📍नई दिल्ली | 2 months ago
Stryker vs WhAP: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच भारतीय सेना के लिए Stryker Infantry Combat Vehicle (ICV) को खरीदने और भारत में इसके निर्माण को लेकर सहमति बनी है। इस समझौते के तहत 530 Stryker ICV खरीदे जाएंगे, जिनमें से कुछ को सीधे खरीदा जाएगा, जबकि बाकी व्हीकल्स को भारत में साथ मिल कर बनाया जाएगा। इसके अलावा, Javelin एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और छह P-8I मेरीटाइम सर्विलांस एयरक्राफ्ट भी भारतीय सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए सौदे में शामिल हैं।
अमेरिका ने पहली बार 2000 के दशक में Stryker को भारतीय सेना को बेचने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तब यह डील अंजाम तक नहीं पहुंच पाई थी। इस दौरान, Stryker केवल भारत-अमेरिका मिलिट्री एक्सरसाइज में ही देखा गया।
पिछले साल, Stryker का लद्दाख में 13,000 से 17,000 फीट की ऊंचाई पर ट्रायल भी किा गया था, लेकिन भारतीय सेना ने इसमें कुछ कमियां पाईं और इसमें बदलाव की सिफारिश की।
वहीं, 2024 में, Stryker की खरीद को कनाडा में मैन्युफैक्चरिंग होने के चलते रोक दिया गया, क्योंकि भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव चरम पर था। लेकिन 2025 में, बाइडेन प्रशासन ने भारत में Stryker की मैन्युफैक्चरिंग की अनुमति दे दी। इस योजना के तहत, BEML के साथ साझेदारी में भारत में इसका निर्माण किया जाएगा, जिससे भारतीय सेना की 10 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री यूनिट्स को इस वाहन से लैस किया जाएगा।
Stryker vs WhAP: भारत के पास है WhAP
जहां एक ओर भारतीय सेना Stryker को अपनाने की योजना बना रही है, वहीं दूसरी ओर DRDO ने Tata Advanced Systems, महिंद्रा और कल्याणी ग्रुप के सहयोग से Wheeled Armoured Platform (WhAP) डेवलप किया है। यह भारत का पहला स्वदेशी इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल है, जिसे विभिन्न इलाकों में तैनात किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि Stryker और WhAP में क्या अंतर है और भारतीय सेना के लिए कौन बेहतर साबित होगा?
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दोनों वाहन आर्मर्ड कैटेगरी में आते हैं, लेकिन इनकी क्षमताएं अलग-अलग हैं। WhAP को सभी प्रकार के इलाकों में चलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जबकि Stryker को मुख्य तौर पर अर्बन कॉम्बैट के लिए तैयार किया गया है।
WhAP में 600 हॉर्सपावर का इंजन है, जिससे यह पानी और दलदली इलाकों में आसानी से चल सकता है। दूसरी ओर, Stryker 350 हॉर्सपावर इंजन के साथ आता है और इसकी अधिकतम स्पीड 100 किमी/घंटा है, लेकिन यह पानी में चलने में सक्षम नहीं है।
WhAP का वजन 24.5 टन है और इसमें 2+10 लोगों को बैठने की जगह मिलती है, जबकि Stryker का वजन 20.3 टन है और इसमें 3+8 लोगों के बैठने की क्षमता है।
WhAP में न्यूक्लियर सेंसर भी लगा है, जिससे यह रासायनिक, जैविक और परमाणु खतरों का पता लगा सकता है। यह Stryker से हल्का और अधिक फुर्तीला (agile) है, जिससे यह किसी भी प्रकार की सतह पर आसानी से चल सकता है।
WhAP की माइन ब्लास्ट को सहन करने की क्षमता इसे और अधिक सुरक्षित बनाती है। यह कीचड़ और दलदली इलाकों में बेहतर प्रदर्शन करता है। इसकी पावर-टू-वेट रेश्यो 25 है, जो Stryker के 17.24 से कहीं ज्यादा बेहतर है।
Stryker vs WhAP: क्या भारत को जरूरत है Stryker की?
WhAP पहले से ही भारतीय सेना की जरूरतों के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है। WhAP को लद्दाख, राजस्थान और पूर्वोत्तर इलाकों में तैनात किया जा सकता है, जबकि Stryker मुख्य रूप से अर्बन वारफेयर के लिए बेहतर माना जाता है। इसके बावजूद, भारत ने Stryker की खरीद और जॉइंट प्रोडक्शन को प्राथमिकता दी है।
इसका कारण यह हो सकता है कि अमेरिका से Stryker खरीदने से भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी और मजबूत होगी। भारत अब अमेरिका के साथ मिलकर आधुनिक रक्षा तकनीक साझा करने की रणनीति अपना रहा है, और Stryker इसी दिशा में एक कदम है।
क्या भारत दोनों वाहनों को तैनात करेगा?
चूंकि Stryker और WhAP दोनों अलग-अलग प्रकार के इलाकों और युद्धों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, इसलिए संभावना है कि भारतीय सेना दोनों को अपने बेड़े में शामिल करे।
WhAP मल्टीपर्पज है औऱ एंफीबियस है, जबकि Stryker के साथ ऐसा नहीं है। स्ट्राइकर को अमेरिकी सेना में पहले से एक भरोसेमंद व्हीकल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि भारतीय सेना WhAP को और अधिक प्राथमिकता देती है या Stryker को। फिलहाल, भारत अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए इन दोनों विकल्पों को परख रहा है।