📍नई दिल्ली | 2 months ago
Qatar Amir’s India Visit: भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से अपील की है कि उनके एक साथी रिटायर्ड कमांडर पूर्णेंदू तिवारी, जो अब भी कतर में हैं, को भारत वापस लाने में मदद करें। यह अपील उस समय आई है जब कतर के अमीर भारत के दो दिवसीय आधिकारिक दौरे पर आ रहे हैं।
पिथछे साल फरवरी में, सात पूर्व नौसेना अधिकारियों की रिहाई के बाद भारत सरकार ने कूटनीतिक स्तर पर एक बड़ी सफलता हासिल की थी। ये अधिकारी अगस्त 2022 से कतर में अज्ञात आरोपों में हिरासत में थे और उन्हें पहले मौत की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, दिसंबर 2023 में कतर की कोर्ट ऑफ अपील ने उनकी सजा को बदलकर तीन से 25 साल के कारावास में तब्दील कर दिया। 11 फरवरी 2024 को उन्हें 17 महीने की कैद के बाद भारत वापस लाया गया था।
भारत लौटने वालों में कैप्टन नवतेज गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर बीके वर्मा, कमांडर सुगुणाकर पकाला और नाविक रागेश शामिल थे। लेकिन कमांडर पूर्णेंदू तिवारी (रिटायर्ड) अभी भी कतर में हैं।
कमांडर तिवारी को 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान से भी नवाजा गया था। लेकिन उन्हें अभी तक भारत लौटने की अनुमति नहीं मिली है। उनकी वापसी पर ट्रैवल बैन (यात्रा प्रतिबंध) लगा हुआ है। उनके साथी, कमांडर संजीव गुप्ता और कमांडर सुगुणाकर पकाला ने एक साझा बयान में कहा, “एक साल हो गया है जब कतर ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को रिहा किया, लेकिन उनमें से एक साथी अभी भी वहीं फंसा हुआ है।”
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उन्होंने आगे कहा, “हम कतर के अमीर और भारत के प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले का शीघ्र समाधान निकालें। यात्रा प्रतिबंध हटाकर तिवारी को भारत लौटने दिया जाए ताकि वे अपनी वृद्ध मां और परिवार के साथ फिर से मिल सकें।”
Qatar Amir’s India Visit: क्यों हुई थी इनकी गिरफ्तारी?
गिरफ्तार किए गए ये आठ अधिकारी कतर की एक निजी कंपनी अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज में काम करते थे। यह कंपनी कतर की सेना और सुरक्षा एजेंसियों के लिए ट्रेनिंग और अन्य सर्विसेज प्रदान करती थी। इन सभी पर अज्ञात आरोपों के तहत अगस्त 2022 में गिरफ्तारी हुई थी।
इस मामले में कतर की कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस ने पहले सभी आठ भारतीय अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, भारत सरकार के उच्च-स्तरीय कूटनीतिक प्रयासों और राजनयिक हस्तक्षेप के बाद दिसंबर 2023 में कोर्ट ऑफ अपील ने उनकी सजा को बदलकर तीन से 25 साल के कारावास में बदल दिया। इसके बाद, भारत सरकार की लगातार बातचीत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत प्रयासों के चलते फरवरी 2024 में सात अधिकारियों को रिहा किया गया और वे सुरक्षित भारत लौट आए।
कमांडर पूर्णेंदू तिवारी भारतीय सशस्त्र बलों के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था। यह पुरस्कार उन्हें भारतीय समुदाय और डिफेंस सेक्टर में उनके योगदान के लिए दिया गया था। उनके साथियों की मानें तो तिवारी की गिरफ्तारी और उन पर लगाए गए प्रतिबंधों को जल्द से जल्द हटाया जाना चाहिए।
पूर्व नौसेना अधिकारियों ने बताया कि कतर में बिताए गए 17 महीनों का समय बेहद कठिन था। एक पूर्व अधिकारी, संजीव गुप्ता ने कहा, “वह 17 महीने बेहद भयावह थे। पहले छह महीने तो और भी ज्यादा मुश्किल थे। कई बार ऐसा महसूस हुआ कि शायद मैं कभी भारत लौट भी नहीं पाऊंगा।”
गुप्ता ने बताया कि उन 531 दिनों में उन्होंने 42 किताबें पढ़ीं और प्रतिदिन चार घंटे योग और ध्यान किया, जिससे वे मानसिक रूप से खुद को मजबूत रख पाए।
कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के भारत दौरे के दौरान यह मामला फिर से उठ सकता है। भारत और कतर के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच तेल, गैस, व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग है।
इस दौरे के दौरान भारत सरकार द्वारा कतर के समक्ष कमांडर तिवारी की वापसी का मुद्दा उठाए जाने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला न केवल मानवीय आधार पर बल्कि कूटनीतिक रिश्तों को और मजबूत करने के दृष्टिकोण से भी अहम हो सकता है।
बता दें कि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 30 दिसंबर 2024 से 1 जनवरी 2025 तक कतर की आधिकारिक यात्रा की थी। इस दौरान, उन्होंने कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री, महामहिम शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जसीम अल थानी से मुलाकात की थी। इस यात्रा का उद्देश्य भारत और कतर के बीच राजनीतिक, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, सुरक्षा, सांस्कृतिक और जनसंपर्क सहित द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करना था।
इससे पहले, डॉ. जयशंकर ने 6 से 7 दिसंबर 2024 को दोहा फोरम के 22वें एडिशन में हिस्सा लेने के लिए कतर की यात्रा की थी। इसके बाद, उन्होंने 8 से 9 दिसंबर 2024 को बहरीन की यात्रा की, जहां उन्होंने चौथी भारत-बहरीन संयुक्त उच्चायोग की सह-अध्यक्षता की।