📍नई दिल्ली | 4 months ago
Indian Navy warships: 15 जनवरी 2025 भारतीय नौसेना के इतिहास में एक ऐतिहासिक दिन बनने जा रहा है। इस दिन नौसेना के बेड़े में तीन अत्याधुनिक युद्धपोत और पनडुब्बी – ‘नीलगिरि’, ‘सूरत’ और ‘वाग्शीर’ को शामिल किया जाएगा। यह आयोजन मुंबई के नौसैनिक डॉकयार्ड में होगा। यह पहली बार है जब एक ही दिन में तीन प्रमुख युद्ध प्लेटफॉर्म्स को कमीशन किया जाएगा। आइए, जानते हैं इन तीनों के बारे में विस्तार से।
नए कमीशन किए जाने वाले युद्धपोतों में सबसे विशाल है 7,400 टन वजनी गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर ‘सूरत’। इसके बाद आता है 6,670 टन वजनी स्टील्थ फ्रिगेट ‘नीलगिरी’ और 1,600 टन वजनी पनडुब्बी ‘वाग्शीर’। ये सभी अत्याधुनिक सेंसर और शक्तिशाली हथियारों से लैस हैं, जो इन्हें दुश्मनों के लिए बेहद खतरनाक बनाते हैं। हाल ही में मुंबई के मझगांव डॉक (MDL) ने सूरत और नीलगिरी को भारतीय नौसेना को सौंप दिया है।
Indian Navy warships: नीलगिरि (Project 17A स्टील्थ फ्रिगेट)
नीलगिरि, भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17A का पहला युद्धपोत है। यह शिवालिक क्लास फ्रिगेट्स का एडवांस वर्जन है और इसे अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीकों के साथ तैयार किया गया है। इसका डिज़ाइन ऐसा है कि इसे दुश्मन के रडार पर पकड़ना बेहद मुश्किल होगा।
‘नीलगिरी’ प्रोजेक्ट-17ए के तहत निर्मित हो रहे सात मल्टी-रोल फ्रिगेट्स में पहला है। इन अत्याधुनिक फ्रिगेट्स में से चार को मुंबई के मझगांव डॉक (MDL) में और तीन को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) में तैयार किया जा रहा है। लगभग 45,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाए जा रहे इन फ्रिगेट्स को विशेष रूप से ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि इन्हें दुश्मन के लिए ट्रैक करना बेहद कठिन हो।
Indian Navy Warships: भारतीय नौसेना के लिए नया साल होगा खास, 2025 में दो वारशिप और एक पनडुब्बी होगी कमीशन
‘नीलगिरी’ और इसके साथ के सभी सात फ्रिगेट्स को 2026 के अंत तक नौसेना में शामिल करने का लक्ष्य है, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा में बड़ी मजबूती आएगी।
- रडार से बचने की क्षमता। (Reduced Radar Signature)।
- एडवांस सेंसर और वीपन सिस्टम।
- हेलीकॉप्टर संचालन के लिए आधुनिक सुविधाएं, जिसमें सी किंग, चेतक, ALH और MH-60R जैसे हेलीकॉप्टर शामिल
- महिला अधिकारियों और नौसैनिकों के लिए विशेष आवास की व्यवस्था।
Indian Navy warships: सूरत – प्रोजेक्ट 15बी का अंतिम डेस्ट्रॉयर
सूरत, प्रोजेक्ट 15बी के तहत चौथी और आखिरी स्टील्थ डेस्ट्रॉयर है। यह कोलकाता-क्लास डेस्ट्रॉयर (प्रोजेक्ट 15ए) का एडवांस वर्जन है। इसका डिज़ाइन और निर्माण प्रक्रिया भी पूरी तरह से स्वदेशी है।
‘सूरत’ भारतीय नौसेना का पहला युद्धपोत है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक से सुसज्जित है। इस आधुनिक युद्धपोत की तैनाती से नौसेना की संचालन क्षमता में कई गुना वृद्धि होगी। ‘सूरत’ के निर्माण में 72% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती प्रदान करता है। इसकी लंबाई 164 मीटर है और यह 4,000 नॉटिकल मील तक का सफर करने में सक्षम है।
यह शक्तिशाली युद्धपोत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, बराक-8 मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76mm सुपर रैपिड गन, और पनडुब्बी रोधी हथियार जैसे रॉकेट और टॉरपीडो से लैस है, जो इसे बेहद घातक और अद्वितीय बनाते हैं।
- अत्याधुनिक हथियार और सेंसर से लैस।
- लंबी दूरी तक दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले की क्षमता।
- हेलीकॉप्टर ऑपरेशंस के लिए एडवांस सुविधाएं।
- दुश्मन के जहाज और पनडुब्बियों का पता लगाने और नष्ट करने की क्षमता
Indian Navy warships: वाग्शीर (स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बी)
वाग्शीर, कलवरी क्लास के तहत बनने वाली छठी और आखिरी पनडुब्बी है। इसे अत्याधुनिक स्कॉर्पीन डिजाइन पर बनाया गया है और यह एक बहुमुखी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है। इसका डिज़ाइन इसे बेहद शांत और दुश्मन के लिए खतरनाक बनाता है। इसे मझगांव डॉक और फ्रांस की नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाया गया है।
‘वाग्शीर’ फ्रांसीसी डिजाइन पर आधारित स्कॉर्पीन या कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी को 23,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट-75 के तहत तैयार किया गया है। यह पनडुब्बी अत्याधुनिक तकनीक और स्वदेशी क्षमताओं का अद्भुत संगम है, जो भारत की समुद्री सुरक्षा को और मजबूत बनाएगी।
भारत और फ्रांस फिलहाल तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण के लिए समझौता वार्ता कर रहे हैं। योजना के अनुसार, पहली नई पनडुब्बी छह वर्षों में तैयार होगी, इसके बाद हर साल एक पनडुब्बी नौसेना में शामिल की जाएगी। यह कदम भारतीय नौसेना की दीर्घकालिक समुद्री रणनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
- एंटी-सबमरीन और एंटी-सरफेस वारफेयर की क्षमता।
- वायर-गाइडेड टॉरपीडो और एंटी-शिप मिसाइल।
- क्षेत्र निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने की खूबी।
- भविष्य में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक को शामिल करने की संभावना।
- यह पनडुब्बी वायर-गाइडेड टॉरपीडो और एंटी-शिप मिसाइलों से लैस है, जो इसे समुद्र में बेहद खतरनाक बनाती हैं।
ये तीनों युद्धपोत और पनडुब्बी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) , मुंबई में पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित किए गए हैं। यह भारतीय रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी तकनीक की बढ़ती शक्ति का प्रतीक है।
स्टील्थ तकनीक का फायदा
स्टील्थ तकनीक के उपयोग से युद्धपोतों और पनडुब्बियों की रडार पर पकड़ कम हो जाती है, जिससे वे दुश्मन के हमलों से सुरक्षित रहते हैं। नीलगिरि और सूरत में इस तकनीक का इस्तेमाल उनकी प्रभावशीलता को और बढ़ाता है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम
इन जहाजों पर महिला अधिकारियों और नौसैनिकों के लिए विशेष आवास की व्यवस्था की गई है। यह भारतीय नौसेना के महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रोजेक्ट 17 और 17A
शिवालिक क्लास (Project 17): 2000 के दशक की शुरुआत में, शिवालिक क्लास के फ्रिगेट्स को नौसेना में शामिल किया गया। ये युद्धपोत आधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम से लैस थे।
प्रोजेक्ट 17A, शिवालिक क्लास का एडवांस वर्जन है, जिसमें स्टील्थ तकनीक और बेहतर डिज़ाइन शामिल हैं।
प्रोजेक्ट 15, 15A और 15B
1990 के दशक में दिल्ली क्लास (Project 15) के साथ शुरुआत हुई। इसके बाद कोलकाता क्लास (Project 15A) और अब सूरत क्लास (Project 15B) को डिज़ाइन किया गया है। ये सभी डेस्ट्रॉयर अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम से लैस हैं।
स्कॉर्पीन पनडुब्बी परियोजना (Project 75)
कलवरी क्लास: फ्रांस की मदद से यह परियोजना शुरू हुई और भारत ने अब तक पांच स्कॉर्पीन पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की हैं। वाग्शीर छठी और अंतिम पनडुब्बी है।
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मार्च के पहले सप्ताह तक आएगा INS तुशील
भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए 3,900 टन वजनी रूसी निर्मित फ्रिगेट INS तुशील अपनी लंबी यात्रा पर है। यह फ्रिगेट बाल्टिक सागर, उत्तरी सागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर से होते हुए भारत आ रही है। अगले साल, मार्च-अप्रैल 2025 में, रूस से एक और फ्रिगेट INS तामल की डिलीवरी की जाएगी, जिससे नौसेना की क्षमता और बढ़ेगी। फिलहाल वह मोरक्को के कासाब्लांका पोर्ट पर है।
वर्तमान में भारतीय नौसेना 130 से अधिक युद्धपोतों और 251 विमानों व हेलीकॉप्टरों का संचालन कर रही है। इसके अलावा, देश के शिपयार्ड में 60 नए युद्धपोत और जहाज निर्माणाधीन हैं। भविष्य की योजना के तहत 31 और युद्धपोतों को मंजूरी दी गई है, जिनमें सात नई पीढ़ी के फ्रिगेट, आठ कॉर्वेट और छह स्टील्थ डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां शामिल हैं।
2030 तक युद्धपोतों की संख्या में कमी का खतरा
हालांकि, मौजूदा बेड़े और निर्माण योजनाओं के बावजूद, 2030 तक भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की संख्या केवल 155-160 तक ही पहुंचने का अनुमान है। इसका मुख्य कारण भारतीय शिपयार्ड में निर्माण की धीमी प्रक्रिया और पुराने युद्धपोतों का चरणबद्ध तरीके से सेवा से हटना है।
यह स्थिति नौसेना के लिए बड़ी चुनौती है, खासकर तब जब क्षेत्रीय समुद्री ताकतें अपने बेड़ों का तेजी से विस्तार कर रही हैं। भारतीय नौसेना के सामने अब आवश्यकता है कि वह निर्माण प्रक्रिया में तेजी लाए और अपनी दीर्घकालिक समुद्री सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ठोस कदम उठाए।
The Indian Navy warships are renowned for their exceptional capabilities and strategic importance in the region. Their advanced technology and skilled crew make them a formidable force in maritime operations. With their presence, the Indian Navy upholds national security and contributes to maintaining peace in the waters.