📍नई दिल्ली | 4 months ago
India-China Disengagement: एक तरफ जहां भारत औऱ चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि वार्ता में भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने को लेकर सहमति बन रही हैं, तो दूसरी तरफ चीन अभी भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डटा हुआ है औऱ लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। चीन ने जून 2020 में गलवान घाटी में हुए टकराव के बाद से भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी सैन्य उपस्थिति में कोई कटौती नहीं की है। अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) अब भी LAC पर अपने बड़े सैन्य जमावड़े और बुनियादी ढांचे को बनाए हुए है।

बुधवार को बीजिंग में भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों ने सीमा विवाद सुलझाने और सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की है। जहां भारत की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भाग लिया। यह 2003 के बाद 23वीं विशेष प्रतिनिधि स्तर की बैठक थी और दिसंबर 2019 के बाद पहली बैठक थी। इस दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने और सीमा विवाद के लिए उचित और स्वीकार्य समाधान खोजने पर जोर दिया।
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बैठक में यह सहमति बनी कि भारत-चीन संबंध स्थिर और मैत्रीपूर्ण बनाए रखने की आवश्यकता है। बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा पर शांति बनाए रखने के उपायों पर चर्चा की। कैलाश मानसरोवर यात्रा, सीमा पार नदियों का डाटा साझा करने और सीमा व्यापार जैसे मुद्दों पर भी बातचीत हुई। अजीत डोभाल ने वांग यी को अगली बैठक के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया।

India-China Disengagement: LAC पर चीन की रणनीतिक तैयारी
वहीं, पेंटागन की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि “2020 के संघर्ष के बाद से PLA ने अपनी तैनाती या सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं की है और LAC के साथ कई ब्रिगेड स्तर की तैनाती के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है।”
रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेमचोक में सैनिकों के पीछे हटने के बावजूद PLA ने लगभग 1.2 लाख सैनिक, टैंक, हॉवित्जर, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और अन्य भारी हथियार LAC पर तैनात किए हुए हैं।
LAC के तीन प्रमुख सेक्टरों—पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश), और पूर्वी (सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश)—में PLA के 20 से अधिक कॉम्बाइंड आर्म्स ब्रिगेड्स (CABs) मौजूद हैं। सूत्रों के अनुसार, “कुछ CABs वापस जा चुके हैं, लेकिन अधिकांश अभी भी वहीं तैनात हैं।”
India-China Disengagement: भारत-चीन सीमा पर तनाव जारी
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के वेस्टर्न थिएटर कमांड का प्राथमिक फोकस भारत के साथ सीमा को सुरक्षित करने पर है। “भारत और चीन के बीच सीमा रेखा को लेकर अलग-अलग धारणा ने कई टकराव, बल निर्माण और सैन्य ढांचे के निर्माण को बढ़ावा दिया है,” रिपोर्ट में उल्लेख किया गया।
चीन की वैश्विक सैन्य शक्ति में वृद्धि
हालांकि रिपोर्ट में भारत-चीन सीमा पर केवल संक्षेप में चर्चा की गई है, लेकिन यह चीन की समग्र सैन्य क्षमताओं पर विस्तार से प्रकाश डालती है।
- चीन ने वैश्विक सैन्य शक्ति प्रदर्शित करने के लिए अपनी क्षमताओं को तेजी से बढ़ाया है, भले ही उसकी अर्थव्यवस्था में गिरावट और भ्रष्टाचार घोटालों का सामना करना पड़ा हो।
- PLA ने “सैन्य दबाव और प्रलोभन” के जरिए अपने लक्ष्य हासिल करने की बढ़ती इच्छा दिखाई है और वैश्विक भूमिका पर जोर दिया है।
परमाणु क्षमताओं में तेजी से विस्तार
चीन ने अपने परमाणु बल को भी तेजी से आधुनिक और विस्तृत किया है।
- वर्तमान में चीन के पास 600 से अधिक ऑपरेशनल परमाणु हथियार हैं, और 2035 तक यह संख्या 1,000 से अधिक हो जाएगी।
- चीन प्रिसिजन स्ट्राइक मिसाइलों से लेकर अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) तक के विकल्प विकसित कर रहा है।
स्पेस और साइबर वॉरफेयर में चीन की बढ़त
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ऐसी क्षमताओं का विकास कर रहा है, जिससे वह अन्य देशों की अंतरिक्ष तक पहुंच और वहां संचालन को रोक सके। इसमें एंटी-सैटेलाइट मिसाइलें, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर और लेजर जैसे डायरेक्टेड एनर्जी सिस्टम शामिल हैं।
- PLA ने सभी युद्धक्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को आधुनिक बनाने और दक्षता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- चीन ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइलें, सह-कक्षीय उपग्रह, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, और लेजर जैसी तकनीकों पर काम किया है।
- PLA ने भूमि, वायु, समुद्र, परमाणु, अंतरिक्ष, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और साइबर संचालन के सभी डोमेन में अपनी क्षमताओं को आधुनिक बनाने पर जोर दिया है।
चीन की नौसेना: सबसे बड़ी ताकत
रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसमें 370 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं। इनमें से 140 से अधिक प्रमुख सतह युद्धपोत हैं।
भारत के लिए चुनौती और तैयारी की जरूरत
पेंटागन की रिपोर्ट और क्षेत्रीय विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की सैन्य गतिविधियां भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती हैं। गलवान संघर्ष के बाद से LAC पर चीन का जमावड़ा, भारी हथियारों की तैनाती, और सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक संकेत हैं।
क्षेत्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपनी सैन्य तैयारी और निगरानी तंत्र को और मजबूत करना होगा। चीन की बढ़ती सैन्य ताकत और LAC पर जारी तनाव भारत के लिए भविष्य में रणनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियां पैदा कर सकते हैं।