LUH Vs H125M Helicopter: क्या भारतीय सेना की पसंद बनेगा HAL का लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, या फ्रांस का H125M मार ले जाएगा बाजी? क्या होगा मेक इन इंडिया का?

By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 27 Feb, 2025, 2:44 PM

LUH Vs H125M Helicopter: भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर बेड़े में शामिल मौजूदा दशकों पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टर काफी पुराने पड़ चुके हैं। सेना अपने एविएशन बेड़े को आधुनिक बनाने की कोशिशों में जुटी हुई है। एविएशन बेड़े को अपग्रेड करने की योजना के तहत भारतीय सेना को निगरानी और टोही मिशनों को अंजाम देने के लिए तकरीबन 400 नए हेलिकॉप्टरों की जरूरत है। ताकि भारतीय सेना के ऑपरेशन कैपेबिलिटी में सुधार किया जा सके। इसके लिए भारतीय सेना के सामने दो बड़े दावेदार हैं, पहला हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड का बनाया लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) और दूसरा फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी एयरबस का बनाया H125M हेलीकॉप्टर। 28 फरवरी को इसी के सिलसिले में आर्मी हेडक्वॉर्टर में एक अहम बैठक होने वाली है, जिसमें बेहतर विकल्प पर अंतिम मुहर लगाई जा सकती है। बता दें कि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी इन दिनों फ्रांस के दौरे पर हैं, जहां वे एयरबस के अधिकारियों से भी मिले हैं।

LUH vs H125M Helicopter: Will HAL’s Light Utility Helicopter Be India’s Choice or Will France’s H125M Steal the Deal? What About Make in India?

LUH Vs H125M Helicopter: फ्रांस यात्रा पर हैं जनरल उपेंद्र द्विवेदी

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी 24 से 27 फरवरी तक फ्रांस यात्रा पर हैं। यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की समिट में हिस्सा लेने 10-12 फरवरी 2025 को फ्रांस गए थे। जहां वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी मिले थे। इस दौरान फ्रांस को पिनाका हथियार बेचने और 36 मरीन राफेल के अलावा 3 स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को लेकर बातचीत हुई। हालांकि उस दौरान एयरबस H125M हेलीकॉप्टर डील को लेकर तो कोई बातचीत नहीं हुई, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि एयरबस H125M हेलीकॉप्टर सेना के लिए बड़े विकल्प के तौर पर उभर सकता है।

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LUH Vs H125M: कौन होगा सेना की पहली पसंद?

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बनाए LUH को भारतीय सेना के लिए उपयुक्त माना जा रहा है, लेकिन कुछ हालिया हादसों ने इस प्रोजेक्ट के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। जनवरी 2025 में गुजरात में एक एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव की दुर्घटना के बाद HAL के हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा पर सवाल उठ गए। इस घटना के बाद 300 से अधिक ALH हेलीकॉप्टरों को अस्थायी रूप से ग्राउंड कर दिया गया था। LUH को सेना की जरूरतों के मुताबिक डिज़ाइन किया गया है और यह खास तौर पर से हाई एल्टीट्यूड इलाकों जैसे लद्दाख और सियाचिन में ऑपरेशन के लिए उपयुक्त माना जा रहा है।

वहीं, पिछले दिनो बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया 2025 में, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के LUH को डेमो फ्लाइट में तो शामिल किया गया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और उत्तरी कमान प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एम.वी. सुचिंद्र कुमार को सिंगल-इंजन हेलिकॉप्टर में सुरक्षा चिंताओं के चलते डेमो फ्लाइट में न उड़ने की सलाह दी गई थी। जबकि दूसरी तरफ, भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने LUH में उड़ान भरकर स्वदेशी हेलीकॉप्टर में अपना भरोसा जताया। उन्होंने फ्लाइट के एक्सपीरियंस और हेलीकॉप्टर की परफॉरमेंस पर भी संतोष व्यक्त किया।

LUH Vs H125M Helicopter: एयरो इंडिया में दोनों हुए शामिल

हालांकि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लिए चैलेंज बढ़ते जा रहे हैं। एयरो इंडिया 2024 के दौरान एयरफोर्स स्टेशन, येलहंका में सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने जहां लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) की क्षमताओं का जायजा लिया था, तो वे एयरबस H125 के पवेलियन में भी गए थे, जहां उन्होंने इस टोही हेलीकॉप्टर में काफी दिलचस्पी दिखाई थी। उस दौरान भारतीय सेना के आधिकारिक ट्विटर हेंडल ADGPI ने भी इस दौरे को लेकर ट्वीट किया था। जिसमें लिखा था, “एयरोइंडिया 2025: स्वदेशी विमानन क्षमताओं को मजबूत करना। जनरल उपेंद्र द्विवेदी सीओएएस को एयरो इंडिया 2025 के अपने दौरे के दौरान आज एयरफोर्स स्टेशन, येलहंका में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) और H125 टोही श्रेणी के हेलीकॉप्टरों के बारे में जानकारी दी गई। LUH एक अत्याधुनिक स्वदेशी बहु-भूमिका वाला हेलीकॉप्टर है जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत की रोटरी-विंग क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विकसित किया है। H125, टाटा और एयरबस के बीच एक संयुक्त उद्यम है जो एक टोही श्रेणी का हेलीकॉप्टर है जो आत्मनिर्भरभारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो रक्षा में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।”

जनरल उपेंद्र द्विवेदी गए एयरबस फैसिलिटी

वहीं इसी महीने अपने फ्रांस दौरे के दौरान सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने फ्रांस स्थित एयरबस फैसिलिटी का भी दौरा किया, जहां उन्हें H125M हेलिकॉप्टर के बारे में जानकारी दी गई। H125M वही हेलिकॉप्टर है जिसे पहले Eurocopter AS550C3 Fennec के रूप में जाना जाता था, और यह भारतीय सेना के रैकी एंव सर्विलांस हेलिकॉप्टर (RSH) प्रोग्राम में एक प्रमुख दावेदार है। भारतीय सेना के आधिकारिक ट्विटर हेंडल ADGPI के ट्वीट में लिखा गया, “जनरल उपेंद्र द्विवेदी, सीओएएस ने मार्सिले में एयरबस फैसिलिटी का दौरा किया, जहां उन्हें अत्याधुनिक विमानन प्रौद्योगिकी, रक्षा प्रणालियों और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें एयरबस ने अग्रणी भूमिका निभाई है। यह यात्रा ऑपरेशनल कैपेबिलिटीज को बढ़ाने और रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के लिए ग्लोबल एयरोस्पेस इनोवेशंस का लाभ उठाने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, विशेष रूप से रोटरी विंग विमानन में।”

सेना के इस बयान से चौंके रक्षा विशेषज्ञ

सेना के इस बयान से कई रक्षा विशेषज्ञ चौंक गए। क्योंकि यह बयान ऐसे समय में आया जब LUH अपने फाइनल टेस्टिंग फेज में था। रक्षा मामलों के जानकार आदित्य कृष्ण मेनन कहते हैं, “भारतीय सेना और वायुसेना के लिए हल्के यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) प्रोजेक्ट अब निर्णायक मोड़ पर है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के लिए जरूरी है कि वह LUH में मौजूद सभी खामियों को जल्द से जल्द दूर करे और एक स्पष्ट, व्यावहारिक समयसीमा तय करे ताकि भारतीय सेना और वायुसेना को इसकी तैनाती में कोई संदेह न रहे। सेना और वायुसेना को इस समय केवल अल्पकालिक समाधान के रूप में चार्टर्ड हेलीकॉप्टर सेवाओं या लीज पर लिए गए हेलीकॉप्टरों की जरूरत हो सकती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से विदेशी हेलीकॉप्टरों की खरीद एक सही रणनीति नहीं होगी। भारतीय डिफेंस पॉलिसी का फोकस “आत्मनिर्भर भारत” पर है, और LUH इस लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।”

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HAL के सामने हैं कई चुनौतियां, विदेशी कंपनियों से कैसे करेगी मुकाबला

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपनी विश्वसनीयता साबित करने की है। ALH ध्रुव हादसों के बाद सुरक्षा मानकों को लेकर सेना का भरोसा जीतना जरूरी है। LUH के ट्रायल में कुछ कंपनियों ने हल्के वाइब्रेशन (कंपन) की शिकायत की थी। HAL ने दावा किया है कि LUH में हल्के वाइब्रेशन जैसी छोटी-मोटी तकनीकी समस्याओं को हल कर लिया गया है और जल्द ही यह हेलीकॉप्टर ट्रायल्स में पास होकर सेना में शामिल होने के लिए तैयार हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सेना और सरकार इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए जल्द मंजूरी देगी या नहीं?

अगर LUH को सेना में जल्दी स्वीकृति नहीं मिलती है, तो इससे सेना के पुराने चेतक और चीता हेलीकॉप्टरों को बदलने की प्रक्रिया में देरी होगी। ये हेलीकॉप्टर पहले ही तकनीकी रूप से पुराने हो चुके हैं, इनके लिए स्पेयर पार्ट्स मिलना मुश्किल हो रहा है और इनकी उड़ान सुरक्षा को लेकर भी चिंता बनी हुई है।

टाटा के साथ मिल कर हेलीकॉप्टर बनाएगी एयरबस

इस बीच, विदेशी कंपनियां भी भारतीय सेना के हल्के हेलीकॉप्टरों की इस दौड़ में शामिल हो चुकी हैं। फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी एयरबस ने ने टाटा ग्रुप के साथ मिलकर भारत में H125 हेलीकॉप्टर के लिए फाइनल असेंबली लाइन (FAL) तैयार का एलान किया है। टाटा समूह की सहायक कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) एयरबस हेलीकॉप्टर्स के साथ मिलकर यह फैसिलिटी बना रही है। एफएएल भारत के लिए अपनी सिविल रेंज से एयरबस के सबसे अधिक बिकने वाले एच125 हेलीकॉप्टर का उत्पादन करेगा तथा कुछ पड़ोसी देशों को निर्यात करेगा। एच125 एक हल्का सिविल हेलीकॉप्टर है जो छह लोगों को ले जा सकता है।

रूसी हेलीकॉप्टर कामोव Ka-226T की वापसी?

एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, रूस का कामोव Ka-226T हेलीकॉप्टर भारतीय सेना की सूची में दोबारा शामिल हो सकता है। 2015 में इस हेलीकॉप्टर को 200 यूनिट्स के लिए चुना गया था, लेकिन भारत-रूस जॉइंट प्रोडक्शन स्कीम पर सहमति नहीं बन पाई और यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की हालिया मास्को यात्रा के बाद इस प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

भारतीय सेना को करीब 400 हल्के हेलीकॉप्टरों की जरूरत है, जिनमें से 187 LUH के लिए आरक्षित किए गए हैं, जबकि बाकी 200 हेलीकॉप्टर विदेशी सप्लायर्स के लिए ओपन टेंडर के तहत खरीदे जाएंगे। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सेना Ka-226T को फिर से प्राथमिकता देती है या LUH को भारतीय सेना में जगह मिलती है।

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सेना की नई रणनीति: चार्टर्ड हेलीकॉप्टर सेवाओं पर जोर

LUH और अन्य विदेशी हेलीकॉप्टरों की देरी के चलते सेना को अपने ऑपरेशनल गैप को भरने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशने पड़ रहे हैं। सेना की नॉर्दन कमान ने कुछ इलाकों में चार्टर्ड हेलीकॉप्टर सेवाएं शुरू कर दी हैं। यह फैसला सेना के भविष्य की प्रोक्योरमेंट पॉलिसीज को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि इससे सरकार और सेना को फौरी तौर पर हेलीकॉप्टरों की कमी को पूरा करने में मदद मिल रही है।

सेना के लिए हेलीकॉप्टरों का महत्व

भारतीय सेना के हेलीकॉप्टर बेड़े का मॉर्डनाइजेशन केवल एक सामान्य प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक जरूरत भी है। लद्दाख, सियाचिन, अरुणाचल प्रदेश और उत्तर सिक्किम जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में सैन्य अभियानों के लिए हल्के हेलीकॉप्टरों चाहिए। वर्तमान में सेना के पास तीन प्रमुख एयर ब्रिगेड हैं— लेह, मिसामारी और जोधपुर। सेना के पास इस समय लगभग 190 चेतक, चीता और चीतल हेलीकॉप्टर, 145 ALH ध्रुव और 75 रुद्र (ALH-WSI) हेलीकॉप्टर हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश पुराने हो चुके हैं और सेना को अत्याधुनिक, बेहतर परफॉरमेंस वाले हेलीकॉप्टरों की जरूरत है।

इसके अलावा, हेलीकॉप्टर आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी अहम भूमिका निभाते हैं। विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व के इलाकों में आतंकवाद रोधी अभियानों में हेलीकॉप्टर बेहद कारगर साबित होते हैं। इसके अलावा, आपदा राहत अभियानों, सैनिकों की तैनाती और चिकित्सा निकासी (Casualty Evacuation – CASEVAC) में भी इनका इस्तेमाल होता है।

क्या LUH बनेगा भारतीय सेना की पहली पसंद?

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लिए यह समय बेहद अहम है। सेना फरवरी के अंत में एक हाई लेवल मीटिंग करने जा रही है, जिसमें यह तय किया जाएगा कि LUH को कब तक और कितनी संख्या में सर्विस में शामिल किया जाएगा। यदि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को संतुष्ट करने में सफल होता है, तो यह परियोजना पूरी तरह से भारतीय बन सकती है और देश की आत्मनिर्भरता नीति को और मजबूती मिलेगी।

LUH क्यों है भारत के लिए अहम?

विशेषज्ञों के मुताबिक, LUH का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे विशेष रूप से भारतीय सेना की जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया है। यह हेलीकॉप्टर 6,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर भी प्रभावी तरीके से काम कर सकता है, जो लद्दाख, सियाचिन और अरुणाचल प्रदेश जैसे इलाकों के लिए जरूरी है। इसके अलावा, इसका हल्का फ्रेम और शक्तिशाली शक्ति-1यू इंजन दुर्गम इलाकों में आसानी से उड़ान भर सकता है। लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय निर्माताओं का प्रभाव बढ़ता गया और HAL ने ट्रायल्स जल्द पूरा नहीं किए, तो सेना H125 जैसे विदेशी विकल्पों की ओर बढ़ सकती है। वहीं, विदेशी हेलीकॉप्टरों की खरीद से भारत का आत्मनिर्भरता अभियान कमजोर हो सकता है। विदेशी हेलीकॉप्टरों की मेंटेनेंस, स्पेयर पार्ट्स और अपग्रेड्स पूरी तरह से बाहरी सप्लायर्स पर निर्भर रहते हैं, जबकि LUH के साथ ऐसी समस्या नहीं होगी।

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