस्टिक मिसाइल अर्ली वॉर्निंग सिस्टम का एक अहम हिस्सा है। यह भारत के पूर्वी तट से होने वाली मिसाइल परीक्षण गतिविधियों पर नजर रख सकता है। इस रडार के जरिए भारत के पूर्वी तट से लेकर बंगाल की खाड़ी और दक्षिण एशिया के बड़े हिस्से तक सीधी निगरानी हो सकती है। भारत के प्रमुख मिसाइल परीक्षण केंद्र जैसे कि ओडिशा स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से छोड़ी जाने वाली अग्नि-5 और के-4 जैसी मिसाइलों की जानकारी इस रडार के माध्यम से चीन तक पहुंच सकती है। जिसका मतलब है कि भारत की मिसाइल परीक्षण कार्यक्रमों पर चीन की पैनी नजर रहेगी। बता दें कि भारत अपने अग्नि-5 और K-4 जैसी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) के परीक्षण डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से करता है।

China Radar: युन्नान में रडार की लोकेशन क्यों है महत्वपूर्ण?

इस रडार की भौगोलिक स्थिति भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। युन्नान प्रांत, म्यांमार की सीमा के पास स्थित है। यह जगह चीन के दक्षिण-पश्चिमी इलाके में आती है और यहां से भारतीय महासागर तक चीन की सीधी निगरानी संभव हो जाती है। इसके अलावा चीन का यह रडार भारत के नौसैनिक मूवमेंट पर भी नजर रख सकता है। इस इलाके में ही भारत की परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBNs) की तैनाती भी है। चीन इस रडार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भारतीय मिसाइलों की रफ्तार, रेंज और अन्य जरूरी आंकड़ों को जुटाने के लिए कर सकता है, जिससे वह अपनी खुद के मिसाइल डिफेंस सिस्टम को और अधिक एडवांस बना सकता है।

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LPAR की क्या हैं खूबियां

चीन और भारत के बीच एलएसी पर लगातार तनाव बना हुआ है। हाल के कुछ सालों में चीन की सेना (PLA) ने खुद को काफी एडवांस किया है। इनमें LPAR जैसे मॉनिटरिंग सिस्टम्स की अहम भूमिका है। हालांकि इससे पहले भी चीन कोरला (शिंजियांग) में एक LPAR मॉनिटरिंग सिस्टम्स लगा चुका है। जिसकी मदद से चीन भारत के उत्तरी इलाकों पर नजर रखता है। अब युन्नान में नया रडार तैनात करने से चीन की नजर दक्षिण तक भी रहेगी।

भारतीय रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के इस कदम से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। भारत लगातार अपने मिसाइल प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहा है। भारत पहले ही अग्नि-5 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफल परीक्षण कर चुका है। इस मिसाइल की रेंज 5,000 किलोमीटर से ज्यादा है। इसके अलावा, भारत का हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

LPAR रडार की खासियत यह है कि इसमें हजारों छोटे एंटीना होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से बीम को डायरेक्ट निर्देशित कर सकते हैं। यह सिस्टम बहुत ही तेजी से मिसाइल लॉन्च और अन्य एरियल एक्टिविटी को ट्रैक करने में सक्षम होती है। यह अमेरिकी ‘PAVE PAWS’ सिस्टम जैसी है, जो 5,600 किलोमीटर तक निगरानी कर सकता है।

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा खतरे को भांपते हुए भारत को अपनी बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) सिस्टम को और मजबूत करने की जरूरत है। भारत पहले से ही मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम (Prithvi Air Defence – PAD और Advanced Air Defence – AAD) पर काम कर रहा है, जो 5,000 किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलों को बीच में ही मार गिरा सकता है। इसके अलावा, भारत को अपनी साइबर सिक्योरिटी को भी एडवांस करना होगा क्योंकि चीन डिजिटल जासूसी में भी माहिर है। जिसे देखते हुए भारतीय मिसाइल प्रोग्राम और डिफेंस कम्यूनिकेशन सिस्टम को सुरक्षित और एन्क्रिप्टेड रखना बेहद जरूरी है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक भारत को भी चीन पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट-बेस्ड मॉनिटरिंग सिस्टम सिस्टम को भी बेहद मजबूत करने की जरूरत है, ताकि चीन की हर हरकत पर नजर रखी जा सके।

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