Ukraine Military Aid: यूक्रेन को सैन्य मदद रोकने के ट्रंप के फैसले के क्या हैं मायने? क्या रूस से लड़ाई जारी रख सकेगा कीव? पढ़ें Explainer

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📍नई दिल्ली | 1 month ago

Ukraine Military Aid: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगाने का फैसला लिया है, जिससे अमेरिका और यूक्रेन के बीच संबंधों में तनाव बढ़ता जा रहा है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि जब तक यूक्रेन शांति वार्ता के लिए तैयार नहीं होता, तब तक अमेरिका से किसी भी प्रकार की सैन्य मदद नहीं दी जाएगी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब यूक्रेन लगातार रूस के खिलाफ सैन्य समर्थन बढ़ाने की मांग कर रहा था।

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Ukraine Military Aid: यूक्रेन का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी रहा है अमेरिका

फरवरी 2022 में रूस के आक्रमण के बाद से अमेरिका यूक्रेन का सबसे बड़ा सैन्य सहयोगी रहा है। अब तक अमेरिका ने यूक्रेन को 86 अरब डॉलर की सैन्य सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई थी, जिसमें से 46 अरब डॉलर राष्ट्रपति की विशेष अधिकार योजना (PDA), 33 अरब डॉलर यूक्रेन सुरक्षा सहायता पहल (USAI) और 7 अरब डॉलर फॉरेन मिलिट्री फंडिंग (FMF) के तहत दिए जाने थे। इन पैसों का उपयोग मिसाइल, टैंक, हेलिकॉप्टर, रक्षा प्रणाली और अन्य सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए किया जाता रहा है। लेकिन अब इस सहायता को रोकने का निर्णय अमेरिका की विदेश नीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।

Ukraine Military Aid: यूक्रेन को क्यों रोकी गई अमेरिकी सैन्य सहायता?

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के पीछे मुख्य वजह जेलेंस्की की हालिया टिप्पणियां मानी जा रही हैं। जेलेंस्की ने हाल ही में कहा था कि “यूक्रेन युद्ध का अंत अभी बहुत दूर है।” इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा कि जेलेंस्की युद्ध को तभी खत्म करना चाहते हैं, जब तक अमेरिका उन्हें समर्थन देता रहेगा। इसके बाद ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद पर रोक लगाने की घोषणा की।

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व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के अनुसार, यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक कि यूक्रेन यह साबित नहीं कर देता कि वह रूस के साथ शांति वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है।

इससे पहले 28 फरवरी को व्हाइट हाउस में हुई एक बैठक में ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वांस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने जेलेंस्की पर अमेरिकी मदद के लिए पर्याप्त आभार न जताने का आरोप लगाया था। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि अमेरिका अब यूक्रेन की नीति में बदलाव देखना चाहता है और चाहता है कि कीव जल्द से जल्द रूस के साथ शांति वार्ता करे।

Ukraine Military Aid: यूक्रेन पर क्या होगा असर?

यूक्रेन को रूस से मिल रही लगातार चुनौती के बीच अमेरिकी सैन्य मदद पर रोक लगना उसके लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। लेकिन इस सैन्य सहायता में से ज्यादातर रकम अब तक खर्च नहीं हुई थी। Center for Strategic and International Studies (CSIS) के अनुसार, अब तक केवल 20.2 अरब डॉलर की मदद ही यूक्रेन तक पहुंची थी। बाकी 34.2 अरब डॉलर की मदद को लेकर अमेरिकी सरकार ने अनुबंध किए थे, लेकिन वह अभी तक लागू नहीं हुए थे। अब ट्रंप के फैसले के बाद इन अनुबंधों पर भी संकट मंडरा रहा है।

यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शमिहाल के अनुसार, यूक्रेन के पास अब भी सैन्य उत्पादन की क्षमता है, लेकिन वह अपनी कुल आवश्यकताओं का केवल 40% ही खुद से बना सकता है। बाकी 30% अमेरिका और 30% यूरोप से आता है। अमेरिकी मदद के बिना, यूक्रेन के लिए रूस के बढ़ते हमलों को रोक पाना मुश्किल हो सकता है। सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि बिना अमेरिकी सहायता के यूक्रेन केवल 2 से 4 महीने तक रूस के खिलाफ मजबूती से खड़ा रह सकता है। इसके बाद रूस को आगे बढ़ने का मौका मिल सकता है।

सैन्य विशेषज्ञ मार्क कैंसियन के अनुसार, अगर अमेरिका से मिलिट्री सप्लाई नहीं होती है, तो यूक्रेनी सेना दो से चार महीनों में कमजोर पड़ सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अमेरिका की सैन्य सहायता बंद होने से रूस को युद्ध में निर्णायक बढ़त मिल सकती है।

Ukraine Military Aid: क्या यूरोप भर सकता है अमेरिका की जगह?

यूरोप अब तक यूक्रेन को अमेरिका के बराबर ही सैन्य मदद देता आया है। लेकिन अगर अमेरिका की मदद पूरी तरह से बंद हो जाती है तो यूरोपीय देशों को अपने सैन्य खर्च में भारी इजाफा करना होगा। ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे देश पहले ही सुरक्षा गारंटी देने की बात कर रहे हैं। हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने 1.6 अरब पाउंड (2 अरब डॉलर) की सहायता की घोषणा की, जिसमें यूक्रेन को 5,000 एयर डिफेंस मिसाइलें मिलेंगी।

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यूरोपीय देश अब रूसी सेंट्रल बैंक की जब्त संपत्तियों से यूक्रेन को मदद देने पर विचार कर रहे हैं। अमेरिका और यूरोप ने रूस के 300 अरब डॉलर की संपत्ति जब्त कर रखी है, जिसे यूक्रेन को देने की मांग तेज हो रही है। पोलैंड, एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया जैसे देश इस कदम का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

Ukraine Military Aid: क्या ट्रंप के फैसले से अमेरिका की राजनीति बदलेगी?

ट्रंप के इस फैसले की अमेरिका में डेमोक्रेट नेताओं ने कड़ी आलोचना की है। पेंसिल्वेनिया से डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य ब्रेंडन बॉयल ने इसे ‘खतरनाक’ और ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा’ बताया है। वहीं, डेमोक्रेटिक सांसद डैन गोल्डमैन ने ट्रंप के इस कदम को यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के खिलाफ एक और ब्लैकमेलिंग प्रयास बताया।

ट्रंप पहले भी NATO और यूरोपीय सहयोगियों से अमेरिका के ज्यादा योगदान पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने पहले भी संकेत दिए थे कि अमेरिका को अब वैश्विक सुरक्षा मुद्दों में अपनी भूमिका कम करनी चाहिए। लेकिन उनके इस कदम से अमेरिका के पारंपरिक सहयोगी नाराज हो सकते हैं और रूस को इससे सीधा फायदा हो सकता है।

क्या यूक्रेन लड़ाई जारी रख सकता है?

सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका की मदद के बिना यूक्रेन की लड़ाई लंबे समय तक जारी रह पाना मुश्किल होगा। हालांकि, जेलेंस्की को अभी भी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूक्रेन के संबंध सिर्फ मदद तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह एक रणनीतिक साझेदारी है। लेकिन हकीकत यह है कि बिना अमेरिकी मदद के यूक्रेन को अपने सैन्य संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ेगा और रूस के खिलाफ उसकी स्थिति कमजोर हो सकती है।

वहीं, यूक्रेन के पास युद्ध जारी रखने के कुछ सीमित विकल्प हैं। पहला, वे यूरोपीय देशों से ज्यादा मदद की मांग कर सकते हैं। जिसके तहत जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश अपनी सैन्य आपूर्ति बढ़ा सकते हैं, लेकिन इससे तुरंत कोई राहत नहीं मिलेगी। दूसरा विकल्प है कि यूक्रेन अपने सैन्य उत्पादन को बढ़ा सकता है। यूक्रेन ने हाल ही में ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया है, लेकिन इसी रफ्तार काफी धीमी है। वहीं, तीसरा विकल्प शांति वार्ता का है। रूस पहले ही शांति वार्ता का संकेत दे चुका है, लेकिन यूक्रेन को डर है कि इससे उसे अधिक क्षेत्रीय नुकसान हो सकता है।

वहीं, ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से वैश्विक सुरक्षा संतुलन बदल सकता है। अगर यूरोप अमेरिका की कमी पूरी नहीं कर पाता, तो रूस के लिए यूक्रेन में अपनी पकड़ मजबूत करना आसान हो जाएगा। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप अपने फैसले पर कायम रहते हैं या फिर अमेरिकी कांग्रेस और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते इसमें बदलाव करते हैं।

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