📍नई दिल्ली | 5 months ago
Indian Navy: India-Japan Sign Historic Memorandum for Co-Development of UNICORN Mast for Indian Navy’s Advanced Stealth Capabilities.
भारतीय नौसेना के लिए यूनिकॉर्न मस्त (स्तंभ) के सह-विकास के लिए भारत और जापान सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारत और जापान मिलकर भारतीय नौसेना के जहाजों पर यूनिकॉर्न मस्त (स्तंभ) बनाएंगे, जिससे नौसेना की स्टील्थ क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
इस समझौते की घोषणा भारतीय दूतावास, टोक्यो में 15 नवंबर 2024 को की गई। इस मौके पर भारत के जापान में दूत सिबी जॉर्ज और जापान के रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यरत अधिग्रहण प्रौद्योगिकी और लॉजिस्टिक्स एजेंसी (ATLA) के आयुक्त इशिकावा ताकेशी ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
यूनिकॉर्न मस्त: क्या है यह प्रणाली?
यूनिकॉर्न मस्त एक विशेष प्रकार का एंटीना है, जिसमें इंटीग्रेटेड कंम्यूनिकेशन सिस्टम हैं। यह मस्त भारतीय नौसेना के जहाजों पर लगाया जाएगा, जिससे उनकी स्टील्थ (गोपनीयता) क्षमताओं में सुधार होगा। इसका मुख्य उद्देश्य नौसेना के प्लेटफार्मों को अधिक अदृश्य और सुरक्षित बनाना है, ताकि दुश्मन से बचाव बेहतर हो सके। इस तकनीक से भारतीय नौसेना को समुद्र में अपनी रणनीतिक ताकत और प्रभावी तरीके से संचालन करने में मदद मिलेगी।
भारत और जापान का ऐतिहासिक सहयोग
यह परियोजना भारत और जापान के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग का एक नया अध्याय है। यह पहली बार होगा जब दोनों देशों के बीच सह-विकास और सह-निर्माण के तहत कोई रक्षा उपकरण तैयार किया जाएगा। भारत और जापान का यह सहयोग दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा और साथ ही नई तकनीक को अपनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
भारत में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और जापान का सहयोग
इस परियोजना को भारतीय कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और जापान के विशेषज्ञों के सहयोग से डेवलप किया जाएगा। BEL भारत में रक्षा उपकरणों का निर्माण करने वाली प्रमुख कंपनी है, और यह तकनीकी सहयोग भारतीय नौसेना के लिए आधुनिक और प्रभावी प्रणालियां तैयार करने में मदद करेगा। जापान की अत्याधुनिक तकनीक के साथ मिलकर भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों का महत्व
इस सह-विकास परियोजना के साथ ही भारत और जापान के बीच रक्षा सहयोग की एक नई मिसाल स्थापित हो रही है। यह समझौता दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र में एक नई साझेदारी की ओर इशारा करता है, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञता, साझा अनुभव और रणनीतिक विचारों का आदान-प्रदान होगा। इसके अलावा, यह समझौता भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को भी मजबूत करेगा, क्योंकि अब देश में ही अत्याधुनिक रक्षा तकनीकों का विकास होगा।
नौसेना को लंबे वक्त तक मिलेगा फायदा
यह परियोजना भारतीय नौसेना के लिए दीर्घकालिक फायदे लेकर आएगी। यूनिकॉर्न मस्त के जरिए नौसेना के जहाजों की रक्षा क्षमता में सुधार होगा और वे दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम होंगे। इसके साथ ही, भारत अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा के लिए और अधिक सक्षम होगा।
यह समझौता न केवल रक्षा के क्षेत्र में बल्कि भारतीय रक्षा उद्योग के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इससे देश में नए अवसर पैदा होंगे और रक्षा तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
भारत और जापान के बीच रक्षा सहयोग को एक नई दिशा देने वाला यह समझौता भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। इससे दोनों देशों के बीच सैन्य रिश्ते और भी मजबूत होंगे और भारत को अपनी रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाने का अवसर मिलेगा।