📍नई दिल्ली | 7 Feb, 2025, 2:16 PM
Indian Army Helicopter Fleet: भारतीय सेना ने मॉर्डनाइजेशन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने एविएशन सेक्टर को मजबूत करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत, सेना जल्द ही निगरानी और टोही अभियानों के लिए लगभग 250 नए हेलिकॉप्टरों को शामिल करने जा रही है। यह कदम सेना की पुरानी हो चुकी हेलिकॉप्टर फ्लीट को बदलने के लिए उठाया जा रहा है, जिससे सेना की ऑपरेशनल कैपेबिलिटी में जबरदस्त सुधार होगा।
Indian Army Helicopter Fleet: चेतक और चीता भी बदले जाएंगे
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी हेलिकॉप्टर फ्लीट अब पुरानी हो चुकी है और इसे बदलना समय की मांग है। चेतक और चीता जैसे हेलिकॉप्टर, जो पिछले कई दशकों से सेना की सेवा में हैं, अब पुराने पड़ चुके हैं। ये हेलिकॉप्टर 1960 के दशक में बनाए गए थे और 1970 के दशक में सेना में शामिल हुए थे। हालांकि, इन पर आज भी भरोसा किया जा सकता है। लेकिन आज के समय में इनमें लेटेस्ट एवियोनिक्स, सेफ्टी फीचर्स और ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी की कमी है।
उन्होंने बताया कि सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत स्वदेशी उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है।” सेना के लिए प्रस्तावित मुख्य हेलिकॉप्टरों में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (LUH), रूस का कामोव-226T, और एयरबस H125 शामिल हैं।
Indian Army Helicopter Fleet: सिंगल इंजन बड़ी समस्या
सूत्रों के मुताबिक इन पुराने हेलिकॉप्टरों की एक और बड़ी समस्या उनकी सिंगल-इंजन कॉन्फ़िगरेशन है, जिससे ऑपरेशन के दौरन जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, उनकी पेलोड क्षमता भी सीमित है, एक बड़ी समस्या है, जिससे सैनिकों और सैन्य साजोसामान को ले जाने में कठिनाई होती है। इन हेलिकॉप्टरों के लिए स्पेयर पार्ट्स भी नहीं मिल पाते, जिससे इनके मेंटेनेंस में समस्याएं आ रही हैं।
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Indian Army Helicopter Fleet: लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (LUH) प्रमुख दावेदार
मेक इन इंडिया पहल के तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर (LUH) प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। यह हेलिकॉप्टर हाई एस्टीट्यूड इलाकों में बेहतरीन प्रदर्शन करता है और चेतक और चीता हेलिकॉप्टरों की जगह लेने की तैयारी में है।
इसके अलावा, रूस के कामोव-226T और एयरबस का H125 भी इस रेस है। कामोव-226T एक डबल इंजन वाला हेलिकॉप्टर है, जो अपनी सेफ्टी और मॉड्यूलर डिज़ाइन के लिए जाना जाता है। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य जियोपॉलिटिकल परिस्थितियों के चलते इस हेलिकॉप्टर की खरीद में देरी हुई है। दूसरी तरफ, एयरबस का H125 दुनियाभर में अपनी हाई एल्टीट्यूड कैपेबिलिटी और एडवांस एवियोनिक्स के लिए जाना जाता है।
सेना के एविएशन कोर की चुनौतियां
भारतीय सेना का एविएशन कोर, भले ही सेना की सबसे लेटेस्ट ब्रांचों में से एक है, लेकिन मॉर्डन वारफेयर में इसका रोल बेहद अहम है। यह ब्रांच वॉर मिशन, निगरानी, लॉजिस्टिक्स, घायल सैनिकों की निकासी और मानवीय मदद में सबसे आगे रहती है।
भारतीय सेना दुनिया के कुछ सबसे दुर्गम इलाकों में काम करती है, जहां हेलिकॉप्टरों से कनेक्टिविटी संभव है। लद्दाख, सियाचिन ग्लेशियर, उत्तर सिक्किम, और अरुणाचल प्रदेश जैसे हाई एल्टीट्यूड इलाकों में माइन जीरो डिग्री टेंपरेचर, खराब मौसम और पतली हवा में हेलिकॉप्टर ऑपरेट करना बेहद मुश्किल होता है। इन्हीं चुनौतियों को देखते हुए, भारतीय सेना ने अपनी हेलिकॉप्टर फ्लीट को अपग्रेड करने की व्यापक योजना शुरू की है।
सेना की एविएशन कोर होगी मजबूत
जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने 20 टोही और निगरानी हेलिकॉप्टरों को किराए पर लेने के लिए एक आरएफआई (Request for Information) जारी किया था, जो पांच सालों के लिए ग्राउंड सपोर्ट एक्विपमेंट्स के साथ आएंगे। फिलहाल, भारतीय सेना की एविएशन कोर लेह, मिसामारी और जोधपुर में तीन ब्रिगेड तैनात हैं, जिनके पास लगभग 190 चीता, चेतक और चीताल हेलिकॉप्टर, 145 ALH (एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर) और 75 रुद्र (ALH-WSI) हेलिकॉप्टर हैं। इसके अलावा, 25 ALH Mk-III हेलिकॉप्टरों के लिए भी ऑर्डर दिए गए हैं।
सेना के एक अधिकारी ने कहा, “हम न केवल पुराने हेलिकॉप्टरों को बदलने पर फोकस कर रहे हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि नए हेलिकॉप्टर मॉर्डन वारफेयर की सभी जरूरतों को पूरा करें। यह कदम भारतीय सेना को वैश्विक स्तर पर और मजबूत बनाएगा।”