China-India Talks: बड़ा खुलासा! भारत-चीन वार्ता से पहले भाजपा के इस थिंकटैंक ने किया था बीजिंग का सीक्रेट दौरा, कूटनीतिक संबंधों की बहाली को लेकर की थी बात

Photo of author

By हरेंद्र चौधरी

Kindly Promote Us:

📍नई दिल्ली | 4 months ago

China-India Talks: भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार और ट्रैक-2 की डिप्लोमेसी को फिर से शुरू करने के लिए देश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के एक थिंक टैंक ने हाल ही में चीन का दौरा किया था। यह दौरा बिल्कुल गुपचुप किया गया था और किसी को इस दौरे की कानोंकान खबर तक नहीं लगी। यह दौरा देशों के नेताओं और विशेष प्रतिनिधियों डोभाल और वांग यी के बीच हुई बैठक से पहले हुआ था, जिसमें पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने और डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने को लेकर बातचीत की गई थी। इसके बाद ये प्रतिनिधिमंडल धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के सदस्यों से भी मिला था।

China-India Talks: BJP Think Tank India Foundation Secret Beijing-lhasa Visit
A Delegation From India Foundation Visits Tibetan Parliament-in-Exile
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

China-India Talks: शंघाई और ल्हासा में संवाद

सूत्रों ने बताया कि भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच ट्रैक-2 डिप्लोमेसी को फिर से शुरू करने के लिए नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल हाल ही में चीन गया था। यह दौरा नवंबर के आखिर में हुआ था, जो पहले फुदान गया और बाद में वहां से ल्हासा। सूत्रों के मुताबिक इस दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देना और आपसी विश्वास बहाल करना था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष और भाजपा नेता राम माधव के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल पहले शंघाई गया। यह यात्रा शंघाई के फ़ुदान विश्वविद्यालय के निमंत्रण पर हुई, जिसके साथ इंडिया फाउंडेशन का नियमित संवाद होता है। इसके बाद, प्रतिनिधिमंडल ल्हासा (तिब्बत) पहुंचा, जिसका नेतृत्व इंडिया फाउंडेशन के निदेशक कैप्टन आलोक बंसल ने किया था।

China on LAC: पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की बड़ी तैयारी; चीनी सेना के लिए बना रहा ‘किला’, रखेगा बड़े हथियारों का जखीरा

इंडिया फाउंडेशन के सूत्रों ने बताया, “यह दौरा डायलॉग ऑन चाइना-इंडिया रिलेशंस के दूसरे चरण का हिस्सा था। पहला चरण शंघाई के फ़ुदान विश्वविद्यालय में हुआ था। यह हर साल आयोजित होने वाला संवाद है। पिछले साल चीन से एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया था, और इस बार हमारी बारी थी।” उन्होंने यह भी कहा कि इस बार ल्हासा का दौरा भी संभव हो सका, हालांकि काशगर जाने की योजना पूरी नहीं हो पाई। इस प्रतिनिधिमंडल में वरिष्ठ राजनयिक अशोक के. कंथा, पूर्व भारतीय राजदूत, थिंक टैंक से जुड़ी सोनू त्रिवेदी, सीनियर रिसर्च फेलो सिद्धार्थ सिंह शामिल थे।

वहीं, चीन के एक अखबार ने भी इस यात्रा की पुष्टि की। उसमें बताया गया, “हाल ही में इंडिया फाउंडेशन का एक थिंक टैंक प्रतिनिधिमंडल चीन आया और उन्होंने ल्हासा का दौरा भी किया।”

भारत लौटने के बाद, इंडिया फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने धर्मशाला में तिब्बती निर्वासित सरकार (CTA) के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस बैठक का नेतृत्व पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने किया।

China-India Talks: भारत-चीन संबंधों में ऐसे हो सकता है सुधार

इंडिया फाउंडेशन के इस दौरे बाद फ़ुदान यूनिवर्सिटी के साउथ एशियन स्टडीज सेंटर के निदेशक झांग जियाडोंग ने चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में लिखा कि भारत और चीन जैसे दो शक्तिशाली और महत्वपूर्ण देशों के बीच यह स्थिति चिंताजनक है।

उन्होंने कहा, “इन दोनों देशों के बीच आपसी समझ में अस्पष्टता और असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जो केवल अधिक से अधिक सांस्कृतिक और आपसी संवाद के माध्यम से कम किया जा सकता है।” झांग जियाडोंग ने कहा कि इन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क अब भी बहुत सीमित है।

China-India Talks: सांस्कृतिक और आपसी संवाद की कमी

झांग जियाडोंग का मानना है कि हिमालयी सीमा पर लंबे समय तक तनाव और विवाद के चलते दोनों देशों के बीच संवाद की कमी और आपसी विश्वास में कमी आई है। यह स्थिति आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए बाधा बन रही है। झांग के अनुसार, “ट्रैक-2 डिप्लोमेसी” जैसे गैर-सरकारी संवादों के माध्यम से दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।

झांग ने इस बात पर भी जोर दिया कि शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में अभी भी कमी है। 2019-2020 शैक्षणिक वर्ष के दौरान लगभग 20,000 भारतीय छात्र चीन में अध्ययन कर रहे थे। लेकिन गलवान घाटी संघर्ष के बाद यह संख्या लगभग शून्य तक पहुंच गई। 2021-2022 में यह संख्या 8,580 हो गई, जबकि 2023-2024 में घटकर 6,500 रह गई।

वहीं, भारत में पढ़ने वाले चीनी छात्रों की संख्या और भी कम है। 2020-2021 में यह संख्या 166 थी, जो 2023-2024 में केवल 25 रह गई।

कैलाश मानसरोवर यात्रा जैसे कार्यक्रम फिर से शुरू हों

सीमा विवाद और कोविड-19 महामारी के कारण कैलाश मानसरोवर यात्रा अब तक बहाल नहीं हो पाई है। यह यात्रा हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थ यात्रा है, जिसमें वे तिब्बत के माउंट कैलाश और माप्हम युम्त्सो झील की परिक्रमा करते हैं।

झांग ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने से दोनों देशों के बीच आपसी समझ और विश्वास को बढ़ावा मिलेगा।

ट्रैक-2 डायलॉग और भविष्य की दिशा

झांग ने कहा कि बीजिंग और नई दिल्ली दोनों ही रुकी हुई बातचीत को फिर से शुरू करने के प्रयास कर रहे हैं। नवंबर 2020 के बाद पहली बार भारत में ट्रैक-2 संवाद आयोजित किया गया था। लेकिन छात्रों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे अन्य आदान-प्रदान अभी भी अपेक्षाकृत धीमी गति से बहाल हो रहे हैं। झांग ने कहा कि चीन और भारत को इन क्षेत्रों में पिछड़ेपन को दूर करने के लिए तेजी से कदम उठाने चाहिए।

कोविड-19 महामारी के दौरान बंद हुई भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें अब भी बहाल नहीं हुई हैं। झांग के अनुसार, उड़ानों को फिर से शुरू करना दोनों देशों के बीच यात्रा और आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करेगा।

China-India Talks: BJP Think Tank India Foundation Secret Beijing-lhasa Visit
A Delegation From India Foundation Visits Tibetan Parliament-in-Exile

तिब्बती निर्वासित संसद का दौरा

इंडिया फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने 9 दिसंबर को धर्मशाला स्थित तिब्बती निर्वासित संसद का दौरा किया। उन्होंने संसद के अध्यक्ष खेनपो सोनम टेनफेल और उपाध्यक्ष डोलमा त्सेरिंग तेयखांग से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में सुरेश प्रभु, लेफ्टिनेंट जनरल अरुण कुमार सहनी,  शौर्य डोभाल, अशोक मलिक, प्रोफेसर सुनीना सिंह, कैप्टन आलोक बंसल, रामी देसाई, न्गावांग गामत्सो हार्डी और चित्रा शेखावत शामिल थे। इस बैठक में कहा गया कि CTA तिब्बतियों का वैध प्रतिनिधि है। तिब्बत की स्वतंत्रता और उसके पड़ोसी देशों के साथ ऐतिहासिक कूटनीतिक संबंधों और वन-चाइना नीति पर पुनर्विचार करने को लेकर बातचीत हुई।

भारत-चीन संबंधों में सुधार

इससे पहले 18 दिसंबर को भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता की पुनः शुरुआत हुई। इस बैठक में दोनों देशों ने सीमा क्षेत्रों में शांति बनाए रखने समेत छह बिंदुओं पर सहमति जताई। इन बिंदुओं में कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, सीमा पार नदियों पर डाटा साझाकरण, और सीमा व्यापार का फिर से शुरू होना शामिल था।

इससे पहले, नवंबर में जी20 बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्राजील में अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने और अगले कदम उठाने पर सहमति जताई। वहीं, अक्टूबर में कज़ान, रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक ने संबंधों में सुधार नींव डाली थी।

मोदी ने शी जिनपिंग से कहा था, “हमारे संबंधों का आधार आपसी विश्वास, आपसी सम्मान और आपसी संवेदनशीलता होना चाहिए। आज हमें इन सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने का अवसर मिला है। मुझे विश्वास है कि हमारी बातचीत रचनात्मक होगी।”

सीमा पर घटा तनाव

21 अक्टूबर को भारत और चीन ने पेट्रोलिंग पर सहमति जताई थी, जिसके तहत पूर्वी लद्दाख में देमचोक और देपसांग क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त की अनुमति दी गई। हाल ही में दोनों सेनाओं ने दीवाली के अवसर पर मिठाइयों का आदान-प्रदान भी किया। बता दें कि वर्तमान में, दोनों देशों के लगभग 1,00,000 सैनिक सीमा पर तैनात हैं। जून 2020 में गलवान संघर्ष के बाद भारत ने पूर्वी लद्दाख में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे।

Kindly Promote Us:
रक्षा समाचार WhatsApp Channel Follow US

Leave a Comment

Share on WhatsApp