📍नई दिल्ली | 27 Feb, 2025, 4:53 PM
Lt Col Habib Zahir: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के एजेंट लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) हबीब जहीर का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। पाकिस्तानी सेना के सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल हबीब जहीर को क्वेटा में अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी। हबीब 2017 में नेपाल से रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे। पाकिस्तान ने 2017 में उनके नेपाल से गायब होने के लिए भारत की खुफिया एजेंसी RAW को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन अब 8 साल बाद क्वेटा में उनकी हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पाकिस्तान ने अपने ही झूठ को छुपाने के लिए हबीब जहीर को मार डाला? या फिर यह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के “क्लीनअप ऑपरेशन” का हिस्सा था?

Lt Col Habib Zahir: 2017 में नेपाल से लापता, अब क्वेटा में हत्या
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह हमला क्वेटा की जेल रोड पर हुआ, जहां मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने उन्हें निशाना बनाया। इस घटना ने पाकिस्तान के पुराने दावों को एक बार फिर संदेह के घेरे में ला दिया है, जिसमें उसने भारत पर कर्नल हबीब के अपहरण का आरोप लगाया था। 6 अप्रैल 2017 को पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी कर्नल हबीब जहीर नेपाल के लुंबिनी क्षेत्र में अचानक लापता हो गए थे। पाकिस्तान सरकार ने उस समय भारत की खुफिया एजेंसी RAW पर आरोप लगाया था कि उसने उन्हें अगवा कर लिया। पाकिस्तानी के पूर्व विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अज़ीज़ उस दौरान ने बयान जारी कर कहा था कि एक जांच रिपोर्ट के अनुसार तीन भारतीय नागरिकों ने कर्नल हबीब का अपहरण किया और यह का अपहरण भारतीय एजेंसियों की साजिश हो सकता है।
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क्या पाकिस्तान ने खुद गढ़ी थी अपहरण की कहानी?
हालांकि, इस दावे के समर्थन में पाकिस्तान कोई ठोस सबूत नहीं दे सका। उस समय पाकिस्तान ने दावा किया था कि हबीब जहीर एक फर्जी नौकरी के झांसे में नेपाल गए थे। LinkedIn और UN की जॉब साइट पर अपना बायोडाटा डालने के बाद, उन्हें मार्क थॉम्पसन नामक व्यक्ति का ईमेल/कॉल आया, जिसने नेपाल में वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। हबीब को ओमान एयरलाइंस का टिकट भेजा गया और वे पाकिस्तान से होकर काठमांडू पहुंचे। काठमांडू एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वह बुद्धा एयर से लुंबिनी पहुंचे, जो भारत की सीमा से केवल 5 किलोमीटर दूर है। वहीं से उनका मोबाइल अचानक बंद हो गया और वे रहस्यमय तरीके से गायब हो गए। उनकी आखिरी मोबाइल लोकेशन भारत-नेपाल सीमा से 5 किलोमीटर दूर दर्ज की गई थी।
Lt Col Habib Zahir: कैसे बेनकाब हुआ पाकिस्तान का झूठ?
लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) हबीब ज़हूर (जिन्हें मोहम्मद हबीब ज़हिर भी कहा जाता है) के 6 अप्रैल 2017 को नेपाल में गायब होने के बाद, पाकिस्तान ने भारत पर उनके अपहरण का आरोप लगाया और कहा कि RAW ने उन्हें पकड़ लिया है। इस दावे को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान ने कहा कि कर्नल हबीब को भारत लाकर कुलभूषण जाधव की रिहाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
लेकिन जब नेपाल पुलिस और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इस मामले की जांच शुरू की, तो पता चला कि जिस वेबसाइट से उन्हें नौकरी का ऑफर मिला था, वह नेपाल में बनी थी और बाद में डिलीट कर दी गई। साथ ही, मार्क थॉम्पसन नाम का व्यक्ति और जिस ब्रिटिश मोबाइल नंबर से हबीब को संपर्क किया गया था, वह इंटरनेट प्रोटोकॉल नंबर था। यह पूरी स्क्रिप्ट किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह तैयार की गई थी। यहां तक कि हबीब के परिवार ने संयुक्त राष्ट्र (UN) वर्किंग ग्रुप ऑन एनफोर्स्ड इनवॉलंटरी डिसअपीयरेंस (Enforced Involuntary Disappearances) से संपर्क किया था और इस मामले की जांच की मांग की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
सूत्रों का कहना है कि लेफ्टिनेंट कर्नल हबीब ज़हूर शुरू से ISI के लिए काम करते थे। हबीब ने 2014 में सेना से रिटायरमेंट के बाद कुछ समय ISI के अंडरकवर एजेंट के रूप में काम किया था। हबीब एक खास मिशन पर नेपाल गए थे। उन्होंने विदेश यात्रा के लिए ISI से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) भी लिया था, जो 31 मार्च 2017 को ISI के लेफ़्टिनेंट कर्नल आतिफ़ अनवर डार के हस्ताक्षर से जारी हुआ। लेकिन जब नेपाल में हबीब से संपर्क टूट गया, तो ISI ने उनसे पल्ला झाड़ लिया। ताकि वह पकड़े जाने की सूरत में जिम्मेदारी से इनकार कर सके।
क्वेटा में हत्या के पीछे ISI का हाथ?
अब जब कर्नल हबीब को पाकिस्तान के ही प्रांत क्वेटा में गोली मार दी गई है, तो सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान सरकार इस मामले की जांच करेगी? या फिर यह मामला भी पाकिस्तान की सेना और ISI के आंतरिक सत्ता संघर्ष का हिस्सा है?
रक्षा विशेषज्ञ और रिटायर्ड कर्नल संदीप प्रभाकर सवाल करते हैं, अगर कर्नल हबीब जिंदा थे, तो उन्होंने 8 साल तक पाकिस्तान को क्यों नहीं बताया? उनका मानना है कि यह मामला खुद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की ही साजिश हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ISI उन ऑपरेटिव्स को ठिकाने लगाती है, जो अब उसके लिए खतरा बन जाते हैं। 2021 से, कई पूर्व पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी और सेना से जुड़े लोग संदिग्ध परिस्थितियों में मारे गए हैं। हो सकता है कि कर्नल हबीब भी इस “क्लीनअप ऑपरेशन” का शिकार बने हों।
उन्होंने खुलासा करते हुए कहा कि 2010 में दो पूर्व ISI अधिकारी कर्नल इमाम (सुल्तान आमिर) और स्क्वाड्रन लीडर खालिद ख़्वाजा पाकिस्तान के कबायली इलाके से लापता हो गए थे और बाद में उनकी हत्या कर दी गई। वे कभी तालिबान के करीबी रहे थे और एक डॉक्यूमेंट्री बनाने गए थे, जब “अनजान लोगों” ने उनका अपहरण कर लिया। इस अपहरण के लिए शक की सुई तालिबान के साथ-साथ ISI पर भी गई थी। वहीं, हाल ही में, 2024 में पूर्व ISI प्रमुख फ़ैज़ हमीद की गिरफ़्तारी ने दिखाया कि सेना और आईएसआई कैसे अपने लोगों पर भी शिकंजा कस सकती है। फैज को मिलिट्री रूल्स तोड़ने के मामले में हिरासत में लिया गया था।
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क्या पाकिस्तान अपनी ही खुफिया के खिलाफ जांच करेगा?
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में सेना और खुफिया एजेंसी ISI के बीच कई मामलों में टकराव की खबरें आती रहती हैं। कई बार यह आरोप भी लगते रहे हैं कि ISI अपने पुराने एजेंट्स को ठिकाने लगा देती है, जो सरकार और सेना के लिए राजनीतिक रूप से खतरनाक साबित हो सकते हैं। वह कहते हैं कि क्वेटा में हुई कर्नल हबीब की हत्या इसी पैटर्न का हिस्सा लगती है। अगर इस हत्या के पीछे ISI का हाथ है, तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ी बदनामी हो सकती है। कर्नल प्रभाकर के मुताबिक क्या पाकिस्तान इस हत्या की जांच करेगा? अगर वह जांच करता है तो क्या वह अपनी ही एजेंसी के खिलाफ जांच करने की हिमाकत दिखाएगा। क्योंकि अगर यह साबित होता है कि कर्नल हबीब पाकिस्तान में ही मौजूद थे और ISI ने ही उन्हें खत्म किया, तो पाकिस्तान सरकार की साख पर और दाग लग जाएगा। वह कहते हैं कि यह मामला पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। क्योंकि अगर पाकिस्तान इस हत्या की निष्पक्ष जांच करता है, तो इसके तार ISI और सेना से जुड़ सकते हैं। अगर वह इस मामले को दबाने की कोशिश करता है, तो इसका मतलब होगा कि ISI अपने ही ऑपरेटिव्स को खत्म कर रही है और सरकार इससे अनजान नहीं है।
वहीं, यह घटना पाकिस्तान के लिए बेहद शर्मनाक साबित हो सकती है। अगर यह वही कर्नल हबीब हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने भारत द्वारा अपहरण किया हुआ बताया था, तो यह साबित करता है कि पाकिस्तान ने अपने ही अधिकारी की कहानी को भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा के रूप में इस्तेमाल किया था।