📍नई दिल्ली | 5 months ago
China Drone: चीन की ड्रोन निर्माता कंपनी DJI विवादों में है। खबरों के मुताबिक, यह कंपनी म्यांमार में भारतीय सीमा के पास और रूस को युद्ध के लिए घातक उपकरण जैसे बमवर्षक हेक्साकॉप्टर और 60 मिमी मोर्टार शेल्स सप्लाई कर रही है। म्यांमार में ये उपकरण उत्तर-पूर्वी राज्यों मणिपुर और नागालैंड के नजदीक इस्तेमाल हो रहे हैं। वहीं, रूस में इन्हें यूक्रेन के खिलाफ संघर्ष में इस्तेमाल किया जा रहा है।
म्यांमार में China Drone का इस्तेमाल
म्यांमार में इन ड्रोन का उपयोग उन इलाकों में किया जा रहा है जो भारत की सीमा के नजदीक हैं। इन इलाकों में हथियारबंद समूह सक्रिय हैं, और इनका भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरा बढ़ गया है। हेक्साकॉप्टर, एक प्रकार का ड्रोन जो भारी भार उठाने और सटीक हमले करने में सक्षम है, म्यांमार के हथियारबंद समूहों द्वारा मोर्टार शेल्स गिराने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
भारतीय सीमा के करीब इस प्रकार की गतिविधियां भारत के लिए सुरक्षा चिंता का विषय हैं। म्यांमार के कई क्षेत्रों में लंबे समय से सशस्त्र संघर्ष चल रहा है, और इस संघर्ष में एडवांस तकनीक के उपकरणों का इस्तेमाल हालात को और मुश्किल बना सकते हैं।
रूस-यूक्रेन संघर्ष में ड्रोन का इस्तेमाल
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में भी DJI के ड्रोन और मोर्टार शेल्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। खबरों के अनुसार, रूस ने युद्ध में अपने मिशनों को और प्रभावी बनाने के लिए इन ड्रोन का बड़े पैमाने पर उपयोग किया है।
यूक्रेन के खिलाफ इन ड्रोन का इस्तेमाल रूस को रणनीतिक बढ़त देने के लिए किया जा रहा है। हेक्साकॉप्टर ड्रोन का उपयोग न केवल निगरानी के लिए बल्कि बम गिराने के लिए भी किया जा रहा है।
DJI को लेकर पहले भी विवाद उठ चुके हैं। कंपनी पर आरोप है कि वह अपनी ए़डवांस तकनीक को ऐसे जगहों में बेच रही है जहां यह मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के लिए इस्तेमाल हो सकती है।
डीजेआई का कहना है कि वह सिर्फ व्यावसायिक उपयोग के लिए उपकरण बेचती है और सैन्य उद्देश्यों के लिए उनका उपयोग करना उनकी नीति के खिलाफ है। हालांकि, इस मामले में कंपनी की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
पंजाब में ड्रग्स तस्करी की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। हालिया घटनाओं ने यह खुलासा किया है कि पाकिस्तान सीमा पार से ड्रग्स पहुंचाने के लिए चीन निर्मित DJI ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान की तरफ से तस्कर इन ड्रोन के जरिए सीमावर्ती इलाकों में ड्रग्स, हथियार, और नकली करेंसी गिरा रहे हैं। ये ड्रोन रात के अंधेरे में उड़ान भरते हैं और GPS तकनीक का इस्तेमाल कर सटीक स्थान पर ड्रग्स गिराने में सक्षम हैं। पंजाब के अमृतसर और फिरोजपुर जिलों में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने हाल के महीनों में कई ड्रोन पकड़े हैं।
भारतीय सीमा सुरक्षा बल और पंजाब पुलिस इस बढ़ती समस्या को रोकने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। BSF ने ड्रोन गतिविधियों को ट्रैक करने और उन्हें नष्ट करने के लिए एडवांस तकनीकों का सहारा लेना शुरू कर दिया है।
हाल में पकड़े गए ड्रोन के जरिए यह भी पता चला कि पाकिस्तान इन पर बड़ी रकम खर्च कर रहा है। एक ड्रोन की कीमत लाखों रुपये तक बैठती है।
पंजाब के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी DJI ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है। वहां यह देखा गया है कि ड्रोन का उपयोग न केवल ड्रग्स बल्कि आतंकवादी गतिविधियों के लिए हथियार भेजने के लिए भी हो रहा है।
भारत के लिए चुनौती
भारत के लिए यह मामला न केवल सुरक्षा बल्कि कूटनीति से जुड़ा है। मणिपुर और नागालैंड जैसे राज्यों के पास ड्रोन का यह इस्तेमाल भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है। भारतीय सेना और सुरक्षा एजेंसियों को इस मामले में सतर्क रहना होगा और इन क्षेत्रों में निगरानी बढ़ानी होगी।
भारत ने पहले भी म्यांमार के साथ मिलकर हथियारबंद समूहों के खिलाफ कार्रवाई की है। लेकिन अब, ड्रोन जैसे उन्नत तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।