📍नई दिल्ली | 2 months ago
Trump-Zelenskyy Clash: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के बीच व्हाइट हाउस में हुई तीखी बहस ने अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच पहले से बढ़ रही खाई को और गहरा कर दिया है। इस अप्रत्याशित टकराव के बाद यूरोप और पश्चिमी देशों ने ज़ेलेंस्की के प्रति एकजुटता दिखाई, जबकि व्हाइट हाउस ने “अमेरिका फर्स्ट” नीति को आगे बढ़ाते हुए ट्रंप के रुख का बचाव किया।
Trump-Zelenskyy Clash: व्हाइट हाउस में ट्रंप-ज़ेलेंस्की की तीखी बहस
28 फरवरी 2025 को व्हाइट हाउस में शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के बीच एक बैठक हुई, जो अप्रत्याशित रूप से एक तीखी बहस में बदल गई। इस दौरान ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर आरोप लगाया कि वह अमेरिका की मदद को हल्के में ले रहे हैं और पर्याप्त आभार नहीं जता रहे। ट्रंप ने कहा, “आप लाखों लोगों की ज़िंदगियों से खेल रहे हैं। आप तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेल रहे हैं, और यह अमेरिका के प्रति बहुत ही असम्मानजनक है।” इस पर ज़ेलेंस्की ने जवाब देते हुए कहा कि “हम अपनी ज़मीन पर किसी हत्यारे (रूस) से समझौता नहीं करेंगे।”
इस घटना के बाद, ज़ेलेंस्की ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “अमेरिका का समर्थन और सहयोग के लिए धन्यवाद। यूक्रेन न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए काम कर रहा है।” लेकिन ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा कि ज़ेलेंस्की “शांति के लिए तैयार नहीं हैं” और जब तक वे अमेरिका का सम्मान करना नहीं सीखेंगे, तब तक वे व्हाइट हाउस में स्वागत योग्य नहीं होंगे।
Trump-Zelenskyy Clash: यूरोप का यूक्रेन का समर्थन
इस विवाद के बाद यूरोपीय देशों ने ज़ेलेंस्की के प्रति आभार व्यक्त किया। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने लिखा, “आपकी गरिमा यूक्रेनी लोगों की वीरता को सम्मानित करती है। आप अकेले नहीं हैं।” फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रूस को स्पष्ट रूप से “आक्रांता” और यूक्रेन को “पीड़ित” बताया, जबकि जर्मनी के संभावित अगले चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने लिखा, “हम यूक्रेन के साथ खड़े हैं और हमेशा खड़े रहेंगे।”
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ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने ट्रंप और ज़ेलेंस्की दोनों से बात करने के बाद कहा कि वह जल्द ही यूरोपीय नेताओं की एक बैठक बुलाएंगे ताकि यूक्रेन के समर्थन को और मज़बूत किया जा सके। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, जो ट्रंप की समर्थक मानी जाती हैं, ने अमेरिका और यूरोप के बीच एक आपातकालीन बैठक की मांग की। उन्होंने कहा, “हमारे सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं, विशेष रूप से यूक्रेन को लेकर। हमें बिना किसी देरी के अमेरिका और यूरोप के नेताओं के साथ एक बैठक करनी चाहिए।”
Trump-Zelenskyy Clash: अमेरिका में ट्रंप के रुख की आलोचना
व्हाइट हाउस ने एक आधिकारिक बयान जारी कर ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का समर्थन किया। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका के लिए जो कदम उठाए हैं, वे किसी भी पूर्व राष्ट्रपति से कहीं अधिक साहसिक हैं।” वहीं, ट्रंप समर्थक और अमेरिकी गृह सुरक्षा मंत्री क्रिस्टी नोएम ने लिखा, “हम अमेरिका का अपमान सहन नहीं करेंगे। अमेरिका वापस आ गया है!”
हालांकि, ट्रंप के इस रुख की अमेरिका में भी आलोचना हुई। अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति वांस ने ज़ेलेंस्की के साथ जिस तरह का व्यवहार किया, वह अपमानजनक था। अमेरिकी जनता यूक्रेन के साथ खड़ी है, भले ही हमारा राष्ट्रपति रूस और क्रेमलिन से नज़दीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहा हो।” उन्होंने ट्रंप पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पक्ष में झुकने का आरोप लगाया।
रूस ने ट्रंप के बयान का स्वागत किया
रूस ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे यूक्रेन के लिए “झटका” बताया। रूस की सुरक्षा परिषद के उपप्रमुख दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप के रवैये की सराहना की और ज़ेलेंस्की पर हमला बोलते हुए कहा, “अमेरिका ने पहली बार ज़ेलेंस्की को उसकी जगह दिखाई है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन का नेतृत्व तीसरे विश्व युद्ध के साथ जुआ खेल रहा है और उन्हें सबक सिखाने की जरूरत है। जबकि रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने ज़ेलेंस्की को “झूठा” और “धोखेबाज” बताते हुए कहा कि ट्रंप ने “संयम” का परिचय दिया।
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अमेरिका-यूरोप के संबंधों में दरार
इसके विपरीत, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने लिखा, “यूक्रेन के लोगों की लड़ाई लोकतंत्र, स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए है, और हम उनके साथ खड़े रहेंगे।” ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा, “यूक्रेन का संघर्ष सिर्फ उसकी आज़ादी के लिए नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों की रक्षा के लिए भी है।”
वहीं, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने इस मामले पर अमेरिका को चेतावनी दी कि यदि वह यूक्रेन को समर्थन देना बंद करता है, तो इससे यूरोप की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।
Trump-Zelenskyy Clash: यूक्रेन ने फिर मांगा समर्थन
इस पूरे घटनाक्रम के बाद ज़ेलेंस्की ने एक बार फिर अमेरिका से मदद की अपील की। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “धन्यवाद अमेरिका, आपके समर्थन के लिए धन्यवाद। यूक्रेन को एक निष्पक्ष और स्थायी शांति की आवश्यकता है, और हम उसी के लिए काम कर रहे हैं।”
नाटो देशों की बढ़ी चिंता
इस घटना के बाद नाटो देशों ने यूक्रेन को समर्थन जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। लिथुआनिया के राष्ट्रपति गितानास नाउसिडा ने कहा, “यूक्रेन, तुम कभी अकेले नहीं चलोगे।” स्वीडन, फिनलैंड, पोलैंड, लातविया और नॉर्वे के नेताओं ने भी यूक्रेन के साथ अपनी प्रतिबद्धता जताई।
इस विवाद के बाद, कई यूरोपीय नेताओं ने खुले तौर पर कहा कि अब उन्हें “स्वतंत्र नेतृत्व” की ज़रूरत है। यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने कहा, “स्पष्ट है कि दुनिया को एक नए नेता की ज़रूरत है।” फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने यूक्रेन की मदद के लिए एक अलग सैन्य गठबंधन बनाने की संभावना पर भी चर्चा शुरू कर दी है।
क्या ट्रंप यूक्रेन के लिए अमेरिकी मदद कम करेंगे?
व्हाइट हाउस के सूत्रों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन आने वाले महीनों में यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता की समीक्षा कर सकता है। ट्रंप पहले ही कई बार कह चुके हैं कि अमेरिका “यूक्रेन के युद्ध में फंसा नहीं रह सकता” और यूरोप को ज़्यादा ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए।
अगर ट्रंप ने अमेरिका की सहायता में कटौती की, तो इससे यूक्रेन के लिए बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस के दोनों दलों में कई नेता यूक्रेन के समर्थन में हैं और इस पर अंतिम फैसला अमेरिकी संसद के हाथ में रहेगा।
वहीं, ट्रंप के इस फैसले से न केवल यूक्रेन के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, बल्कि इससे रूस को भी रणनीतिक फायदा मिल सकता है। हालांकि, यूरोप ने यह संकेत दिया है कि वह बिना अमेरिका के भी यूक्रेन का समर्थन जारी रखेगा।