LCA Tejas Mk1A को लेकर IAF प्रमुख ने सुनाई फिर खरी-खरी, HAL से क्यों नाखुश है वायुसेना? आप भी सुनें

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 2 months ago

LCA Tejas Mk1A: भारतीय वायुसेना (IAF) के प्रमुख एयर चीफ मार्शल (ACM) अमर प्रीत सिंह ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के प्रति अपनी नाराज़गी खुलकर जताई है। बेंगलुरु में एरो इंडिया शो के दौरान उन्होंने HAL के चेयरमैन डी.के. सुनील से सीधे सवाल करते हुए तेजस Mk1A जेट्स की देरी पर नाराजगी जाहिर की। वायुसेना प्रमुख ने जिस तरह से खुल कर अपनी नाराजगी जाहिर की है, उनके शब्द शायद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अधिकारियों की नींद उड़ाने के लिए काफी होंगे।

IAF Chief Slams HAL Over LCA Tejas Mk1A Delays – Why Is the Air Force Unhappy?

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LCA Tejas Mk1A: बोले- मुझे HAL पर कोई भरोसा नहीं

हाल ही में एरो इंडिया में एक कार्यक्रम के दौरान, एयर चीफ मार्शल सिंह ने HAL के चेयरमैन डीके सुनील के सामने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, “मैं आपको केवल यह बता सकता हूं कि हमारी जरूरतें और चिंताएं क्या हैं। आपको हमारी चिंताओं को दूर करना होगा और हमें भरोसा दिलाना होगा। फिलहाल, मुझे HAL पर कोई भरोसा नहीं है, और यह बहुत ही गलत है।”

उन्होंने यह बातें उस वक्त कहीं, जब एयर चीफ मार्शल सिंह HJT-36 यशस के कॉकपिट में बैठे ब्रीफिंग ले रहे थे। यह पूरी बातचीत एक वीडियो में कैद हो गई, जिसे डिफेंस न्यूज़ पोर्टल ने अपने यूट्यूब चैनल पर साझा किया है। इस छह मिनट के वीडियो में ACM सिंह के चेहरे पर नाराजगी साफ झलक रही थी।

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LCA Tejas Mk1A: फरवरी तक 11 तेजस Mk1A जेट्स देने का किया था वादा

एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि उन्हें फरवरी तक 11 तेजस Mk1A जेट्स तैयार होने का वादा किया गया था, लेकिन “एक भी विमान तैयार नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि HAL का काम करने का तरीका मिशन मोड में नहीं है, जो इस प्रोजेक्ट में देरी की सबसे बड़ी वजह है।

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सबसे गंभीर बात यह रही कि वायुसेना प्रमुख ने आरोप लगाया कि Aero India 2025 शो में पेश किए गए तेजस Mk1A जेट्स वास्तव में Mk1A नहीं हैं। “आपने जो विमान उड़ाया और उसे Mk1A कहा, वह Mk1A नहीं है। केवल सॉफ्टवेयर बदलने या लुक्स में बदलाव करने से यह Mk1A नहीं बन जाता। जब हथियार और क्षमताएं बढ़ेंगी, तभी इसे Mk1A कहा जा सकता है।”

वायुसेना प्रमुख की यह नाराजगी ऐसे समय पर सामने आई है, जब एक दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने HAL के तेजस Mk1A जेट्स के उत्पादन संयंत्र का दौरा किया था। उसके ठीक बाद Aero India शो में चार Mk1A जेट्स ने पहली बार सार्वजनिक उड़ान भी भरी थी।

वायुसेना प्रमुख बोले- जादू की छड़ी की जरूरत है

जब HAL की लीडरशिप एंड टेस्टिंग टीम ने आईएएफ चीफ सिंह की बातों को “ध्यानपूर्वक नोट करने” और सुधार करने का भरोसा दिया, तो उन्होंने जवाब दिया, “अगर मैं गलत साबित हुआ तो मैं सबसे खुश व्यक्ति होऊंगा। मुझे लगता है कि केवल कुछ लोग ही मेहनत कर रहे हैं, या फिर सभी बिना बड़ी तस्वीर को देखे अपने-अपने क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। कुछ बदलना होगा, कोई बड़ा बदलाव। यह सब ठीक करने के लिए किसी जादू की छड़ी की जरूरत है। अब समय आ गया है।”

मीडिया कवरेज पर भी जताई नाराज़गी

अपने पिछले बयानों की मीडिया में निगेटिव कवरेज को लेकर आईएएफ चीफ ने कहा, “मुझे यह मजाक लगता है कि जब मैं कुछ कहता हूं तो मीडिया केवल नकारात्मक हिस्से को ही उठाता है। मैं केवल एक मुद्दा उठाने की कोशिश कर रहा हूं। मैं किसी पर उंगली नहीं उठा सकता, क्योंकि तीन उंगलियां मेरी ओर भी इशारा कर रही होती हैं।”

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पहले भी कई बार एचएएल पर उठा चुके हैं सवाल

हालांकि यह पहली बार नहीं जब वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने तेजस की डिलीवरी को लेकर सवाल उठाए हों। वे इससे पहले ही कई बार एचएएल को कठघरे में खड़ा कर चुके हैं। पिछले महीने 9 जनवरी को भी 21वें सुब्रतो मुखर्जी सेमिनार में ‘वायुक्षेत्र में आत्मनिर्भरता’ पर बोलते हुए उन्होंने तेजस लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण में हो रही देरी पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था जहां एक ओर चीन छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का परीक्षण कर रहा है, वहीं भारत अभी भी स्वदेशी तेजस विमानों के अधिग्रहण का इंतजार कर रहा है। एयर चीफ मार्शल सिंह ने स्पष्ट किया था कि रक्षा क्षेत्र में समय का पालन बेहद जरूरी है, क्योंकि तकनीक समय के साथ अप्रासंगिक हो जाती है।

उन्होंने कहा था कि तेजस परियोजना की शुरुआत 1984 में हुई थी और 17 साल बाद इसका पहला विमान उड़ान भर सका। 2016 में तेजस को वायुसेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन 2025 तक भी पहले 40 विमानों की डिलीवरी पूरी नहीं हो सकी है। उन्होंने इसे देश की उत्पादन क्षमता की कमजोरी बताया था।

एयर चीफ मार्शल सिंह ने सुझाव दिया था कि रक्षा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, ताकि कंपनियों को यह एहसास हो कि ऑर्डर छिन भी सकते हैं। सिंह ने अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश बढ़ाने की जरूरत पर भी बल देते हुए कहा था फिलहाल रक्षा बजट का केवल 5% अनुसंधान पर खर्च किया जा रहा है, जबकि इसे 15% तक बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने चेताया कि अगर तकनीक समय पर विकसित नहीं हुई, तो उसका कोई फायदा नहीं होगा।

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