Aksai Chin: रक्षा समाचार की खबर का असर! अक्साई चिन को दो प्रांतों में बांटने पर भारत ने चीन को लताड़ा, कहा- चीन ने कर रखा है अवैध कब्जा

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📍नई दिल्ली | 4 months ago

Aksai Chin: भारत ने शुक्रवार को चीन के कब्जा किए गए भारतीय क्षेत्र अक्साई चिन के हिस्सों को शामिल करते हुए बनाए गए नए काउंटी यानी जिलों पर कड़ी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “हमने कूटनीतिक माध्यमों से चीन के साथ गंभीर विरोध दर्ज कराया है।” चीन ने यह कदम उस समय उठाया है जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की बहाली को लेकर बातचीत चल रही है। हाल ही में भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि लगभग पांच साल बाद सीमा विवाद पर वार्ता के लिए बीजिंग में मिले थे। इस वार्ता के ठीक 10 दिन बाद चीन ने यह विवादास्पद फैसला लिया।

Aksai Chin: India Slams China for Dividing Region Into Two Counties

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Aksai Chin: भारत का सख्त रुख

विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत ने इस क्षेत्र में चीन के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है। विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कड़ा बयान जारी करते हुए कहा कि नए काउंटी का निर्माण न तो इस क्षेत्र पर भारत की संप्रभुता के प्रति लंबे समय से कायम उसकी स्थिति को प्रभावित करेगा, न ही चीन के अवैध और जबरदस्ती किए गए कब्जे को वैधता प्रदान करेगा।

Aksai Chin: चीन ने बनाए दो नए काउंटी

हाल ही में, चीन ने शिंजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में दो नए काउंटी – हेआन काउंटी और हेकांग काउंटी – बनाने का एलान किया है। उत्तर-पश्चिमी चीन के होटन प्रांत के प्रशासन के तहत इन दोनों नए काउंटी को रखा गया है। हेआन काउंटी की प्रशासनिक सीट होंगलिउ टाउनशिप में बनाई गई है, जबकि हेकांग काउंटी की सीट ज़ेयिडुला टाउनशिप में स्थित है। हेआन काउंटी लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है, जिसमें भारत का अक्साई चिन का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है। यह वही क्षेत्र है जिसे भारत अपनी संप्रभुता का हिस्सा मानता है और चीन पर इस पर अवैध कब्जे का आरोप लगाता है। इन जिलों के अधिकांश क्षेत्र भारत के केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आते हैं।

Aksai Chin: China Secret Move to Divide Region Amid India's Claim

वहीं, चीन ने यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि लगभग पांच साल बाद सीमा विवाद पर वार्ता के लिए बीजिंग में मिले थे। इस वार्ता के ठीक 10 दिन बाद चीन ने यह विवादास्पद फैसला लिया।

चीन द्वारा अक्साई चिन के क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाने का यह नया प्रयास भारत की संप्रभुता के लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। अक्साई चिन 1950 के दशक से चीन के अवैध कब्जे में है, लेकिन भारत इसे अपना क्षेत्र मानता है।

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भारत-चीन के बीच विवाद का इतिहास

अक्साई चिन भारत और चीन के बीच लंबे समय से विवाद की वजह बना हुआ है। 1962 में दोनों देशों के बीच हुए युद्ध में इस क्षेत्र पर बड़े पैमाने पर संघर्ष हुआ था। अक्साई चिन लद्दाख के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है और रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्र है।

1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, चीन ने अक्साई चिन के 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर लिया। इसके बाद 1963 में, पाकिस्तान ने साक्सगाम घाटी के 5,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को चीन को सौंप दिया, जिससे यह विवाद और जटिल हो गया।

चीन की आक्रामक नीतियां यहीं खत्म नहीं होतीं। वह अरुणाचल प्रदेश के 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भी दावा करता है और इसे “दक्षिण तिब्बत” का हिस्सा बताने की कोशिश करता है। इसके अतिरिक्त, चीन हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर भी अपना अधिकार जताता है।

Depsang: नया विवादास्पद बिंदु

हाल के वर्षों में, देपसांग का क्षेत्र, जो अक्साई चिन से महज 40 किमी पश्चिम में स्थित है, एक नया विवादास्पद बिंदु बन गया है। इस क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।

भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने चीन के इस कदम को क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। MEA ने कहा, “भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस तरह की हरकतों से भारतीय क्षेत्र पर दावा करने के प्रयासों को किसी भी सूरत में मान्यता नहीं दी जा सकती।”

क्या है अक्साई चिन की रणनीतिक महत्ता?

अक्साई चिन क्षेत्र हिमालय के ऊंचे इलाकों में स्थित है और यह भारत और चीन के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यहां के प्राकृतिक संसाधन और भौगोलिक स्थिति इसे एशिया के भू-राजनीतिक परिदृश्य में अहम बनाते हैं।

अक्साई चिन, जो भारत के लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा है, चीन के लिए एक सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह इलाका चीन के जी-219 हाईवे से जुड़ा हुआ है, जो झिंजियांग और तिब्बत को आपस में जोड़ता है। यह हाईवे चीन के सैन्य और आर्थिक संचालन के लिए एक महत्वपूर्ण लाइफलाइन है।

चीन ने होंगलिउ टाउनशिप को हेआन काउंटी का प्रशासनिक मुख्यालय घोषित किया है, जो भारतीय सीमा रेखा से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। होंगलिउ, जिसे स्थानीय स्तर पर “दाहोंगल्युतन” के नाम से भी जाना जाता है, पहले एक साधारण सैन्य बैरक और ट्रक-स्टॉप था। 2017 के बाद से चीन ने इस क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य शुरू किए हैं।

होंगलिउ का रणनीतिक महत्व इसके खनिज संसाधनों, विशेष रूप से लिथियम के खनन, के कारण बढ़ गया है। यह खनिज भविष्य की प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से बैटरी उत्पादन में उपयोगी है, जिससे चीन की इस क्षेत्र पर पकड़ और मजबूत होती जा रही है।

Aksai Chin: चीन का प्रशासनिक विस्तार

चीन ने हाल ही में हेआन और हेकांग काउंटी की स्थापना की है, जिससे अक्साई चिन क्षेत्र में उसकी प्रशासनिक उपस्थिति और सुदृढ़ हुई है। हेआन काउंटी में होंगलिउ टाउनशिप को मुख्यालय के रूप में स्थापित करना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि चीन इस इलाके में अपनी पकड़ को और मजबूत करना चाहता है।

इस प्रशासनिक बदलाव के साथ, चीन ने अक्साई चिन क्षेत्र में नई वित्तीय और प्रशासनिक गतिविधियों का विस्तार शुरू किया है। यह कदम न केवल क्षेत्रीय नियंत्रण को मजबूत करता है, बल्कि चीन के रणनीतिक लक्ष्यों की दिशा में भी बढ़ता है।

चीन का क्या है उद्देश्य

चीन ने अक्साई चिन में दो नए काउंटी, हेआन और हेकांग, बनाकर अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया है। इन काउंटी की स्थापना के जरिए चीन न केवल अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत कर रहा है, बल्कि इस क्षेत्र में आर्थिक और सामरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का प्रयास भी कर रहा है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने दावे को वैध दिखाने और सीमा पर अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है।

चीन की यह रणनीति भारत की सीमा पर तनाव बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकती है।

अक्साई चिन में लिथियम का भंडार

होंगलिउ टाउनशिप, जिसे अब हेआन काउंटी का प्रशासनिक मुख्यालय बनाया गया है, यह इलाका लिथियम खनन के लिए प्रसिद्ध है। लिथियम का इस्तेमाल बैटरी निर्माण और तकनीकी उपकरणों में होता है, वर्तमान में वैश्विक बाजार में अत्यधिक मांग में है। चीन का यह कदम यह दर्शाता है कि वह अक्साई चिन को केवल सामरिक संपत्ति नहीं, बल्कि आर्थिक संसाधन के रूप में भी देख रहा है।

लिथियम जैसे खनिजों की मौजूदगी ने इस क्षेत्र के महत्व को और बढ़ा दिया है। वैश्विक तकनीकी दौड़ में चीन इस संपदा का उपयोग अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कर सकता है। यह विकास भारत के लिए भी एक चेतावनी है कि क्षेत्रीय संसाधनों पर चीन की पकड़ न केवल आर्थिक बल्कि सैन्य दृष्टि से भी खतरनाक हो सकती है।

चीन की ये रणनीतिक गतिविधियां भारत के लिए एक स्पष्ट संदेश हैं कि उसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता और सामरिक योजनाओं को लेकर सतर्क रहना होगा।

चीन की रणनीति और भारत के लिए चुनौती

चीन ने अक्साई चिन में अपने कदमों से यह संदेश दिया है कि वह इस क्षेत्र पर अपने कब्जे को वैधता प्रदान करना चाहता है। होंगलिउ जैसे संवेदनशील स्थान को काउंटी मुख्यालय बनाकर, चीन ने इसे न केवल प्रशासनिक केंद्र बनाया है, बल्कि इसे एक रणनीतिक हब के रूप में विकसित करने का प्रयास किया है।

यह कदम न केवल भारत के लिए सामरिक चुनौती प्रस्तुत करता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करता है। अक्साई चिन के प्रति चीन का यह रवैया भारत के साथ सीमा विवाद को और जटिल बना सकता है।

चीन की मंशा पर सवाल

चीन के इस कदम को उसकी विस्तारवादी नीति का हिस्सा माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए काउंटी  का निर्माण भारत पर दबाव बनाने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने दावों को वैधता देने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनाव को कैसे सुलझाया जाता है।

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