📍नई दिल्ली | 2 months ago
F-35 Stealth Fighter Jets: पिछले हफ्ते बेंगलुरु काफी चर्चा में रहा। यहां के येलाहंका एयर फोर्स स्टेशन में एयरो इंडिया शो का आयोजन हुआ। खास इस मायने में रहा कि पहली बार दुनिया के दो धुरविरोधी शक्तिशाली देशों अमेरिका और रूस के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट F-35 और SU-57 एक ही एयर स्ट्रिप पर थे। दोनों के बीच 10 मीटर का भी अंतर नहीं था। इन दोनों का एक ही प्लेटफॉर्म पर मौजूदा होना ही पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए काफी था। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं हुई। उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े होकर एलान किया कि अमेरिका भारत को “कई अरब डॉलर” की सैन्य बिक्री बढ़ाएगा और “अंततः” भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता तैयार कर रहा है।
F-35 Stealth Fighter Jets: लॉकहीड मार्टिन ने जारी किया ये बयान
इस घोषणा के बाद भारत में इस बात पर चर्चा शुरू हो गई कि क्या भारतीय वायुसेना (IAF) को इस एडवांस फाइटर जेट की जरूरत है। भारत पहले से ही अपने पुराने लड़ाकू विमानों को बदलने और नए विमान बनाने की कोशिशों में जुटा है। हालांकि, इस एलान के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि सैन्य खरीद की एक प्रक्रिया होती है और अभी तक इसे लेकर कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया गया है। हालाकि अमेरिकी राष्ट्रपति के एलान के कुछ देर बाद ही F-35 फाइटर जेट बनाने वाली एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin) ने एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया, जिसमें कंपनी ने कहा कि वह पिछले तीन दशकों से भारत की रक्षा और एयरोस्पेस प्रणाली को मजबूत करने में एक विश्वसनीय और रणनीतिक भागीदार रही है।
F-35 GAO Report: इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद क्या भारत को खरीदना चाहिए F-35 फाइटर जेट? अमेरिका के सरकारी विभाग ने ही खोले सारे राज!
लॉकहीड मार्टिन ने अपने बयान में कहा, “हमने C-130J ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, S-92 हेलीकॉप्टर कैबिन और फाइटर विंग्स जैसे उत्पादन कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी प्रतिबद्धता को साबित किया है। ये सभी कार्यक्रम वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा हैं और भारतीय रक्षा क्षेत्र को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।” कंपनी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने भारत को F-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स देने की मंशा जाहिर की थी। लॉकहीड मार्टिन ने कहा कि “हम इस घोषणा से उत्साहित हैं और दोनों देशों की सरकारों के साथ मिलकर रणनीतिक खरीद प्रक्रियाओं पर काम करने के लिए तैयार हैं।”
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह भारत के साथ न केवल फाइटर जेट्स, बल्कि जेवलिन मिसाइल सिस्टम और हेलीकॉप्टर्स जैसे अन्य डिफेंस प्रोडक्ट्स पर भी सहयोग बढ़ाने की इच्छुक है। उन्होंने कहा, “हम भारतीय सशस्त्र बलों को 21वीं सदी की सुरक्षा तकनीकों और आधुनिक क्षमताओं से लैस करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि वे अपनी वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपट सकें।”
F-35 क्यों है खास?
F-35 जॉइंट स्ट्राइक फाइटर जेट है औऱ दुनिया के सबसे एडवांस लड़ाकू विमानों में से एक है। इसे स्टील्थ टेक्नोलॉजी से बनाया गया है, जिससे यह दुश्मन के रडार में पकड़ में नहीं आता। यह तीन अलग-अलग वेरिएंट में आता है, F-35A, जो सामान्य टेकऑफ और लैंडिंग के लिए बनाया गया है; F-35B, जिसे कम जगह में उड़ान भरने और वर्टिकल लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया है; और F-35C, जो एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए तैयार किया गया है।
अमेरिका इस विमान को कई देशों को निर्यात भी कर रहा है। अब तक 10 देशों ने इसे अपनी वायुसेना में शामिल कर लिया है और अमेरिका खुद 2,470 से ज्यादा F-35 खरीदने की योजना बना रहा है।
F-35 Stealth Fighter Jets: क्या भारत को F-35 की जरूरत है?
भारतीय वायुसेना फिलहाल अपने लड़ाकू बेड़े को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। कई पुराने विमान रिटायर होने वाले हैं, और ऐसे में नए फाइटर जेट्स की जरूरत महसूस की जा रही है। भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन क्षमता भी लगातार घट रही है। मौजूदा समय में वायुसेना के पास बचे हैं कुल 32 स्क्वाड्रन, जबकि जरूरत है 42 की। यह आंकड़े भी लगभग आठ साल पुराने हैं। हालांकि 36 राफेल आने बाद दो स्क्वाड्रनों की संख्यया तो बढ़ी, लेकिन जैसे-जैसे पुराने विमान रिटायर होते जाएंगे, इनमें लगातार कमी आती रहेगी, क्योंकि अगले कुछ सालों में मिग-21, मिग-27, जगुआर औऱ मिराज को भी चरणबद्ध तरीके से रिटायर किया जाना है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या F-35 इस काम के लिए सबसे सही विकल्प होगा? भारत पहले से ही रूस, फ्रांस और इजरायल की तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में, अमेरिकी F-35 को भारत के मौजूदा सिस्टम से जोड़ना आसान नहीं होगा। इंडियन डिफेन्स स्ट्रक्चर में यह एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
F-35 Stealth Fighter Jets: चुनौतियां क्या हैं?
अगर अमेरिका भारत को F-35 ऑफर कर रहा है, तो इसका मतलब यह है कि अमेरिका को अब भारत के रूसी S-400 मिसाइल सिस्टम से ज्यादा परेशानी नहीं है। पहले यह माना जा रहा था कि S-400 की खरीद के कारण अमेरिका भारत को F-35 नहीं देगा, लेकिन ट्रंप के बयान के बाद यह साफ हो गया कि अब अमेरिका इस शर्त को दरकिनार कर सकता है।
कीमत और मेंटेनेंस भी बड़ा सवाल
F-35 दुनिया के सबसे महंगे फाइटर जेट्स में से एक है। अमेरिकी सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रोजेक्ट एक दशक की देरी से चल रहा है और इसकी लागत 209 बिलियन डॉलर (17 लाख करोड़ रुपये) ज्यादा हो चुकी है। भारत को यह देखना होगा कि क्या यह सौदा उसके बजट के अनुकूल रहेगा?
भारतीया वायुसेना की पसंद ट्विन-सीटर फाइटर जेट्स
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि F-35 सिंगल-सीटर जेट है, जबकि भारतीय वायुसेना ज्यादातर ट्विन-सीटर फाइटर जेट्स को प्राथमिकता देती आई है। पहले, भारत ने रूस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान (FGFA) बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन जब यह सामने आया कि यह विमान सिंगल-सीट कॉन्फ़िगरेशन में है, तो भारत ने यह प्रोजेक्ट छोड़ दिया। ऐसे में अगर भारत F-35 खरीदता है, तो यह देखना होगा कि यह हमारे पायलट्स के लिए कितना उपयुक्त रहेगा और इसकी लागत कितनी होगी।
भारत के स्वदेशी प्रोजेक्ट्स का क्या होगा?
हालांकि अभी तक भारत ने इस सौदे को लेकर कोई आधिकारिक बातचीत शुरू नहीं की है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत F-35 को अपने बेड़े में शामिल करने का विचार करेगा या अपने स्वदेशी प्रोजेक्ट्स AMCA को ही प्राथमिकता देगा। वहीं, अगर भारत F-35 खरीदता है, तो इससे हमारे अपने फाइटर जेट प्रोजेक्ट्स पर क्या असर पड़ेगा? क्योंकि अगर भारत F-35 खरीदता है, तो इससे देश के स्वदेशी फाइटर जेट बनाने के प्रोजेक्ट्स प्रभावित हो सकते हैं। भारत डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत ज्यादा से ज्यादा सैन्य उपकरणों का निर्माण देश में करने पर जोर दे रहा है। ऐसे में, अगर भारत F-35 खरीदता है, तो इससे डोमेस्टिक डिफेंस इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है और भारत को लंबे समय तक अमेरिकी डिफेंस सिस्टम पर निर्भर रहना पड़ सकता है।
भारत के अपने फाइटर जेट प्रोजेक्ट्स
भारत का हल्का लड़ाकू विमान (LCA)-Mk1A प्रोजेक्ट अभी भी पूरा नहीं हुआ है। इस विमान में अमेरिकी General Electric (GE) का F404 इंजन लगाया गया है, लेकिन इंजन की डिलीवरी में दो साल की देरी हो चुकी है। हालांकि, एयरो इंडिया शो में अधिकारियों ने कहा कि GE ने अब अपनी सप्लाई चेन की समस्या सुलझा ली है और मार्च से डिलीवरी शुरू हो जाएगी।
इसके अलावा, LCA-Mk2 का पहला प्रोटोटाइप इस साल के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है और इसका पहली उड़ान परीक्षण 2026 में किया जाएगा। इसके बाद भारत का अपना फाइटर जेट प्रोजेक्ट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA), 2034-35 तक भारतीय वायुसेना में शामिल करने की योजना है।
इसके अलावा, भारत 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) खरीदने की योजना बना रहा है, जिसमें एक विदेशी लड़ाकू विमान को लाइसेंस के तहत भारत में बनाया जाएगा।
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अभी इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन जो भी फैसला लिया जाए, भारत को अपने स्वदेशी प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देनी चाहिए।”