📍नई दिल्ली | 5 months ago
Indian Army: 20 नवंबर 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों (Maharashtra Elections) का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस बार का चुनाव खासतौर पर इसलिए चर्चा में रहा, क्योंकि राज्य के नक्सल प्रभावित और दुर्गम इलाकों में भी मतदाताओं ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लिया। इसका श्रेय भारतीय सेना को जाता है, जिसने इस चुनौतीपूर्ण कार्य में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लोकतंत्र के लिए भारतीय सेना का समर्पण
भारतीय सेना ने चुनाव प्रक्रिया को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए। नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान करवाना एक बड़ा काम था, जहां न केवल सुरक्षा चुनौती थी, बल्कि बुनियादी ढांचे की कमी भी बड़ी समस्या थी। इन कठिनाइयों के बावजूद, सेना ने यह सुनिश्चित किया कि हर नागरिक अपने मताधिकार का उपयोग कर सके।
17 से 20 नवंबर तक भारतीय सेना ने अन्य सुरक्षा बलों के साथ मिलकर हेलीकॉप्टरों की मदद से चुनावी कर्मियों, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और अन्य आवश्यक सामग्रियों को दुर्गम इलाकों तक पहुंचाया। उन्होंने न केवल चुनाव सामग्री को समय पर पहुंचाया, बल्कि मतदान के बाद उन्हें सुरक्षित वापस भी लाया।
हेलीकॉप्टरों से मदद
भारतीय सेना ने इस अभियान के तहत अपने दो एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) तैनात किए। इन हेलीकॉप्टरों का उपयोग उन इलाकों में किया गया, जहां सड़क मार्ग से पहुंचना संभव नहीं था। सेना के पायलटों और कर्मियों ने दुर्गम क्षेत्रों जैसे सावरगांव, ग्यारापट्टी, मुरमगांव और काटेजरी में मतदान कर्मियों और ईवीएम को सुरक्षित पहुंचाया। ये सभी क्षेत्र नक्सल प्रभाव के कारण संवेदनशील माने जाते हैं।
भरीं 140 उड़ानें
चार दिनों की अवधि में भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों ने कुल 140 उड़ानें भरीं। इनमें से भारतीय सेना ने अकेले 17 उड़ानें पूरी कीं, जिसमें 124 यात्रियों और 8,385 किलोग्राम सामग्रियों को उन स्थानों पर भेजा गया। सेना ने यह सुनिश्चित किया कि मतदान से पहले और बाद में सब कुछ समय पर और सुरक्षित रूप से हो।
20 से 21 नवंबर को, मतदान प्रक्रिया के बाद सेना ने 9 उड़ानों के जरिए चुनाव कर्मियों और सामग्रियों को वापस लाने का काम भी पूरा किया। यह ऑपरेशन न केवल सेना की दक्षता, बल्कि उनके लोकतंत्र के प्रति समर्पण को भी दर्शाता है।
दुर्गम इलाकों में मतदान संभव हुआ
महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में मतदान करवाना आसान काम नहीं था। ये क्षेत्र न केवल भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी संवेदनशील हैं। इन इलाकों में नक्सल गतिविधियों के कारण अक्सर डर और असुरक्षा का माहौल बना रहता है। ऐसे में भारतीय सेना ने न केवल सुरक्षा बलों के साथ समन्वय किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि स्थानीय लोग बिना किसी डर के अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
मतदाताओं का उत्साह
भारतीय सेना और सुरक्षा बलों की मेहनत से इन दुर्गम इलाकों में जब मतदान हुआ, तो स्थानीय मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया। पहली बार कई ऐसे क्षेत्रों में लोग मतदान केंद्रों तक पहुंचे, जहां पहले लोकतंत्र केवल एक सपना था। नक्सल प्रभावित सावरगांव की रहने वाली 58 वर्षीय गायत्री देवी ने कहा, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारे गांव में चुनाव होगा। भारतीय सेना की वजह से हमें यह मौका मिला।”
इसी तरह, 22 वर्षीय रोहित, जो पहली बार वोट डालने के लिए पहुंचे, ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व का पल है। सेना ने हमारे लिए जो किया, उसके लिए हम उनके आभारी हैं।”
भारतीय सेना की भूमिका पर गर्व
चुनावों के दौरान भारतीय सेना ने यह साबित किया कि वह केवल देश की सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाती है। इस मिशन में सेना के जवानों ने न केवल दुर्गम इलाकों में पहुंचकर मतदान की व्यवस्था को सुचारू बनाया, बल्कि उन क्षेत्रों में लोगों का भरोसा भी जीता।
सैनिकों का यह प्रयास दिखाता है कि लोकतंत्र केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि इसे जीवित रखने के लिए हर स्तर पर कोशिश करनी होती है। भारतीय सेना के इस कदम ने यह सुनिश्चित किया कि न केवल शहरी इलाकों, बल्कि दूर-दराज के ग्रामीण और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोग भी लोकतंत्र का हिस्सा बनें।
एकता और भरोसे की जीत
इस चुनाव ने यह भी दिखाया कि जब सरकार, सुरक्षा बल और आम लोग मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। सेना और सुरक्षा बलों ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि हर एक नागरिक को अपने मत का अधिकार मिले।
यह अभियान केवल चुनावी प्रक्रिया को पूरा करने तक सीमित नहीं था, बल्कि यह लोगों के दिलों में लोकतंत्र के प्रति विश्वास को और मजबूत करने का प्रयास भी था। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के लिए यह एक संदेश था कि सरकार और सेना उनके साथ खड़ी है।
लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 भारतीय लोकतंत्र की ताकत का एक और उदाहरण है। भारतीय सेना ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ देश की सीमाओं पर नहीं, बल्कि देश के हर कोने में लोकतंत्र को मजबूत करने में भी पूरी तरह सक्षम है।