📍नई दिल्ली | 3 months ago
Indian Navy: भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में तैनात भारतीय नौसेना ने हाल ही में दो बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। गोवा के तट पर एयर ड्रॉपेबल कंटेनर का सफल परीक्षण और सुपरसोनिक रैंपेज मिसाइल को मिग-29 लड़ाकू विमानों में शामिल करना, नौसेना की बढ़ती क्षमताओं का प्रतीक है।
Indian Navy: एयर ड्रॉपेबल कंटेनर का सफल परीक्षण
24 जनवरी को गोवा के तट पर एयर ड्रॉपेबल कंटेनर (एडीसी-150) का सफल परीक्षण किया गया। इस तकनीक की मदद से युद्धपोतों को तटीय इलाकों पर लौटे बिना ही जरूरी रसद, उपकरण और दवाइयां उपलब्ध कराई जा सकेंगी। भारतीय नौसेना के पी8आई टोही विमान के जरिए इस कंटेनर को समुद्री मोर्चे पर गिराया गया।
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यह कंटेनर 150 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है और इसे युद्ध और शांति दोनों समय में उपयोग किया जा सकता है। डीआरडीओ की तीन प्रयोगशालाओं—विशाखापट्टनम की नेवल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेटरी, आगरा की एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट और बेंगलुरु की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट—ने इसे विकसित किया है।
डीआरडीओ ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर इस उपलब्धि की जानकारी साझा की। डीआरडीओ ने बताया कि यह ‘एयर ड्रॉपेबल कंटेनर’ समुद्र में शांति और युद्धकालीन दोनों परिस्थितियों में तैनात नौसेना के जहाजों तक रसद और जरूरी उपकरण पहुंचाने में सक्षम है। इस परीक्षण के दौरान कंटेनर को समुद्र में निर्धारित स्थान पर गिराया गया।
Indigenously developed “Air Droppable Container” was successfully flight tested from P8I aircraft by DRDO and Indian Navy. The system will provide much needed capability of delivering critical stores and emergency supplies at sea during peacetime and combat operations pic.twitter.com/5QATFD6W1n
— DRDO (@DRDO_India) January 24, 2025
डीआरडीओ द्वारा विकसित यह कंटेनर पूरी तरह से स्वदेशी है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना को तटीय इलाकों पर वापस आए बिना लंबे समय तक समुद्र में तैनात रहने में मदद करना है। यह क्षमता भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूत बनाएगी।
समुद्री ऑपरेशंस में होगा फायदा
भारतीय नौसेना का क्षेत्रीय ऑपरेशन इंडियन ओशन, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी तक फैला है। ऐसे में तट से 2000 किमी या उससे अधिक दूरी पर तैनात जहाजों को तत्काल रसद पहुंचाना एक चुनौती भरा कार्य होता है। एयर ड्रॉपेबल कंटेनर के विकसित होने से युद्धपोत लंबे समय तक समुद्र में तैनात रह सकेंगे और उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
मिग-29 लड़ाकू विमानों के लिए रैंपेज मिसाइल
वहीं, भारतीय नौसेना ने अपनी हवाई क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए सुपरसोनिक रैंपेज मिसाइल को मिग-29 लड़ाकू विमानों में शामिल किया है। यह मिसाइल दुश्मन के रडार, एयरस्ट्रिप और अन्य सामरिक ठिकानों पर सटीक निशाना साध सकती है।
रैंपेज मिसाइल को इजराइल ने डेवलप किया है। यह मिसाइल 2019 के बालाकोट हवाई हमले में इस्तेमाल की गई स्पाइस 2000 से अधिक दूरी तक मार कर सकती है। इसे हाल ही में आईएनएस विक्रांत पर भी ट्रायल के दौरान इस्तेमाल किया गया।
नौसेना की बढ़ती ताकत
भारत की समुद्री सीमाओं पर बढ़ते खतरे और चीन के साथ सीमा विवाद के बीच, भारतीय नौसेना अपनी क्षमताओं को लगातार उन्नत कर रही है। लंबी दूरी तक निगरानी के लिए पी8आई विमान और नई तकनीकों को शामिल करने से नौसेना की तैयारियों में बड़ा बदलाव आया है।
रैंपेज मिसाइल और एयर ड्रॉपेबल कंटेनर जैसी तकनीकों का उपयोग यह साबित करता है कि भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। यह न केवल देश की सुरक्षा को सुदृढ़ करता है बल्कि मित्र देशों के साथ साझेदारी और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।