📍नई दिल्ली | 13 Dec, 2024, 6:53 PM
Yilong-2H drone Crash: 12 दिसंबर, 2024 को चीन के जिंगझोउ शहर में एक बड़ा हादसा हुआ, जब यिलोंग-2एच ड्रोन ओलंपिक खेल केंद्र से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस घटना के बाद इलाके में हंगामा मच गया और लोगों के बीच डर और गुस्सा फैल गया। यिलोंग-2H यूएवी, विंग लूंग II सैन्य ड्रोन का एक वर्जन है। बता दें कि यह ड्रोन एडवांस कोलिज़न-एवॉयडेंस सिस्टम और ऑटोनॉमस कंट्रोल सिस्टम से भी लैस है।

Yilong-2H drone: कैसे हुआ हादसा
दुर्घटना के तुरंत बाद, घटनास्थल पर आग लग गई और धुआं दूर-दूर तक देखा गया। चीनी मीडिया “चाइना टाइम्स” के अनुसार, शुरुआती जानकारी से पता चलता है कि यह हादसा तकनीकी खराबी या कंट्रोल में हुई किसी चूक के कारण हो सकता है। हालांकि, इस घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है, लेकिन सवाल उठने लगे हैं कि घनी आबादी वाले इलाकों में इस तरह के हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल कितना सुरक्षित है।
यिलोंग-2एच ड्रोन:
यिलोंग-2एच ड्रोन, जिसे विंग लूंग-II ड्रोन का एडवांस वर्जन कहा जाता है, चीन की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी AVIC द्वारा डेवलप किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य आपातकालीन परिस्थितियों में मदद पहुंचाना है। यह ड्रोन प्राकृतिक आपदाओं के दौरान संचार बनाए रखने, मौसम की निगरानी करने और बचाव अभियानों का समन्वय करने जैसे कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है।
इस ड्रोन में उच्च-सटीक उपकरण और लंबी उड़ान क्षमता है, जो इसे आपात प्रबंधन के लिए चीन में एक प्रभावी उपकरण बनाता है। हालांकि, टकराव से बचने और स्वचालित नियंत्रण प्रणालियों से लैस होने के बावजूद, इस प्रकार के ड्रोन के साथ दुर्घटनाओं की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि इन तकनीकों को अभी और सुधार की आवश्यकता है।
जिंगझोउ की इस घटना के बाद स्थानीय जनता में हड़कंप मच गया। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतने एडवांस एक्विपमेंट होने के बावजूद इस प्रकार की गंभीर गलतियां क्यों हो रही हैं। यह घटना खासकर इसलिए चौंकाने वाली है, क्योंकि यह पहली बार है जब इस प्रकार के ड्रोन के साथ इतना बड़ा हादसा हुआ है।
घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों ने सवाल उठाए। कई लोगों ने इसे तकनीकी लापरवाही करार दिया और सरकार से इन ड्रोन की सुरक्षा और रखरखाव को लेकर पारदर्शिता की मांग की।
ड्रोन तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल
चीन ने हाल के वर्षों में ड्रोन तकनीक को कई क्षेत्रों में अपनाया है, जिनमें रक्षा, लॉजिस्टिक्स और आपदा प्रबंधन प्रमुख हैं। 2023 में, चीनी आपातकालीन प्रबंधन मंत्रालय ने बाढ़, भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी के लिए यिलोंग-2एच ड्रोन का इस्तेमाल शुरू किया था। इससे बचाव अभियानों की कार्यक्षमता में काफी सुधार हुआ।
यिलोंग-2एच का सैन्य संस्करण, विंग लूंग-II, चीन की रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ड्रोन टोही मॉड्यूल से लैस है और लेजर-गाइडेड मिसाइलों और सैटेलाइट-गाइडेड बमों को ले जाने में सक्षम है। इसे कई देशों को निर्यात भी किया गया है।
जिंगझोउ की घटना के बाद, घटनास्थल पर बड़ी संख्या में बचावकर्मी और अधिकारी पहुंचे। आग पर काबू पा लिया गया और मलबे को हटाने का काम जारी है। प्रारंभिक जांच के अनुसार, इस हादसे में किसी भी तरह का जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन यह घटना चीन के उभरते ड्रोन उद्योग के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है।
यिलोंग-2एच ड्रोन की विशेषताएं
- उद्देश्य: प्राकृतिक आपदाओं के दौरान संचार और बचाव अभियानों में मदद।
- तकनीक: उच्च सटीकता उपकरण और लंबी उड़ान क्षमता।
- सुरक्षा: टकराव से बचने और स्वचालित नियंत्रण प्रणाली से लैस।
- मल्टी-रोल क्षमता: नागरिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों के लिए उपयोगी।
इस दुर्घटना ने चीनी प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ इसके उपयोग की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन को अपने ड्रोन के डिजाइन और रखरखाव पर और ध्यान देने की जरूरत है, खासकर जब इनका इस्तेमाल घनी आबादी वाले इलाकों में किया जा रहा हो।