INS Aridhaman: भारत गुपचुप कर रहा इस खास पनडुब्बी का समुद्री ट्रायल! भारतीय नौसेना को जल्द मिलेगी तीसरी न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 2 months ago

INS Aridhaman: हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी और पाकिस्तान की नौसैनिक ताकत में इज़ाफ़े के बीच भारत अपनी समुद्री ताकत को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। भारतीय नौसेना इस साल अपनी तीसरी परमाणु शक्ति से लैस बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) INS अरिधमान (INS Aridhaman) को अपने बेड़े में शामिल करने जा रही है। यह कदम भारत की समुद्री रणनीति और परमाणु प्रतिरोधक क्षमता (Nuclear Deterrence) को और मज़बूत करेगा।

INS Aridhaman: Indian Navy Set to Get Third Nuclear Ballistic Missile Submarine Soon

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INS Aridhaman: तीसरी न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी

INS अरिधमान, भारतीय नौसेना की तीसरी न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) होगी। यह सबमरीन पिछले तीन सालों से समुद्री परीक्षणों (Sea Trials) से गुजर रही थी और अब 2025 में इसे नौसेना में शामिल किए जाने की पूरी संभावना है।

भारत के पास पहले से ही दो INS अरिहंत और INS अरिघात SSBN पनडुब्बियां हैं। INS अरिधमान, इनसे अधिक अत्याधुनिक तकनीक, बड़े आकार और बेहतर मारक क्षमता से लैस होगी। बताया जा रहा है कि यह 7000 टन वजनी SSBN होगी, जो 8 K-4 बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगी। K-4 मिसाइलें लगभग 3,500 किमी तक लक्ष्य को भेद सकती हैं, जिससे यह पनडुब्बी भारत की समुद्री परमाणु प्रतिरोधक रणनीति को और मज़बूत बनाएगी।

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फिलहाल भारत के पास दो INS अरिहंत और INS अरिघात सबमरीन

भारतीय नौसेना वर्तमान में INS अरिहंत (INS Arihant) और INS अरिघात (INS Arighat) को ऑपरेट कर रही है। वहीं, भविष्य में भारत नए और बड़े SSBN प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है, जिसे S-5 क्लास परमाणु पनडुब्बी कहा जा रहा है। इस नई श्रेणी की पनडुब्बियां 12-16 बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होंगी, जिससे भारत की समुद्री परमाणु क्षमता और अधिक मज़बूत हो जाएगी।

चीन के पास 6 SSBN और 6 SSN

भारत का यह फैसला चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नौसैनिक ताकत को देखते हुए लिया गया है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (PLA Navy) इस समय 6 SSBN, 6 न्यूक्लियर पावर्ड हमलावर पनडुब्बियां (SSN), और 48 पारंपरिक पनडुब्बियां ऑपरेट कर रही है। अनुमान है कि चीन का पनडुब्बी बेड़ा 2025 तक 65 और 2035 तक 80 पनडुब्बियों तक बढ़ सकता है।

वहीं, पाकिस्तान भी चीन के सहयोग से अपनी नौसैनिक ताकत को बढ़ाने में जुटा है। पाकिस्तान ने चीन से 8 Type-39 युआन क्लास अटैक पनडुब्बियों का ऑर्डर दिया है, जो एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक से लैस होंगी। पहली पनडुब्बी को अप्रैल 2024 में ट्रायल के लिए लॉन्च किया गया था। पाकिस्तान का लक्ष्य हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में शक्ति संतुलन बदलना है।

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INS Aridhaman की खूबियां

INS अरिधमान को भारत में स्वदेशी रूप से डिजाइन और डेवलप किया गया है। इसका डिज़ाइन भारतीय नौसेना, डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी (DAE), और भारत एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) द्वारा तैयार किया गया है।
इसमें 83 मेगावॉट (MW) के परमाणु रिएक्टर का इस्तेमाल किया गया है, जिसे पहले की पनडुब्बियों के ऑपरेशनल अनुभव के आधार पर और एडवांस  बनाया गया है। रिएक्टर डिजाइन में कुछ बदलाव किए गए हैं, जिससे इसकी सुरक्षा और रखरखाव में सुधार हुआ है।

INS अरिधमान का मुख्य हथियार K-4 बैलिस्टिक मिसाइलें होंगी, जिनकी 3500 किमी की मारक क्षमता होगी। यह पनडुब्बी कई लेटेस्ट तकनीकों और सेफ्टी फीचर्स से लैस होगी, जिससे भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त मिलेगी।

INS अरिधमान के शामिल होने के साथ ही, भारत अपने परमाणु पनडुब्बी बेड़े के विस्तार पर भी फोकस कर रहा है। फिलहाल, INS अरिहंत और INS अरिघाट के बाद INS अरिधमान तीसरी SSBN होगी।

भारत की पहली SSN 2036 तक

इसके अलावा, भारत की भविष्य में और परमाणु शक्ति से संचालित हमलावर पनडुब्बियां (SSN) बनाने की भी योजना है। हालांकि, पहली SSN 2036 और दूसरी 2038 तक आने की संभावना है। इन पनडुब्बियों में 12 से 16 न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल तैनात की जा सकेंगी, जिससे भारत की सामरिक परमाणु हमले की क्षमता (Strategic Nuclear Strike Capability) और मजबूत होगी।

नए स्कॉर्पीन और P-75I प्रोजेक्ट में तेजी

INS अरिधमान के अलावा, भारत अपनी पनडुब्बी निर्माण क्षमता को और मजबूत करने के लिए नए प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर रहा है। भारतीय नौसेना ने 6 स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियों को शामिल कर लिया है, और फ्रांस के साथ मिलकर 3 और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बनाने की बातचीत जारी है।

इसके अलावा हाल ही में मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) और जर्मनी की Thyssenkrupp Marine Systems (TKMS) के साथ 6 एडवांस्ड AIP पनडुब्बियां बनाने की मंजूरी मिली है। इन पनडुब्बियों में एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक होगी, जिससे वे लगभग 3 हफ्ते तक पानी के नीचे रह सकेंगी।

हालांकि, P-75I प्रोजेक्ट की पहली पनडुब्बी अगले दशक में ही तैयार हो सकेगी, क्योंकि अभी इस प्रोजेक्ट पर तकनीकी और कॉमर्शियल बातचीत चल रही हैं।

भारत की “No First Use” पॉलिसी

भारत अपनी “No First Use” (NFU) न्यूक्लियर पॉलिसी पर चलते हुए “Credible Minimum Deterrence” को बनाए रखना चाहता है। इसका अर्थ यह है कि भारत पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन दूसरे हमले के लिए तैयार रहेगा। इसके लिए SSBN पनडुब्बियां सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि ये पानी के नीचे लंबे समय तक छिपी रह सकती हैं और किसी भी हमले के बाद जवाबी हमला कर सकती हैं।

INS अरिधमान का नौसेना में शामिल होना भारत के लिए समुद्री शक्ति का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा। यह चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नौसैनिक शक्ति के बीच भारत के परमाणु प्रतिरोध को मज़बूत करेगा।

INS अरिधमान के नौसेना में शामिल होने पर आपकी क्या राय है? हमें कमेंट में बताएं!

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