📍नई दिल्ली | 5 months ago
INS Brahmaputra: चार महीने पहले मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में आग की चपेट में आए भारतीय नौसेना के युद्धपोत INS ब्रह्मपुत्र की मरम्मत का काम एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंच गया है। इस घटना ने न केवल नौसेना को आहत किया था, बल्कि यह भी दिखाया कि मुश्किल परिस्थितियों में भारत की रक्षा ताकत को कैसे मजबूत किया जा सकता है।
कैसे लगी थी आग
जुलाई में, INS ब्रह्मपुत्र में चल रहे रिफिटिंग कार्य के दौरान भीषण आग लग गई थी। इस हादसे में एक नौसैनिक की जान चली गई और युद्धपोत को भारी नुकसान हुआ। आग बुझाने के लिए हुए ऑपरेशनों के कारण पानी जहाज में भर गया, जिससे यह एक तरफ झुक गया और लगभग डूबने की स्थिति में आ गया।
उस समय, तमाम कोशिशों के बावजूद जहाज को सीधा करना संभव नहीं हो सका। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति के चलते नौसेना ने विदेशी विशेषज्ञों की मदद लेने का निर्णय लिया।
कैसे हो रही है मरम्मत?
INS ब्रह्मपुत्र की मरम्मत करने के लिए विशेष तकनीक और मशीनरी का सहारा लिया जा रहा है। विशेषज्ञों ने “ब्लून जैसी संरचनाओं” का उपयोग करके जहाज को सीधा किया है। यह प्रक्रिया जहाज की सतह को ऊपर उठाने और उसके वजन को संतुलित करने में मदद करती है।
आग और पानी के कारण हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विदेशी विशेषज्ञों की एक टीम ने जहाज का गहन निरीक्षण किया। रिपोर्ट के अनुसार, जहाज के अंदर पानी भरने और भारी वजन के कारण इसकी मरम्मत करना बेहद कठिन हो गया है। इसके बावजूद, मरम्मत का काम निरंतर जारी है।
मिनट स्तर पर मरम्मत
इस घटना के बाद जहाज को उस स्थान से दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया, जहां यह दुर्घटना हुई थी। जहाज को पूरी तरह चालू स्थिति में लाने के लिए कई महीनों का समय लग सकता है। इसके लिए विशेष मशीनरी और तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत है।
नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि जहाज को फिर से समुद्र में चलाने के लिए मिनट स्तर पर मरम्मत की जा रही है। हालांकि, यह प्रक्रिया लंबी और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन इसके जरिए नौसेना की ताकत को दोबारा खड़ा किया जा सकेगा।
INS ब्रह्मपुत्र की अहमियत
INS ब्रह्मपुत्र भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का अहम हिस्सा है। यह 24 साल पुराना जहाज विभिन्न मल्टी-रोल मिशनों में अपनी ताकत दिखा चुका है। घटना के समय यह अपने अंतिम रिफिटिंग चरण में था, जिसके बाद इसे नौसैनिक मिशनों पर भेजा जाना था।
सुरक्षा को लेकर सख्त कदम
आग की घटना के बाद नौसेना ने सुरक्षा और प्रोटोकॉल की समीक्षा के लिए एक विशेष टास्क फोर्स का गठन किया है। यह टीम एक रियर एडमिरल के नेतृत्व में काम कर रही है और नौसैनिक अभियानों में सुरक्षा के उच्च मानकों को लागू करने पर जोर दे रही है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने मुंबई जाकर स्थिति का जायजा लिया और INS ब्रह्मपुत्र को फिर से सामरिक तैयारी के लिए बहाल करने के महत्व पर बल दिया।
भारतीय और विदेशी विशेषज्ञों का योगदान
वाइस चीफ ऑफ नेवल स्टाफ, वाइस एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन ने कहा, “हमारे पास भारतीय विशेषज्ञता की कोई कमी नहीं है, लेकिन INS ब्रह्मपुत्र के लिए हमने विदेशी मदद भी ली है। और हमें उम्मीद है कि जल्द ही जहाज काम पर लौट आएगा।”
नौसेना को है उम्मीद
इस हादसे ने भारतीय नौसेना के सामने बड़ी चुनौती पेश की, लेकिन जिस तरह से नौसेना इसे संभाल रही है, वह साहस और प्रतिबद्धता का प्रतीक है। INS ब्रह्मपुत्र न केवल भारत की सुरक्षा ताकत का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे सैनिकों के जज्बे और तकनीकी कौशल की मिसाल भी है।
आशा है कि बहाली के बाद INS ब्रह्मपुत्र फिर से समुद्र में अपने मिशनों के लिए तैयार होगा और भारतीय नौसेना की शक्ति में एक नई चमक जोड़ेगा।