📍नई दिल्ली | 6 days ago
Tahawwur Rana Extradition: 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा चुका है। तहव्वुर राणा के साथ ही एक नाम फिर से चर्चा में आ गया है वह है समराज राणा अख्तर। समराज पाकिस्तानी मूल की कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा की पत्नी हैं। समराज एक समय पर पाकिस्तान सेना की मेडिकल कोर में डॉक्टर रह चुकी हैं। लेकिन अब उनकी पहचान एक ऐसे आरोपी की जीवनसाथी के तौर पर हो चुकी है, जिस पर भारत की सबसे बड़ी आतंकी घटनाओं में से एक की साजिश रचने का आरोप है। तहव्वुर राणा 26/11 मामले में भारत में मुकदमा झेलने वाला तीसरा व्यक्ति होगा। इससे पहले अजमल कसाब और अबू जुंदाल पर भारत में मुकदमा चला था। अजमल कसाब को 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।
समराज मूल रूप से पाकिस्तान की रहने वाली हैं और उनके परिवार के कुछ लोग आज भी उत्तर प्रदेश के हापुड़ में रहते हैं। इस बात खुलासा तब हुआ जब मुंबई हमलों से कुछ ही दिन पहले नवंबर 2008 में राणा और समराज ने भारत की यात्रा की थी, जो बाद में 26/11 मुंबई हमले से जुड़ी एनआईए की जांच का हिस्सा बनी।
Tahawwur Rana Extradition: पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर थी समराज
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में जन्मी समराज राणा अख्तर की सटीक जन्मतिथि और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है। कुछ सूत्रों के अनुसार, उनका परिवार मध्यमवर्गीय था, जहां शिक्षा पर खासा जोर दिया जाता था। समराज ने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद वह पाकिस्तानी सेना के मेडिकल कोर में शामिल हो गईं। इसी दौरान उनकी मुलाकात तहव्वुर हुसैन राणा से हुई, जो खुद भी उस दौरान पाकिस्तान सेना की मेडिकल कोर में एक डॉक्टर के रूप में कार्यरत था। दोनों की शादी 1980 में हुई और 1990 के दशक के अंत में तहुव्वर और समराज ने सेना की नौकरी छोड़ दी और समराज के साथ कनाडा चले गईं। सूत्रों का कहना है कि तब तक तहुव्वर लश्कर ए तैयबा के संपर्क में आ चुका था।
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सेना छोड़ने के बाद तहुव्वर राणा ने कनाडा और फिर अमेरिका के शिकागो में फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज का बिजनेस शुरू किया। समराज भी उनके साथ ही रहीं। इस दौरान उनके तीन बच्चे हुए जिनमें दो बेटिया और एक बेटा था। तहुव्वर की कंपनी अमेरिका और भारत समेत कई देशों में काम करती थी। यही कंपनी बाद में जांच एजेंसियों के लिए चिंता का कारण बनी, क्योंकि इस बिजनेस के पीछे आतंकी नेटवर्क कड़ियां सामने आईं। राणा ने भारत में वीज़ा के लिए अपने “Immigrant Law Center” के बिज़नेस प्रपोजल लेटर और अमेरिका के कुक काउंटी से प्राप्त प्रॉपर्टी टैक्स दस्तावेजों को एड्रैस प्रूफ के तौर में जमा किया था।
Tahawwur Rana Extradition: 3 से 21 नवंबर के बीच भारत आए थे दोनों
2008 में 26 नवंबर से कुछ ही दिन पहले, 13 से 21 नवंबर के बीच समराज और तहव्वुर राणा ने भारत की यात्रा की थी। वीज़ा दस्तावेज़ों के अनुसार, समराज को 5 साल का टूरिस्ट वीज़ा और तहव्वुर राणा को 1 साल का बिज़नेस वीज़ा तत्कालीन भारत सरकार की तरफ से जारी किया गया था। सरकारी दस्तावेज़ों के मुताबिक, तहव्वुर राणा को 3 मार्च 2006 को पासपोर्ट नंबर JV533373 जारी किया गया था, जो 3 मार्च 2011 तक वैध था। उन्हें 31 अक्टूबर 2008 को भारत की ओर से एक साल का बिज़नेस वीज़ा (नंबर AF232384) जारी किया गया था। जबकि पत्नी समराज राणा अख्तर को 9 अगस्त 2007 को पासपोर्ट नंबर WB694622 जारी किया गया, जो 8 अगस्त 2012 तक वैध था। समराज को 31 अक्टूबर 2008 को पांच साल की अवधि के लिए टूरिस्ट वीज़ा (नंबर AF232383) जारी किया गया था।
Tahawwur Rana Extradition: शोक सभा में शामिल होने की टाइमिंग पर उठे सवाल
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक यात्रा के दौरान उन्होंने दिल्ली, आगरा, अहमदाबाद, कोच्चि और मुंबई जैसे शहरों का दौरा किया था। इस दौरान वह कोच्चि के एक ताज होटल में भी ठहरा था और ताजमहल भी गया था। एजेसियों का कहना है कि इस यात्रा के दौरान राणा ने अपने मित्र डेविड कोलमैन हेडली को भारत में लॉजिस्टिक और कवर सपोर्ट मुहैया कराया था। हालांकि समराज राणा अख्तर के खिलाफ कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है, लेकिन देश की जांच एजेंसियां एक बार फिर साजिश में समराज के शामिल होने की जांच कर सकती हैं। हालांकि तहुव्वर का दावा था कि वह समराज की नानी की मृत्यु के बाद शोक सभा में शामिल होने के लिए वह भारत आया था। एजेंसी सूत्रों का कहना है कि यात्रा की टाइमिंग आज भी जांच एजेंसियों के लिए संदिग्ध बनी हुई है। लेकिन क्या यह सिर्फ एक संयोग था या राणा ने अपनी गतिविधियों को छुपाने के लिए इस यात्रा को एक पारिवारिक दौरे का रूप दिया था?
एनआईए के अनुसार, राणा ने न हेडली को न केवल आर्थिक और लॉजिस्टिक मदद दी बल्कि अपने इमिग्रेशन बिजनेस “First World International” का इस्तेमाल आतंकियों के लिए कवर तैयार करने के लिए किया। इसी कंपनी के जरिए हेडली ने भारत के लिए मल्टीपल एंट्री बिज़नेस वीज़ा प्राप्त किया था और मुंबई में ऑफिस खोलने का नाटक रचा था। राणा ने हेडली के वीज़ा को 2007 में 10 साल के लिए बढ़वाने में भी मदद की थी। इन सभी घटनाओं से यह जाहिर होता है कि तहव्वुर राणा इन हमलों का मास्टरमाइंड था।
Tahawwur Rana Extradition: कौन था ‘मेजर इकबाल’
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में आईएसआई के एजेंट मेजर इकबाल को एक सह-साजिशकर्ता के तौर पर नामित किया है। तहव्वुर राणा ने स्वीकार किया था कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के मिड-लेवल अफसर ‘मेजर इकबाल’ के संपर्क में था। गौरतलब है कि ‘मेजर इकबाल’ पर लश्कर-ए-तैयबा के जरिए से मुंबई हमलों की फंडिंग और कोऑर्डिनेशन का आरोप है। हेडली ने अपनी गवाही में बताया था कि मेजर इकबाल ने उसे करीब 25,000 अमेरिकी डॉलर दिए थे, ताकि वह मुंबई में एक इमिग्रेशन ऑफिस चलाने का ढोंग कर सके। यह ऑफिस सिर्फ एक कवर था, जिससे हेडली बिना शक के भारत में आ-जा सके और हमले की तैयारी कर सके। मेजर इकबाल ने हेडली को जीपीएस डिवाइस का इस्तेमाल करके मुंबई के ठिकानों की वीडियो रिकॉर्डिंग करने का भी हुक्म दिया था। ये सारी रिकॉर्डिंग पहले मेजर इकबाल को दिखाई जाती थीं, फिर हेडली उन्हें अपने साथ ले जाता था।
खास बात है कि मेजर इकबाल ने शुरू में यह तय किया था कि हेडली को पाकिस्तान से कोई कॉल नहीं आएगी, ताकि शक न हो। मेजर इकबाल ने राणा से भी फोन पर बात की थी, खासकर तब जब हेडली से सीधा संपर्क नहीं हो पाया। मसलन, जुलाई 2008 में मेजर इकबाल ने हेडली को कॉल करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। फिर उसने राणा को फोन किया और हेडली तक अपने निर्देश पहुंचाए। राणा ने हेडली को यह भी कहा था कि वह भारत में अपने किराए का समझौता बढ़ाए, ताकि साजिश का काम चलता रहे। हालांकि मेजर इकबाल आज तक फरार है, और उसकी असली शक्ल-सूरत या ठिकाना किसी को नहीं पता। राणा अब भारत में है, और जांच एजेंसियां उससे मेजर इकबाल के बारे में और जानकारी निकालने की कोशिश करेंगी। शायद इससे पता चले कि मेजर इकबाल कौन था और उसका नेटवर्क कितना बड़ा था।