📍नई दिल्ली | 13 Dec, 2024, 5:22 PM
India-China Disengagement: ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर देपसांग और डेमचॉक में भारत और चीन की सेना के बीच हुए डिसइंगेजमेंट के बाद बड़ी खबर सामने आई है। 12 दिसंबर, 2024 की हालिया सैटेलाइट इमेजरी से यह संकेत मिलता है कि चीन ने 21 अक्टूबर 2024 में अपने तीन पोस्ट्स को हटाकर देपसांग बुल्ज़ में नए स्थानों पर तैनाती की है। चीनी सेना करीब 20 किमी पीछे हटी है। सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना के इस कदम से साल 2013 से पहले वाली पुरानी स्थिति बहाल हो गई है। इस कदम के बाद भारत को पहले से अवरुद्ध पेट्रोलिंग मार्गों तक पहुंच प्राप्त हुई है।

नई सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि वाई-जंक्शन 1 और 2 पर मौजूद चीनी सेना ने अपनी आउट पोस्टों को हटा लिया है और चीनी सेना पीछे हट गई है। इनमें से दो पोस्टों को चीनी सेना ने अक्टूबर 2024 में भारत-चीन डिसइंगेजमेंट समझौते के बाद हटा दिया था। जिसके चलते भारतीय सेना पीपी-10 से पीपी-12 तक अपनी पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही थी। हालांकि चीन ने जो तीसरी पोस्ट बनाई है वह पीपी-13 से कुछ दूर बनाई है। वहीं, चीन ने जो नया इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है वह अस्थाई है औऱ प्री-फैब यूनिट्स से बनाया है।
इससे पहले पिछले महीने नवंबर में जो सैटेलाइट इमेज सामने आईं थीं, उनके अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अपनी कुछ अस्थायी चौकियों और इंफ्रास्ट्रक्चर को राकी नाला, वाई-जंक्शन 1 और वाई-जंक्शन 2 के पास से हटाया था। उसने राकी नाला के स्रोत के पास और बुर्त्सा नाला के ऊपरी हिस्से में दो नई अस्थायी चौकियां बनाई थीं। इन नई पोस्ट्स को ऑपरेशनल ट्रैक्स से जोड़ा गया है, जिससे चीनी सेना की मोबिलिटी बनी रहे। हालांकि यह नई स्थिति भारतीय सेना के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है क्योंकि यह इन इलाकों के पारंपरिक पेट्रोलिंग रूट्स को प्रभावित कर सकती है।
India-China Disengagement: क्या PLA ने LAC पार की?
इस घटनाक्रम से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पार अपनी चौकियों को पूरी तरह से हटा लिया है या नहीं। कई सैटेलाइट इमेजरी में चीनी पोस्ट और तंबू “नो-डिप्लॉयमेंट ज़ोन” के भीतर दिखाई दे रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की यह नई रणनीति भारतीय पेट्रोलिंग रूट्स के आसपास अपनी उपस्थिति को बरकरार रखने का प्रयास हो सकती है।
India-China Disengagement: देपसांग बल्ज से चीनी सेना की हुई वापसी! लेकिन “नो-डिप्लॉयमेंट जोन” में बनाईं दो पोस्ट, भारतीय सेना के लिए चुनौतियां बरकरार
पेट्रोलिंग में सीमित राहत
हालांकि भारतीय सेना ने देपसांग क्षेत्र में पेट्रोलिंग को फिर से शुरू किया है, यह केवल कुछ निश्चित क्षेत्रों तक ही सीमित है। पहले जहां पेट्रोलिंग पॉइंट्स (PP) 10 से 13 तक नियमित गश्त होती थी, अब इन क्षेत्रों में चीनी पोस्ट्स और सड़कों की मौजूदगी भारतीय सेना की पेट्रोलिंग को सीमित कर रही है।
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि PLA ने रणनीतिक रूप से अपनी उपस्थिति को इस तरह रीस्ट्रक्चर किया है ताकि भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर नजर रखी जा सके।
भारत-चीन वार्ता: विश्वास बहाली की ओर कदम
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल दिसंबर के अंत में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करने वाले हैं। दोनों देशों के स्पेशल रिप्रेंजेटेटिव (एसआर) स्तर की यह बैठक सीमा विवाद के समाधान के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसमें लद्दाख और अन्य क्षेत्रों में तैनाती, पेट्रोलिंग, और बफर जोन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। दिसंबर के अंत में प्रस्तावित विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता, गलवान घाटी संघर्ष के बाद से होने वाली पहली उच्च स्तरीय बैठक होगी। इससे पहले, ऐसी आखिरी वार्ता तनाव बढ़ने से पहले दिसंबर 2019 में आयोजित की गई थी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह वार्ता भारत और चीन के बीच विश्वास बहाली और सीमा विवाद को स्थाई समाधान की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस नए घटनाक्रम ने भारत को रणनीतिक रूप से कुछ अवसर प्रदान किए हैं, लेकिन चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। देपसांग क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए दोनों देशों को पारदर्शिता और विश्वास के साथ काम करना होगा।