📍नई दिल्ली | 18 Feb, 2025, 4:10 PM
LCA Mk-1A: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. डीके सुनील का कहना है कि तेजस Mk1A लड़ाकू विमान के लिए पहला F404-IN20 इंजन पूरी तरह से असेंबल हो चुका है और उसकी अमेरिका में जीई एविएशन की फैसिलिटी में ग्राउंड टेस्टिंग चल रही है। डीके सुनील के मुताबिक उनकी प्राथमिकता भारतीय वायुसेना को तेजस की समय पर डिलीवरी है, न कि आलोचनाओं का जवाब देना। बता दें कि भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित एयरो इंडिया 2025 के दौरान इस परियोजना में हो रही देरी पर खुलकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने HAL की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें एचएएल पर भरोसा नहीं है।
LCA Mk-1A: वायुसेना को अप्रैल से विमान की डिलीवरी
डॉ. सुनील ने पुष्टि की है कि यह इंजन मार्च तक एचएएल को डिलीवर कर दिया जाएगा, जिसके बाद इसे तेजस Mk1A में इंस्टॉल किया जाएगा। शुरुआती ट्रायल पूरे होते ही यह विमान अप्रैल में भारतीय वायुसेना (IAF) को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि विमान का हार्डवेयर पूरी तरह तैयार है और एयरो इंडिया के दौरान जो तेजस Mk-1A प्रदर्शित किया गया था, वह सभी नए फीचर्स से लैस था। उन्होंने बताया कि इसमें बेहतर रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और स्मार्ट मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले जोड़ा गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वायुसेना को जिस तरह की क्षमताएं चाहिए, वह जल्द ही पूरी हो जाएंगी। अगले 15 दिनों में स्वदेशी ‘Astra’ बियॉन्ड-विजुअल-रेंज एयर-तो-एयर मिसाइल की टेस्टिंग की जाएगी और जैसे ही यह सफल होगी, वायुसेना को अप्रैल से विमान की डिलीवरी शुरू की जा सकती है।
HAL के मुताबिक, अब तक तीन तेजस Mk-1A जेट बनाए जा चुके हैं, जिन्हें ‘कैटेगरी B’ इंजन के साथ एयरो इंडिया शो में उड़ाया गया था।
LCA Mk-1A: वायुसेना प्रमुख ने सुनाई थी खरीखोटी
बीते हफ्ते बेंगलुरु में हुए एयरो इंडिया 2025 शो में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने एचएएल के कामकाज के तरीके पर सावल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि तेजस Mk-1A को बिना जरूरी अपग्रेड के ही इस नाम से प्रचारित किया जा रहा है। उनका कहना था कि महज सॉफ्टवेयर बदलने से यह Mk-1A नहीं बन जाता, जब तक वेपन सिस्टम और क्षमताएं पूरी तरह डेवलप नहीं होतीं, तब तक इसे अपग्रेडेड नहीं माना जा सकता। उन्होंने खुलेआम कहा था कि उन्हें एचएएल पर भरोसा नहीं है और मौजूदा हालात उन्हें संतोषजनक नहीं लग रहे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर एचएएल अपनी क्षमताओं को साबित कर देता है, तो वे सबसे खुश व्यक्ति होंगे। उन्होंने यह भी कहा था, “अगर आप हमें गलत साबित कर दें, तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी।” बता दें कि एय़रफोर्स चीफ जब यह बोल रहे थे, तो उनकी ये बातचीत एक कैमरे में रिकॉर्ड हो गई थी।
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एचएएल चीफ बोले- ‘तू-तू, मैं-मैं’ से कुछ नहीं होगा
इस आलोचना के बाद एचएएल चीफ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उनकी कंपनी बेवजह की बहस में उलझने की बजाय विमान की डिलीवरी पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा, “हमारे लिए बहस करना जरूरी नहीं, बल्कि विमान समय पर डिलीवर करना ज्यादा अहम है। ‘तू-तू, मैं-मैं’ से कुछ नहीं होगा।”
मार्च 2024 तक मिलना था पहला तेजस
भारतीय वायुसेना ने एचएएल को फरवरी 2021 में 83 तेजस Mk-1A जेट खरीदने का ऑर्डर दिया था, जिसकी कुल लागत 48,000 करोड़ रुपये है। पहला विमान मार्च 2024 तक डिलीवर किया जाना था, लेकिन अब तक यह पूरा नहीं हो पाया है। तेजस Mk-1A के प्रोडक्शन में देरी की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी कंपनी GE एयरोस्पेस द्वारा समय पर F404 इंजन न देना और कुछ जरूरी टेक्निकल सर्टिफिकेशन को बताया जा रहा है।
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एचएएल का कहना है कि भारत ने 2021 में 99 F404-IN20 इंजनों की सप्लाई का ऑर्डर दिया था। इंजन सप्लाई चेन में आई देरी कोविड-19 महामारी के कारण हुई थी। महामारी के चलते ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ा। जिससे उत्पादन और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को दोबारा तैयार करने में समय लगा। इस वजह से पूरे प्रोजेक्ट में रुकावट आई और मार्च 2024 तक तय डिलीवरी का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।
एचएएल के मुताबिक अब जीई एविएशन ने नई सप्लाई चेन के लिए कुछ नए सहयोगियों के साथ साझेदारी की है, जिससे प्रोडक्शन फिर शुरू हो गया है। जीई ने एचएएल और भारतीय वायुसेना को भरोसा दिलाया है कि अब इंजन स्पेयर पार्ट्स और अन्य कंपोनेंट्स की उपलब्धता में कोई रुकावट नहीं आएगी। हालांकि अब एचएएल को उम्मीद है कि जल्द ही इंजन मिलने शुरू हो जाएंगे और अगले साढ़े तीन साल में 83 तेजस Mk-1A की डिलीवरी पूरी कर दी जाएगी।
120 अतिरिक्त F404-IN20 इंजनों का दूसरा ऑर्डर जल्द
एचएएल का कहना है कि इसी भरोसे के साथ उन्होंने अब 120 अतिरिक्त F404-IN20 इंजनों का दूसरा ऑर्डर देने का फैसला किया है, जो पहले के मुकाबले अधिक है। इन इंजनों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि तेजस Mk1A कार्यक्रम तय समय के अनुसार आगे बढ़ सके और भारतीय वायुसेना को लगातार इन एडवांस फाइटर जेट्स सप्लाई मिलती रहे।
LCA Mk-1A: वायुसेना के पास 30 से कम फाइटर स्क्वाड्रन
भारतीय वायुसेना इस देरी को लेकर चिंतित है, क्योंकि इसका असर उनकी युद्धक क्षमताओं पर पड़ सकता है। वायुसेना के पास कम से कम 42 फाइटर स्क्वाड्रन होने चाहिए, लेकिन यह संख्या घटकर 30 से भी नीचे आ गई है। इसी कमी को दूर करने के लिए वायुसेना ने 2021 में 48,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 तेजस Mk-1A का ऑर्डर दिया था, जिसके बाद अब 67,000 करोड़ रुपये की लागत में 97 और विमानों की खरीदने की योजना बनाई जा रही है। यह सौदा अगले तीन से छह महीनों में फाइनल हो सकता है, लेकिन जब पहले दिए गए विमानों की डिलीवरी ही समय पर नहीं हो रही है, तो नए विमान कब मिलेंगे, इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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नासिक में एक नई प्रोडक्शन लाइन शुरू
एचएएल ने इस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने के लिए नासिक में एक नई प्रोडक्शन लाइन शुरू की है, जिससे हर साल कुल 24 तेजस Mk-1A तैयार किए जा सकेंगे। अब तक तेजस केवल बेंगलुरु में बनता था, लेकिन नासिक में भी मैन्युफैक्चरिंग शुरू होने के बाद उम्मीद है कि एचएएल हर साल 24 तेजस Mk-1A बना सकेगा। HAL का दावा है कि आने वाले दशक में भारतीय वायुसेना के पास 350 से अधिक तेजस लड़ाकू विमान (Mk-1, Mk-1A और Mk-2 वेरिएंट) होंगे, जो देश की एयर डिफेंस को मजबूत करेंगे।