PLA Spy Vessels: जब भी भारत करता है कोई मिसाइल टेस्ट, तो जासूसी करने पहुंच जाता है चीन, फिर मंडरा रहे हैं उसके ये जहाज

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By News Desk

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📍नई दिल्ली | 1 month ago

PLA Spy Vessels: चीन एक बार फिर भारतीय महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region- IOR) में अपनी मौजूदगी को मजबूत कर रहा है। हाल ही में चीन के अगली पीढ़ी के डीप-सी रिसर्च वेसल Dong Fang Hong 03 (डोंग फांग हॉन्ग 03) फरवरी 2025 के आखिर में भारतीय महासागर में एंट्री की। वहीं इस जहाज के आने से पहले, इसी महीने चीन के एक और सर्वे जहाज Xiang Yang Hong 01 (शियांग यांग हॉन्ग 01) की भी एंट्री हो चुकी थी। ये दोनों जहाज मरीन रिसर्च के नाम पर महासागर की गहराइयों का अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल भारत की खुफिया जासूसी के लिए किया जा रहा है।

PLA Spy Vessels: China’s Surveillance Ships Lurk Again as India Conducts Missile Tests!

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चीन का “साइलेंट” रिसर्च वेसल Dong Fang Hong 03: कितना खतरनाक?

Dong Fang Hong 03 को दुनिया का सबसे मॉर्डन और साइलेंट रिसर्च वेसल कहा जाता है। इसे 2019 में चाइना ओशन यूनिवर्सिटी (Qingdao) को सौंपा गया था और यह 103 मीटर लंबा, 5,000 टन वजनी जहाज है। इसमें इलेक्ट्रिक आज़ीमथ थ्रस्टर टेक्नोलॉजी लगी है, जिसकी मदद से यह बिना ज्यादा शोरगुल किए चुपचाप अपने काम को अंजाम दे सकता है।

इसकी खासियतें इसे सिर्फ एक रिसर्च वेसल नहीं बल्कि एक चलता-फिरता अंडरवाटर इंटेलिजेंस हब बनाती हैं। यह जहाज 100 लोगों के क्रू को ले जा सकता है। यह शिप मरीन इकोलॉजी, माइक्रोबियल जेनेटिक्स और समुद्री खनिजों पर रिसर्च करने में सक्षम है। इसमें एडवांस इक्विपमेंट्स लगे हैं जो समुद्र के नीचे 10,000 मीटर गहराई तक काम कर सकते हैं और मानव रहित पनडुब्बी वाहनों (UUVs) को तैनात कर सकते हैं। यह चीन की PLA (People’s Liberation Army) की रणनीति का हिस्सा है।

Xiang Yang Hong 01: भारत के डिफेंस ट्रायल्स पर रखता है नजर?

इससे पहले 4,500 टन वजनी Xiang Yang Hong 01 सर्वे शिप भी इसी इलाके में एंट्री कर चुका है। यह जहाज चीन के स्टेट ओशनिक एडमिनिस्ट्रेशन (SOA) के तहत काम करता है और इसे सैटेलाइट ट्रैकिंग, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी, और समुद्र के नीचे के नक्शे तैयार करने में महारत हासिल है।

मार्च 2024 में यह जहाज भारत के अग्नि-5 MIRV मिसाइल टेस्ट के दौरान बंगाल की खाड़ी में मौजूद था। इसकी मौजूदगी से संदेह पैदा हुआ कि यह भारत के मिसाइल और पनडुब्बी परीक्षणों की जानकारी इकट्ठा कर रहा था। यह पोत समुद्र की गहराई को मापने, पानी की धारा और ध्वनि की रफ्तार की निगरानी करने में सक्षम है। ये सभी डेटा किसी भी देश के पनडुब्बी ऑपरेशन, सोनार परफॉर्मेंस और मिसाइल ट्रैकिंग को बेहतर बना सकते हैं।

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वहीीं, फरवरी 2025 में इसके दोबारा भारतीय महासागर क्षेत्र में एक्टिव होने से चीन की रणनीति पर फिर से संदेह गहराने लगे हैं। इस बार इसकी गतिविधियां अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और मलक्का जलडमरूमध्य के पास देखी गई हैं, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। सूत्रों का कहना है कि चीन भारतीय महासागर क्षेत्र सीबेड मैपिंग और जलधाराओं का विस्तृत डेटा इकट्ठा कर रहा है, जो पनडुब्बी युद्ध (Submarine Warfare) और हाइड्रोएकॉस्टिक सर्विलांस के लिए अहम हो सकता है।

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Image Source: @detresfa_

PLA Spy Vessels: सर्तक है भारतीय नौसेना

भारतीय नौसेना पहले से ही P-8I Poseidon मेरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट और वॉरशिप्स के जरिए इन जहाजों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। खासकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मलक्का जलडमरूमध्य और बंगाल की खाड़ी में इनकी हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है। खास बात यह है कि चीन के ये जहाज भारत के महत्वपूर्ण डिफेंस ट्रायल्स के दौरान या उसके आसपास दिखाई देते हैं।

खुफिया सूत्रों के अनुसार, चीन की “Maritime Civil-Military Fusion Strategy” इन जहाजों के असल उद्देश्य को लेकर संदेह पैदा करती है। चीन की नौसेना अक्सर वैज्ञानिक अनुसंधान को “कवर” के रूप में इस्तेमाल करती है ताकि वह सामरिक महत्व के क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ा सके।

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जनवरी 2025 में, जब भारतीय नौसेना ने INS अरिहंत से K-4 SLBM मिसाइल का सफल परीक्षण किया, उसके तुरंत बाद चीन के रिसर्च वेसल इस इलाके में दिखाई दिए। यह कोई पहला मौका नहीं था। 2024 में जब चीन के एक अन्य शोध पोत Xiang Yang Hong 03 ने मालदीव में डॉक किया था, तब भारत और मालदीव के संबंधों में तनाव था। चीन के ये जहाज अक्सर भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के पास या भारत के मिसाइल परीक्षण स्थलों के नजदीक नजर आते हैं।

PLA Spy Vessels: चीन की “साइलेंट” रणनीति

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के रिसर्च वेसल्स केवल वैज्ञानिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं हैं। कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि PLA नौसेना इन जहाजों द्वारा एकत्रित डेटा का इस्तेमाल भारत की समुद्री रणनीतियों को कमजोर करने के लिए कर सकती है। भारतीय सुरक्षा विश्लेषकों ने इसे चीन की “दोहरी उपयोग” (Dual Use) रणनीति करार दिया है, जिसमें वैज्ञानिक शोध और सैन्य उद्देश्यों को मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के ये शोध पोत भारत की नौसेना के पनडुब्बी मार्गों, समुद्र की गहराई, और सोनार सिस्टम की प्रभावशीलता का अध्ययन करने में लगे हैं। इन जहाजों द्वारा एकत्रित डेटा चीन को भविष्य में पनडुब्बी युद्ध, इलेक्ट्रॉनिक जासूसी और मिसाइल ट्रैकिंग में बढ़त दिला सकता है।

PLA Spy Vessels: भारत की जवाबी तैयारी

वहीं, भारत भी अपनी सामुद्रिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठा रहा है। Aero India 2025 में भारत ने नई ड्रोन और UGV (Unmanned Ground Vehicles) टेक्नोलॉजी को पेश किया, जो समुद्री निगरानी को और बेहतर बनाएंगी। इसके अलावा, भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और फ्रांस जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ अपने समुद्री सहयोग को भी मजबूत किया है। हाल ही में QUAD और IOR देशों के बीच नेवी एक्सरसाइज को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि चीन की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

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