📍नई दिल्ली | 3 months ago
Explainer Bharat Ranbhoomi Darshan: भारतीय सेना ने एक नई और अनोखी योजना शुरू करने का ऐलान किया है, जिसे ‘भारत रणभूमि दर्शन’ (Bharat RannBhoomi Darshan) नाम दिया गया है। इस पहल का उद्देश्य आम नागरिकों को उन ऐतिहासिक रणभूमियों तक पहुँचने का अवसर देना है, जहाँ भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता और बलिदान की मिसाल पेश की है। इस योजना की शुरुआत 15 जनवरी को आर्मी डे के अवसर पर होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस दिन एक विशेष वेबसाइट लॉन्च करेंगे, जो इस योजना से जुड़ी जानकारी और बुकिंग सेवाएँ प्रदान करेगी।
जा सकेंगे गलवान घाटी, डोकलाम
‘भारत रणभूमि दर्शन’ (Bharat RannBhoomi Darshan) योजना के तहत, आम लोग अब गलवान घाटी, डोकलाम, सियाचिन बेस कैंप, लिपुलेख दर्रा, बूमला और किबितु जैसे ऐतिहासिक और सामरिक महत्व वाले स्थलों की यात्रा कर सकेंगे। इन स्थानों को शौर्य गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है। सेना का कहना है कि इन स्थलों पर जाकर टूरिस्ट न केवल इन इलाकों की भौगोलिक कठिनाइयों को समझ पाएंगे, बल्कि उन घटनाओं से भी रूबरू होंगे, जिनमें भारतीय जवानों ने अदम्य साहस दिखाया।
दिए जाएंगे शौर्य पत्र
इस योजना के तहत टूरिस्टों को उनकी यात्राओं के आधार पर शौर्य पत्र प्रदान किए जाएंगे। ये पत्र तीन श्रेणियों में दिए जाएंगे: सिल्वर, गोल्ड और प्लैटिनम। इन पत्रों को इस आधार पर दिया जाएगा कि टूरिस्ट ने कितने शौर्य स्थलों का दौरा किया है। इससे लोगों को अधिक से अधिक स्थलों पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और सेना के बलिदान को नज़दीक से जानने का मौका मिलेगा।
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योजना के तहत गलवान और डोकलाम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। गलवान घाटी, जहां 2020 में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों के साथ बहादुरी से सामना किया था, और डोकलाम, जहां 2017 में भारतीय जवानों ने चीन की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दिया था, इन क्षेत्रों में अब टूरिस्टों को जाने की अनुमति दी जाएगी। इन स्थलों को देखने के दौरान टूरिस्टों को गाइडेड टूर की सुविधा दी जाएगी, जहां उन्हें इन इलाकों के ऐतिहासिक और सामरिक महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।
भारत के गौरवशाली अतीत का अनुभव कर सकेंगे लोग
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रक्षा समाचार डॉट कॉम के साथ खास बातचीत में इस योजना को सीमावर्ती इलाकों के विकास के लिए एक अहम कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस पहल से न केवल इन क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को भी आर्थिक लाभ होगा। उनका कहना है कि जब सीमावर्ती इलाकों में टूरिस्टों की आवाजाही बढ़ती है और आर्थिक गतिविधियां मजबूत होती हैं, तो यह दुश्मन के उन दावों को कमजोर करता है जो वे इन क्षेत्रों पर करते हैं। सेना प्रमुख ने बताया कि ‘भारत रणभूमि दर्शन’ के माध्यम से देशवासी भारत के गौरवशाली अतीत का अनुभव कर सकेंगे।
इन ऐतिहासिक युद्धक्षेत्रों पर कदम रखते ही आप अदम्य साहस और बलिदान की कहानियों से जुड़ेंगे। ये पवित्र स्थल भारत की सैन्य विरासत का प्रतीक हैं, जो आपको इतिहास को फिर से जीने और हमारे नायकों का सम्मान करने का अवसर देते हैं।
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पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सेना और सरकार ने सीमावर्ती इलाकों के विकास के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम भी शामिल है। इन योजनाओं का उद्देश्य सीमाओं पर भारत की उपस्थिति को मज़बूत करना है। ‘भारत रणभूमि दर्शन’ योजना उसी कड़ी का हिस्सा है।
इस योजना का एक और उद्देश्य युवाओं और आम नागरिकों को भारतीय सेना के बलिदान और वीरता से जोड़ना है। सेना का मानना है कि जब लोग इन स्थलों पर जाएँगे, तो वे न केवल देशभक्ति की भावना से भर जाएँगे, बल्कि भारतीय सेना के इतिहास और उनके द्वारा किए गए बलिदान को गहराई से समझ पाएँगे।
यह है वेबसाइट
योजना को लागू करने के लिए भारतीय सेना ने एक डेडिकेटेड वेबसाइट (www.bharatrannbhoomidarshan.gov.in) तैयार की है, जहां टूरिस्ट अपनी यात्रा की योजना बना सकेंगे। वेबसाइट के माध्यम से टूरिस्टों को सभी आवश्यक जानकारी, मार्गदर्शन और बुकिंग की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा, इन क्षेत्रों में स्थानीय गाइड और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी विकसित किया जा रहा है, ताकि टूरिस्टों को सुरक्षित और यादगार अनुभव मिल सके।
भारतीय सेना की यह पहल न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास लाने का एक साधन है, बल्कि यह देशवासियों को अपनी सेना के बलिदान के प्रति जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास भी है। इस योजना से इन क्षेत्रों में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, जो भारत की सीमाओं को और मजबूत बनाएगा।