📍नई दिल्ली | 4 months ago
LCA Tejas Mk2 delay: जहां चीन एक तरफ छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की टेस्टिंग कर रहा है, वहीं भारत के चौथी पीढ़ी के फाइटर जेट्स के डेवलपमेंट की राह में रोड़े खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान LCA Tejas Mk2 के लिए अमेरिकी कंपनी से GE-414 इंजन की सप्लाई को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस से इंजन की सप्लाई को लेकर की गई डील में अब नए GE-414 इंजन की कीमत बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। कीमतों को लेकर अब अमेरिकी कंपनी और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच इस पर चर्चा जारी है।
बता दें कि LCA Mark-1A में इस्तेमाल होने वाले GE-404 इंजन की सप्लाई में पहले ही 18 महीने से अधिक की देरी हो चुकी है। अब यह सप्लाई मार्च 2025 से पहले शुरू होने की उम्मीद नहीं है। सूत्रों के अनुसार, GE-414 इंजन सौदे की कीमत इस देरी और सप्लाई चेन की चुनौतियों के कारण बढ़ सकती है। अमेरिकी निर्माता कंपनी ने सप्लाई चेन से जुड़ी समस्याओं को इस देरी की वजह बताया है।
The delay in the development of LCA Tejas Mk2 is primarily due to the necessary integration of the GE-414 engine. The incorporation of this engine is crucial for enhancing the performance and capabilities of the aircraft.
क्यों जरूरी है GE-414 इंजन?
GE-414 इंजन प्रोजेक्ट भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान कार्यक्रम के लिए बेहद अहम है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारत को 4th जनरेशन का लड़ाकू विमान विकसित करने में आत्मनिर्भर बनाना है। हालांकि, GE-404 इंजन की देरी और अन्य तकनीकी दिक्कतों के चलते यह कार्यक्रम प्रभावित हो रहा है।
GE-414 इंजन 98 किलो न्यूटन की ताकत वाला एडवांस इंजन है, जिसे LCA Mk 2 के लिए डिजाइन किया गया है। भारतीय वायुसेना को अपनी ऑपरेशनल कैपेबिलिटी बनाए रखने और मॉर्डर्न वारफेयर का सामना करने के लिए इन विमानों की सख्त जरूरत है।
इंजन आपूर्ति में देरी का असर न केवल LCA मार्क 1A और मार्क 2 परियोजनाओं पर पड़ा है, बल्कि इंजन सप्लाई में हो रही देरी ने भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियों को भी प्रभावित किया है। HAL और रक्षा मंत्रालय के बीच चल रही चर्चाओं के बावजूद, समय पर इंजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने में चुनौतियां बनी हुई हैं। वायुसेना ने पहले ही 83 LCA Mark-1A विमानों का ऑर्डर दिया है और 97 और विमानों की आवश्यकता पर काम चल रहा है।
तेजस के प्रोडक्शन में देरी पर संसदीय समिति ने जताई नाराजगी
भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने और स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से संसद की स्थायी रक्षा समिति ने तेजस लड़ाकू विमानों के उत्पादन में हो रही देरी पर चिंता जाहिर की है। समिति ने शीतकालीन सत्र के दौरान रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए कदम उठाए। यह सिफारिश समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में पेश की गई रिपोर्ट में की गई है।
HAL को वायुसेना के लिए 83 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का ऑर्डर दिया गया था, जिसकी कुल लागत 48,000 करोड़ रुपये है। इन विमानों की डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होनी थी, लेकिन अभी तक एक भी विमान वायुसेना को सौंपा नहीं गया है। समिति ने इस देरी पर गहरी चिंता जताई है और HAL को अपनी उत्पादन क्षमता में सुधार करने का निर्देश दिया है।
LCA Tejas Mk2 delay: वायुसेना में स्क्वाड्रन की कमी
रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान और चीन के साथ संभावित दो-फ्रंट युद्ध की तैयारी के लिए 42 फाइटर स्क्वाड्रन की जरूरत है। हालांकि, फिलहाल वायुसेना के पास केवल 31 सक्रिय स्क्वाड्रन हैं, जिनमें प्रत्येक में 16-18 लड़ाकू विमान शामिल हैं। यह कमी भारतीय सुरक्षा रणनीति के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
1983 में शुरू हुआ था LCA कार्यक्रम
भारत के हल्के लड़ाकू विमान विकास कार्यक्रम 1983 में शुरू हुआ था। तेजस LCA (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) भारत का पहला स्वदेशी लड़ाकू विमान है, जिसे 2001 में पहली बार उड़ाया गया। इस परियोजना का उद्देश्य भारतीय वायुसेना को स्वदेशी तकनीक से लैस करना और विदेशी विमानों पर निर्भरता को कम करना था। तेजस के डेवलपमेंट में कई तकनीकी चुनौतियां सामने आईं, लेकिन HAL और DRDO ने मिलकर इसे सफल बनाया। वर्तमान में LCA मार्क 1A भारतीय वायुसेना का हिस्सा है और मार्क 2 तथा AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) परियोजनाएं प्रगति पर हैं।
हालांकि, इंजन का मुद्दा लंबे समय से इस परियोजना के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहा है। शुरुआत में डीआरडीओ के बनाए स्वदेशी Kaveri इंजन का इस्तेमाल करने की योजना थी, लेकिन वह तकनीकी कमियों और जरूरी थ्रस्ट पावर न होने के कारण यह सफल नहीं हो पाया। इसके बाद भारत ने अमेरिकी GE-404 और GE-414 इंजन पर भरोसा जताया।
31 मार्च 2024 तक सौंपा जाना था पहला तेजस Mk-1A
भारतीय वायुसेना (IAF) को पहला तेजस Mk-1A विमान 31 मार्च 2024 तक सौंपा जाना था, लेकिन यह समय सीमा पूरी नहीं हो पाई। देरी के मुख्य कारणों में कुछ जरूरी सर्टिफिकेशन में बाधा और GE की ओर से समय पर इंजन की आपूर्ति न होना शामिल है। अमेरिकी कंपनी GE को वित्तीय वर्ष 2023-24 में HAL को छह F404 इंजन सप्लाई करने थे, लेकिन सप्लाई चेन की समस्याओं के कारण यह पूरा नहीं हो सका। सूत्रों के अनुसार, GE ने मैसाचुसेट्स स्थित लिन में F404 इंजन की प्रोडक्शन लाइन को कुछ साल पहले बंद कर दिया था। इसे फिर से शुरू करने पर पुर्जों और कंपोनेंट्स के सर्टिफिकेशन से जुड़ी दिक्कतें सामने आईं। अब GE ने इन समस्याओं का समाधान कर लिया है और HAL के अधिकारियों ने भी इस महीने GE के सप्लायर्स के साथ चर्चा की है।
LCA Tejas Mk1A Engine: ऑनलाइन मिल रहा तेजस का GE-F404 इंजन! यूजर बोले- HAL को कैश ऑन डिलीवरी ऑप्शन दे दो, अब शायद समय पर इंजन मिल जाए
तेजस Mk-1A पुराने Mk-1 वर्जन के मुकाबले ज्यादा आधुनिक है। इसमें उन्नत रडार, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और लंबी दूरी की मिसाइलें शामिल हैं। वहीं, HAL ने तेजस विमानों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नासिक में नई प्रोडक्शन लाइन स्थापित की है। यह लाइन सालाना 24 विमान बनाने की क्षमता रखती है, जबकि बेंगलुरु में मौजूदा प्रोडक्शन लाइन 16 विमान सालाना तैयार कर सकती है।
HAL और GE एयरोस्पेस ने तेजस Mk-2 के लिए F414 इंजन के संयुक्त उत्पादन का समझौता किया है। इस समझौते के तहत GE भारत में 80% तकनीकी हस्तांतरण (ToT) करेगा। यह पहल न केवल स्वदेशी जेट इंजनों के विकास को बढ़ावा देगी बल्कि निर्यात के लिए भी नई संभावनाएं खोलेगी। वहीं, तेजस Mk-1A वायुसेना के आधुनिकीकरण के रोडमैप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारतीय वायुसेना ने अगले दशक में 350 तेजस विमानों (Mk-1, Mk-1A और Mk-2) को शामिल करने की योजना बनाई है। यह विमान वायुसेना की भविष्य की युद्धक क्षमताओं का आधार बनेगा।
AMCA में अभी देरी
भारत के लड़ाकू विमान विकास कार्यक्रम में LCA Mark-1A और Mark-2 के साथ-साथ पांचवीं पीढ़ी के एडवांस मीडियम रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) का विकास भी शामिल है। AMCA प्रोजेक्ट को भविष्य में भारतीय वायुसेना की रीढ़ माना जा रहा है। यह विमान स्टेल्थ तकनीक, सुपरक्रूज़ क्षमता और एडवांस हथियार प्रणालियों से लैस होगा।
DRDO और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अधिकारियों के अनुसार, AMCA के प्रोटोटाइप की पहली टेस्टिंग फ्लाइट साल 2026-27 तक होने की उम्मीद है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा, तो इसका उत्पादन वर्ष 2032 तक शुरू हो सकता है।
AMCA की खासियतें
- स्टेल्थ डिजाइन: दुश्मन के रडार से बचने के लिए आधुनिक स्टेल्थ तकनीक।
- सुपरक्रूज़ क्षमता: बिना आफ्टरबर्नर के आवाज की गति से तेज उड़ान।
- सेंसर फ्यूजन: वास्तविक समय पर डेटा साझा करने की उन्नत प्रणाली।
- डुअल रोल: हवा से हवा और हवा से जमीन तक हमला करने की क्षमता।
- स्वदेशी इंजन: GE के साथ साझेदारी में बनाए जा रहे इंजन के साथ ToT (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर)।