IAF Commanders Conference: पूर्वी लद्दाख में डिसइंगेजमेंट के बावजूद LAC पर तैनाती बनाए रखेगी भारतीय वायुसेना, सीमा सुरक्षा पर फोकस

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By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 5 months ago

IAF Commanders Conference: भारतीय वायुसेना (IAF) ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग में भारत-चीन सैनिकों के बीच तनाव खत्म होने के बावजूद, वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी तैनाती जारी रखने का फैसला किया है। सूत्रों के अनुसार, वायुसेना वर्तमान सुरक्षा स्थिति को देखते हुए सीमा पर अपनी सक्रियता बनाए रखेगी।

IAF Commanders Conference: Despite Disengagement in Eastern Ladakh, Indian Air Force to Maintain Deployment Along LAC, Focus on Border Security

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शुरू हुई कमांडर्स कॉन्फ्रेंस

रविवार, 18 नवंबर को नई दिल्ली स्थित एयर हेडक्वार्टर में भारतीय वायुसेना की द्विवार्षिक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस शुरू हुई। यह कॉन्फ्रेंस बुधवार, 20 नवंबर तक चलेगी। यह सम्मेलन खासकर उत्तरी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियों और क्षमताओं की समीक्षा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, ।

मौजूदा तैनाती और सुरक्षा पर चर्चा

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में न केवल वायुसेना की वर्तमान तैनाती की समीक्षा की जाएगी, बल्कि सर्दियों के दौरान सुरक्षा बनाए रखने के लिए रणनीतियों पर भी चर्चा होगी। कठिन मौसम और बढ़ती चुनौतियों के बीच ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के तरीकों पर भी जोर दिया जाएगा।

वायुसेना की ओर से सीमा पर तैनाती बनाए रखने का फैसला यह बताता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर सतर्क है। भारत-चीन के बीच हाल ही में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी हुई थी, लेकिन वायुसेना ने साफ किया है कि मौजूदा तैनाती में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।

सैन्य आधुनिकीकरण और समन्वय पर फोकस

इस सम्मेलन में वायुसेना के आधुनिकीकरण योजनाओं पर भी चर्चा होगी। क्षेत्रीय खतरों और बदलती परिस्थितियों के बीच, वायुसेना अपनी क्षमताओं को और मजबूत करने पर विचार कर रही है।

इसके साथ ही, कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं – थलसेना, वायुसेना और नौसेना – के बीच बेहतर समन्वय और साझा ऑपरेशन्स को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से सेनाओं की कार्यक्षमता को और प्रभावी बनाने की योजनाएं बनाई जाएंगी।

भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयारियां

कॉन्फ्रेंस के दौरान वरिष्ठ कमांडर भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों और वायुसेना की भूमिका पर विचार-विमर्श करेंगे। सर्दियों के मौसम में उत्तरी सीमाओं पर होने वाले खतरों से निपटने के लिए ऑपरेशनल रणनीतियां तैयार की जाएंगी।

सूत्रों के अनुसार, वायुसेना अपनी तैयारियों को न केवल सीमा सुरक्षा बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए भी निरंतर मजबूत कर रही है।

भारत-चीन सीमा पर तनाव और वायुसेना की भूमिका

पिछले कुछ वर्षों से भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति रही है। 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। वायुसेना का यह फैसला न केवल सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए सेना पूरी तरह तैयार है।

सुरक्षा और स्थिरता के प्रति वचनबद्धता

भारतीय वायुसेना का यह कदम दिखाता है कि देश की सीमा सुरक्षा सर्वोपरि है। सीमा पर तैनाती बनाए रखने और भविष्य की चुनौतियों के लिए रणनीतियां तैयार करने से यह साफ है कि भारत किसी भी परिस्थिति में अपने राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए तत्पर है। वहीं, वायुसेना न केवल वर्तमान तैनाती को जारी रखेगी, बल्कि भविष्य में और भी आधुनिक व प्रभावी योजनाओं के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा में अपनी भूमिका को मजबूत करेगी।

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