Indian Army: भारतीय सेना ने सिविलयन हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया शुरू; रसद, सैनिकों की आवाजाही और इमरजेंसी सेवाओं के लिए कर रहे यूज

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 5 months ago

Indian Army: सर्दियों के आगमन के बीच, भारतीय सेना ने अपने रसद और आपातकालीन सेवाओं के लिए एक नया रणनीतिक कदम उठाया है। इस बार सेना ने सिविलियन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल शुरू किया है। यह पहल सैनिकों की आवाजाही, कार्गो डिलीवरी, और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं (CASEVAC) के लिए की गई है। यह कदम न केवल रसद प्रणाली में सुधार करेगा बल्कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों की जरूरतों को तेजी से पूरा करने में भी मदद करेगा।

Indian Army: Civilian Helicopters Deployed for Logistics, Troop Movement, and Emergency Services

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Indian Army: सैनिकों के लिए रसद पहुंचाने में नई पहल

सेना ने सिविलियन हेलीकॉप्टरों को रसद पहुंचाने, सैनिकों को स्थानांतरित करने और आपातकालीन सेवाओं के लिए शामिल किया है। यह पहल उत्तरी कमान (Northern Command) की “ध्रुव कमांड” (Dhruva Command) के तहत शुरू की गई है। इस कदम से न केवल रसद पहुंचाने की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि कठिन और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिशन की तत्परता भी बढ़ेगी।

सर्दियों की दस्तक ने सेना के लिए रसद पहुंचाने का काम और कठिन बना दिया है। भारतीय सेना को हर साल सर्दियों से पहले अग्रिम चौकियों पर अगले छह महीने की जरूरतों का इंतजाम करना होता है। इस बार भारतीय वायुसेना ने अपने सैन्य हेलीकॉप्टरों को रिजर्व रखने का फैसला किया है, जिससे युद्ध जैसी स्थिति में इनका इस्तेमाल अन्य प्राथमिकताओं के लिए किया जा सके। ऐसे में रसद और सैनिकों की आवाजाही के लिए सिविल हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल एक कुशल और ‘सस्ता’ विकल्प बन सकती है।

क्या हैं सिविलियन हेलीकॉप्टरों के फायदे

सूत्रों के अनुसार, सेना ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की हेलीकॉप्टर कंपनियों जैसे पवन हंस के साथ अनुबंध किया है। इस अनुबंध के तहत, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अन्य कठिन क्षेत्रों की 44 चौकियों तक रसद, ईंधन, और चिकित्सा सुविधाएं पहुंचाई जाएंगी।

  • जम्मू क्षेत्र: 16 चौकियों को कवर किया जाएगा।
  • कश्मीर और लद्दाख: 28 चौकियां रसद सेवाओं के दायरे में होंगी।
  • माउंटिंग बेस: सात बेस लद्दाख में, दो कश्मीर में और एक जम्मू क्षेत्र में होंगे।

इस अनुबंध को हर साल नवीनीकृत किया जाएगा, और यह सुनिश्चित करेगा कि सर्दियों में भी कठिन इलाकों में सैनिकों को सभी आवश्यक सुविधाएं मिलती रहें।

  • लागत में कमी: सेना के हेलीकॉप्टरों के बजाय सिविलियन हेलीकॉप्टरों का उपयोग करना अधिक किफायती है।
  • हेलीकॉप्टरों की सेवा अवधि में वृद्धि: सेना के हेलीकॉप्टरों का उपयोग केवल युद्ध और आपातकालीन स्थितियों में किया जा सकेगा, जिससे उनकी लाइफ बढ़ेगी।
  • लॉजिस्टिक्स का निर्बाध संचालन: सर्दियों में भी ऊंचाई वाले इलाकों में रसद और मेडिकल सपोर्ट सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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उत्तराखंड और हिमाचल में योजना

वहीं, भारतीय वायुसेना ने भी रसद और ऑपरेशनल तैयारियों को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

  • उत्तराखंड में तीन हवाई पट्टियों (पिथौरागढ़, गौचर और धरासू) को अपने नियंत्रण में लेने की तैयारी चल रही है। ये पट्टियां चीन सीमा के नजदीक रणनीतिक महत्व रखती हैं।
  • हिमाचल प्रदेश में स्पीति घाटी के रंगरिक में नई हवाई पट्टी बनाने की योजना है। यह हवाई पट्टी सर्दियों में भी सैनिकों और रसद के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

भारतीय वायुसेना का प्लान बी

भारतीय वायुसेना ने भी सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। 20 हवाई अड्डों का विकास किया जा रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर भारी उपकरण, टैंक और सैनिकों को तैनात किया जा सके।

  • लेह एयरबेस पर दूसरा रनवे: यह रनवे लद्दाख और सियाचिन में रसद पहुंचाने में मदद करेगा।
  • सी-130 जे विमान का उपयोग: हिमाचल और उत्तराखंड में सिविलियन रनवे पर इन विमानों की सफलतापूर्वक लैंडिंग हो चुकी है।

भारतीय सेना की तैयारी और चुनौतियां

सर्दियों में जब तापमान -40 डिग्री सेल्सियस तक गिरता है और बर्फबारी से हालात और कठिन हो जाते हैं, तब भी भारतीय सैनिक अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार रहते हैं। सेना के पास विंटर वॉरफेयर का अच्छा अनुभव है, जो इन कठिन परिस्थितियों में उसे मजबूती देता है।

वहीं, भारतीय सेना और वायुसेना ने सर्दियों के दौरान रसद और आपातकालीन सेवाओं के लिए मजबूत तैयारी की है। सिविलियन हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल से न केवल रसद पहुंचाने की प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि सैन्य हेलीकॉप्टरों की लाइफ लाइन भी बढ़ेगी। साथ ही, यह कदम सेना के रणनीतिक दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा। भारतीय सेना और वायुसेना की यह पहल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

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