ECHS card suspension: ECHS ने पेंशनर्स को क्यों जारी किया ‘कारण बताओ नोटिस’, बंद होगा कार्ड, लौटाना होगा इलाज का खर्च?

Photo of author

By हरेंद्र चौधरी

Kindly Promote Us:

📍नई दिल्ली | 4 months ago

ECHS card suspension: भारतीय सेना के रिटायर्ड जवानों और उनके परिवारों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की रीढ़ कहे जाने वाले ECHS (Ex-Servicemen Contributory Health Scheme) ने हाल ही में ऐसा कदम उठाया है, जिसने पेंशनर्स के बीच चिंता और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। कई पेंशनर्स को ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजा गया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि उन्होंने इलाज के लिए प्राइवेट अस्पतालों का चुनाव क्यों किया। इस नोटिस में यह भी कहा गया है कि उनकी चिकित्सा पर हुए खर्च को वापस लिया जा सकता है।

ECHS Card Suspension: Why Pensioners Received ‘Show Cause Notices’?
Credit: AI Image for Rep. Only
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

ECHS card suspension: Why did ECHS send notice? : क्यों भेजे ECHS ने नोटिस

ECHS भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जो पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है। योजना के तहत, पेंशनर्स और उनके परिवारों को सरकारी या ECHS सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है।

ECHS: आयुष्मान कार्ड को लेकर ईसीएचएस ने पूर्व-सैनिकों को किया सावधान! अगर की ये गलती तो जिंदगी भर पड़ेगा पछताना

हालांकि, हाल ही में कई पेंशनर्स को ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजे गए हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि कुछ पेंशनर्स ने योजना के दिशानिर्देशों का पालन किए बिना निजी अस्पतालों में इलाज करवाया। ECHS अधिकारियों का कहना है कि ये कदम योजना के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है।

ECHS card suspension: नोटिस भेजने के पीछे की वजह

ECHS के नियम कहते हैं कि इलाज केवल सूचीबद्ध अस्पतालों में होना चाहिए। अगर किसी आपातकालीन स्थिति में प्राइवेट अस्पताल में इलाज करवाना पड़े, तो इसका खर्चा ECHS से मंजूर कराना होगा। लेकिन, ECHS को शिकायतें मिलीं कि कई पेंशनर्स ने निजी अस्पतालों में इलाज कराकर बढ़े हुए खर्चे का दावा किया है।

ECHS ने ऐसे पेंशनर्स को नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा है कि क्यों न उनका कार्ड अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाए।

पेंशनर्स की ये हैं दिक्कतें

कई पेंशनर्स का कहना है कि ECHS क्लीनिक में अक्सर डॉक्टर मौजूद नहीं होते, दवाइयों की कमी रहती है और कई जरूरी टेस्ट वहां उपलब्ध नहीं हैं। यही कारण है कि उन्हें प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। पेंशनर्स का यह भी कहना है कि क्लेम प्रक्रिया इतनी लंबी और जटिल है कि उसमें कई बार तकनीकी खामियां रह जाती हैं। उनका यह भी कहना है कि इमरजेंसी के दौरान उन्हें यह तय करने में मुश्किल होती है कि ECHS क्लीनिक जाएं या सीधे प्राइवेट अस्पताल।

राजस्थान के एक रिटायर्ड मेजर का कहना है, “मैंने कई बार ECHS क्लीनिक में कोशिश की, लेकिन मुझे हर बार किसी ना किसी कारण से लौटा दिया गया। मजबूरी में मुझे प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ा। अब अगर ये नोटिस मुझे खर्च वापस करने को कहते हैं, तो मैं क्या करूं?”

ECHS Scam: ईसीएचएस योजना में घोटालों से परेशान सेना! रोक लगाने के लिए जारी की ये नई गाइडलाइंस

सरकारी अस्पतालों में लंबी वेटिंग

ECHS योजना में कई सरकारी और पैनल में शामिल अस्पतालों को जोड़ा गया है, लेकिन इनकी सेवाएं सीमित हैं। सरकारी अस्पतालों में लंबी वेटिंग लिस्ट और जरूरी संसाधनों की कमी के चलते मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।

दूसरी ओर, प्राइवेट अस्पताल मरीजों को तत्काल सुविधाएं देते हैं, लेकिन इसके बदले में मोटी फीस लेते हैं। पेंशनर्स के अनुसार, “अगर कोई मेडिकल इमरजेंसी हो और ECHS सुविधाएं उपलब्ध न हों, तो हमारे पास और क्या विकल्प बचता है?”

प्राइवेट अस्पतालों और पेंशनर्स के बीच मिलीभगत

ECHS अधिकारियों का कहना है कि कुछ मामलों में यह देखा गया है कि प्राइवेट अस्पतालों और पेंशनर्स के बीच मिलीभगत चल रही है। इसमें फर्जी बिल तैयार किए जाते हैं और योजना का दुरुपयोग होता है। अधिकारियों का कहना है कि नोटिस जारी करने का उद्देश्य ऐसे मामलों की जांच करना और योजना की पारदर्शिता बनाए रखना है। ECHS अधिकारियों ने कहा है कि यह कदम किसी को परेशान करने के लिए नहीं उठाया गया है। उनका कहना है कि योजना का उद्देश्य पेंशनर्स को स्वास्थ्य सेवाएं देना है।

ECHS Card Suspension: Why Pensioners Received ‘Show Cause Notices’?

ECHS card suspension: क्या ECHS कार्ड का होगा निलंबन

जिन पेंशनर्स को नोटिस मिला है, उनके लिए ECHS ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर वे उचित जवाब नहीं दे पाए, तो उनका कार्ड अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि वे ECHS की स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाएंगे। ECHS ने यह भी संकेत दिया है कि यदि पेंशनर्स की दलीलें संतोषजनक नहीं हुईं, तो उन्हें इलाज का खर्च खुद वहन करना पड़ सकता है। इससे पेंशनर्स के बीच चिंता का माहौल बन गया है।

ECHS ने कहा है कि सभी पेंशनर्स को अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा। लेकिन अगर पेंशनर्स उचित कारण दे पाते हैं, तो उनके कार्ड को निलंबित नहीं किया जाएगा। वहीं, भविष्य में नियमों को स्पष्ट करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

देश के लिए अपनी जिंदगी दी, अब इलाज का पैसा वापस मांग रहे

वहीं, कई पेंशनर इस नोटिस के आने के बाद से परेशान हैं। कई पेंशनर्स को पहले ही अपने इलाज पर मोटा खर्च उठाना पड़ता है। अब अगर उन्हें वह खर्च वापस करना पड़ा, तो यह उनके लिए और भी मुश्किल हो जाएगा।

रिटायर्ड कर्नल अशोक शर्मा कहते हैं कि उन्होंने हाल ही में ECHS के जरिए इलाज करवाया था, वह बताते हैं,

“मेरे क्षेत्र में ECHS का नजदीकी अस्पताल 40 किलोमीटर दूर है। जब मेरी पत्नी को अचानक स्वास्थ्य समस्या हुई, तो मुझे नजदीकी प्राइवेट अस्पताल जाना पड़ा। अब मुझे नोटिस मिला है कि मैंने नियम तोड़ा है। यह मेरे लिए बहुत कठिनाई पैदा कर रहा है।”

वहीं रिटायर्ड सूबेदार राम सिंह का कहना है, “ECHS के नियम इतने जटिल हैं कि उन्हें समझना आसान नहीं है। मेरे इलाज का बिल 80,000 रुपये था, लेकिन अब ECHS कह रही है कि मैं इसे खुद भरूं। यह अन्यायपूर्ण है।”

दिल्ली के एक रिटायर्ड सूबेदार ने बताया, “हमने देश के लिए अपनी जिंदगी दी। अब जब हमें स्वास्थ्य सुविधाओं की जरूरत है, तो यह योजना ही हमारे खिलाफ हो गई है। मैं अपनी पेंशन से इलाज का खर्चा कैसे वापस कर सकता हूं?”

क्या कहते हैं जानकार?

ECHS के इस फैसले पर विशेषज्ञ भी अपनी राय दे रहे हैं। रक्षा मामलों के जानकार कर्नल (सेवानिवृत्त) मनोज त्रिपाठी का कहना है, “ECHS एक महत्वपूर्ण योजना है, लेकिन इसके संचालन में पारदर्शिता और सरलता होनी चाहिए। पेंशनर्स को अनावश्यक परेशान करना सही नहीं है।”

वहीं, ECHS से जुड़े अस्पतालों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कई पेंशनर्स का कहना है कि सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती। इसके अलावा, कई बार अस्पताल जरूरी सेवाएं देने में भी असमर्थ रहते हैं।

The ECHS card suspension has raised concerns about the role of ECHS-affiliated hospitals. Many pensioners claim that the quality of treatment in listed hospitals is not satisfactory. Additionally, hospitals often struggle to provide essential services.

Kindly Promote Us:
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Comment

Share on WhatsApp