📍नई दिल्ली | 3 months ago
LCA Tejas Delivery: देश में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस (Tejas Mk-1) के उत्पादन में तेजी लाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने नासिक में चौथी असेंबली लाइन स्थापित करने की योजना बनाई है। एचएएल ने यह कदम अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) की ओर से F-404 इंजन की आपूर्ति में हो रही देरी के चलते उठाया है।
HAL के सूत्रों के अनुसार, GE ने अब तक 26 इंजन के ऑर्डर में देरी की है। हालांकि, कंपनी ने वादा किया है कि मार्च तक पहला इंजन उपलब्ध कराया जाएगा और इसके बाद उत्पादन में तेजी लाई जाएगी।

LCA Tejas Delivery: बेंगलुरु और नासिक में मौजूदा असेंबली लाइन्स
वर्तमान में HAL के पास बेंगलुरु में दो असेंबली लाइन्स हैं, जिनकी सालाना उत्पादन क्षमता आठ लड़ाकू विमान है। इसके अलावा, नासिक में भी एक असेंबली लाइन है, जो आठ विमानों का उत्पादन कर सकती है। नासिक प्लांट से पहला तेजस विमान मार्च तक तैयार होने की उम्मीद है।
HAL अब नासिक में दूसरी असेंबली लाइन स्थापित करने की योजना बना रहा है। हालांकि, यह तब ही संभव हो पाएगा जब GE की इंजन आपूर्ति नियमित रूप से शुरू हो जाए। एक नई असेंबली लाइन को स्थापित करने में लगभग 1.5 साल का समय लगेगा।
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नासिक में चौथी असेंबली लाइन: क्यों जरूरी है?
HAL द्वारा नासिक में चौथी असेंबली लाइन का निर्मााण करना इसलिए जरूरी है क्योंकि यह प्रोडक्शन प्रोसेस को तेज करेगा। इससे भारत के लिए लड़ाकू विमानों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी और वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता को मजबूत किया जा सकेगा।
हालांकि, यह योजना तभी लागू होगी जब GE नियमित रूप से इंजन की आपूर्ति शुरू करेगा। नई सुविधा स्थापित करने में लगभग डेढ़ साल का समय लगेगा। इस योजना की सफलता GE द्वारा समय पर इंजन की आपूर्ति पर निर्भर करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर GE नियमित रूप से इंजन की डिलीवरी शुरू कर दे, तो HAL अपने उत्पादन लक्ष्यों को आसानी से पूरा कर सकता है।
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IAF की कम होती स्क्वाड्रन क्षमता
भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए तेजस जेट्स का उत्पादन बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता लगातार घट रही है। IAF के पास 42 स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या के मुकाबले फिलहाल केवल 31 स्क्वाड्रन ही हैं। इस साल MiG-21 के आखिरी दो स्क्वाड्रन के फेज़ आउट होने के साथ यह संख्या और कम हो सकती है। इसके अलावा, तेजस की पहली पीढ़ी के दो स्क्वाड्रन का उपयोग मुख्य रूप से प्रशिक्षण के लिए किया जा रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने 2021 में HAL के साथ 83 तेजस Mk-1A विमानों (73 फाइटर्स और 10 ट्रेनर्स) की आपूर्ति के लिए 45,696 करोड़ रुपये का समझौता किया था। इसके लिए GE को 99 इंजन की आपूर्ति करनी थी।
हालांकि, अमेरिकी कंपनी ने “सप्लाई चेन दिक्कतों” का हवाला देते हुए समय पर इंजन नहीं भेजे। इस मामले को हल करने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने अमेरिकी समकक्ष से चर्चा की थी। इसके बाद भारतीय और अमेरिकी अधिकारियों के बीच कई बैठकें हुईं।
अब तक HAL ने 40 तेजस LCA विमानों में से 38 की डिलीवरी कर दी है। शेष दो ट्रेनर्स को जल्द ही डिलीवर किया जाएगा। वहीं, HAL ने अपने रिजर्व इंजन के स्टॉक का उपयोग करते हुए पहला तेजस Mk-1A तैयार किया है, जबकि दूसरा उत्पादन में है। पहला Mk-1A अब परीक्षण के विभिन्न चरणों से गुजर रहा है और इसे आगामी एयरो इंडिया 2025 में उड़ान भरते हुए देखा जा सकता है।
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तेजस Mk-1A: धीमे उत्पादन से बढ़ी चुनौती
भारतीय वायुसेना को चौथी पीढ़ी के तेजस Mk-1A फाइटर्स के उत्पादन में देरी का सामना करना पड़ रहा है। वायुसेना प्रमुख ने इस पर निराशा व्यक्त की और कहा, “पहला तेजस विमान 2001 में उड़ा था। लेकिन अब तक पहले 40 विमानों की भी आपूर्ति पूरी नहीं हो पाई है। यही हमारी उत्पादन क्षमता को दर्शाता है, जिसे सुधारने की सख्त जरूरत है।”
तेजस फाइटर जेट के धीमे उत्पादन को देखते हुए वायुसेना प्रमुख ने रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्रों के बीच बेहतर तालमेल से उत्पादन क्षमता में सुधार हो सकता है।
वायुसेना प्रमुख ने यह भी बताया कि भारतीय वायुसेना को कम से कम 180 तेजस Mk-1A और 108 तेजस Mk-2 विमानों की जरूरत है। जब तक AMCA प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता, ये विमान वायुसेना की ताकत को बनाए रखने में मदद करेंगे।
भारत में 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की कमी
भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में चीन की सैन्य क्षमताओं में हो रहे बड़े बदलावों पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, “चीन ने सिक्स्थ जनरेशन के दो स्टील्थ फाइटर जेट्स का प्रदर्शन किया है। यह कदम न केवल उनकी तकनीकी क्षमता को दिखाता है, बल्कि क्षेत्र में शक्ति संतुलन को भी बदल सकता है।”
चीन के ये टेललेस, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वाले फाइटर जेट्स पूरी दुनिया के लिए आश्चर्य का विषय बन गए हैं। इन विमानों की खासियत उनकी कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता है। वहीं, अमेरिका अभी भी अपने छठी पीढ़ी के फाइटर प्रोजेक्ट को अंतिम रूप नहीं दे पाया है।
भारत अभी तक 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के विकास में पीछे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने 2022 में स्विंग-रोल एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। हालांकि, इसका पहला प्रोटोटाइप अगले चार-पांच वर्षों में ही तैयार हो पाएगा। इसका मतलब है कि 2035 तक इन विमानों को वायुसेना में शामिल करना संभव नहीं होगा।