Airbus C-295: भारतीय नौसेना को मिलेगी नई ताकत, समुद्री निगरानी के लिए जल्द मिलेगा एयरबस C-295 विमान का नेवल वर्जन

By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 14 Nov, 2024, 3:37 PM

Airbus C-295: समुद्री निगरानी क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल को जल्द ही एयरबस C-295 विमान का नेवल वर्जन मिल सकता है। रक्षा मंत्रालय जल्द ही 15 मरीन वेरिएंट C-295 विमानों की खरीद के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी कर सकता है। इस योजना को रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने पहले ही मंजूरी दे दी है, जिसके तहत भारतीय नौसेना को नौ और तटरक्षक बल को छह C-295 विमान दिए जाएंगे।

Airbus C-295: Indian Navy to Strengthen Maritime Surveillance with Naval Version of C-295 Aircraft

ये C-295 विमान समुद्री गश्ती और निगरानी के लिए खास तौर पर तैयार किए जा रहे हैं। नौसेना के लिए आने वाले इन विमानों में सोनार ब्वॉय, पनडुब्बी रोधी हथियारों के लिए टॉरपीडो और सतह युद्ध के लिए मिसाइल सिस्टम लगाया जाएगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “ये विमान नौसेना की समुद्री निगरानी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे और विभिन्न मिशन के अनुरूप इनका उपयोग किया जा सकेगा।”

विमान के निर्माण के लिए फ्रांसीसी कंपनी एयरबस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के संयुक्त उद्यम के तहत इन्हें भारत में निर्मित किया जाएगा। भारतीय वायुसेना ने पहले ही 56 C-295 ट्रांसपोर्ट विमान का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है, जिसमें से शुरुआती 16 विमान स्पेन में बन रहे हैं और बाकी विमान वडोदरा, गुजरात में टाटा की फाइनल असेंबली लाइन पर तैयार होंगे।

इस एडवांस C-295 वेरिएंट से भारतीय नौसेना की समुद्री गश्ती और निगरानी क्षमताओं में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी। यह नौसेना के लिए मीडियम रेंज मैरिटाइम रिकोनिसेंस (MRMR) और तटरक्षक बल के लिए मल्टी-मिशन मैरिटाइम एयरक्राफ्ट (MMMA) के रूप में काम करेगा। इस C-295 के नए वर्जन में निगरानी, गश्ती और हमला करने की  क्षमता भी होगी।

भारतीय नौसेना फिलहाल लंबी दूरी की समुद्री निगरानी के लिए बोइंग P-8I विमान और छोटी दूरी के गश्ती के लिए डोर्नियर DO-228 विमान का उपयोग करती है। लेकिन मध्यम दूरी की निगरानी के लिए इस श्रेणी के विमान की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। C-295 विमान इस कमी को पूरा करेगा और इसमें पनडुब्बी रोधी ऑपरेशन के लिए हल्के टॉरपीडो, सोनार और DRDO के NASM-SR और NASM-MR एंटी-शिप मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार लगाए जाएंगे।

नौसेना के सूत्रों के मुताबिक भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताओं में सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि मध्यम दूरी के विमान की कमी थी, जो विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और समुद्री व्यापारिक मार्गों (SLOC) पर बेहतर निगरानी कर सके।” उन्होंने कहा कि यह नया विमान न केवल हमारी समुद्री स्थिति जागरूकता को मजबूत करेगा, बल्कि हमारे लंबी दूरी के विमानों के इंजन घंटों को भी बचाएगा।

भारत की समुद्री सीमाओं में तेजी से बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए, यह C-295 विमान का नेवल वर्जन नौसेना और तटरक्षक बल के लिए बेहद कारगर साबित होंगे। ये विमान रीयलटाइम में खुफिया और टारगेटिंग डेटा उपलब्ध कराएंगे, जिससे भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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