AMCA Sixth Generation Engine: भारत का स्टेल्थ फाइटर अब सीधे 6th-Gen इंजन से भरेगा उड़ान, DRDO चीफ का एलान

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By News Desk

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डॉ. कामत ने कहा कि “कावेरी इंजन एक चौथी पीढ़ी का इंजन है और AMCA के लिए हमें छठवीं पीढ़ी के इंजन की जरूरत है।” यानी भारत अब पिछली तकनीकी सीमाओं को पार कर सीधे उस इंजन टेक्नोलॉजी पर काम करेगा, जो अभी अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों में ही रिसर्च स्टेज में है...

📍New Delhi | 8 hours ago

AMCA Sixth Generation Engine: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के चीफ डॉ. समीर वी. कामत ने स्वदेशी स्टेल्थ फाइटर प्रोजेक्ट AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) को लेकर बड़ा बयान दिया है। डीआरडीओ चीफ ने कहा है कि भारत अब अपने इस पांचवीं पीढ़ी के फाइटर प्रोजेक्ट में फिफ्थ जनरेशन इंजन की जगह सिक्स्थ जनरेशन इंजन लगाएगा।

AMCA Sixth Generation Engine- DRDO Confirms AMCA to Skip 5th-Gen Engine

AMCA Sixth Generation Engine:  6वीं पीढ़ी का इंजन क्यों चाहिए

डॉ. कामत ने कहा कि “कावेरी इंजन एक चौथी पीढ़ी का इंजन है और AMCA के लिए हमें छठवीं पीढ़ी के इंजन की जरूरत है।” यानी भारत अब पिछली तकनीकी सीमाओं को पार कर सीधे उस इंजन टेक्नोलॉजी पर काम करेगा, जो अभी अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों में ही रिसर्च स्टेज में है। इसमें सबसे अहम भूमिका निभा रही है वैरिएबल साइकिल इंजन (VCE) टेक्नोलॉजी। यह टेक्नोलॉजी मिशन के अनुसार हाई थ्रस्ट और फ्यूल एफिशिएंसी के बीच स्विच कर सकती है।

AMCA Sixth Generation Engine: क्या है VCE तकनीक और क्यों है खास?

Variable Cycle Engine, पारंपरिक जेट इंजनों के मुकाबले बेहद एडवांस है। यह इंजन एयरफ्लो और बायपास रेशियो को जरूरत के मुताबिक बदल सकता है, जिससे यह एक ही समय में ज्यादा ताकत, कम ईंधन खपत और बेहतर थर्मल कंट्रोल देता है। इससे न सिर्फ विमान लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है, बल्कि भविष्य में उसमें लेज़र वेपन जैसी एनर्जी-इंटेंसिव सिस्टम्स को भी ताकत दी जा सकती है। इस तकनीक से न केवल 25% बेहतर ईंधन दक्षता मिलती है, बल्कि लंबी उड़ान रेंज, एडवांस थर्मल मैनेजमेंट और डायरेक्टेड-एनर्जी वेपंस जैसे लेजर सिस्टम को सपोर्ट करती है। यह इंजन AMCA को सुपरक्रूज (बिना आफ्टरबर्नर के 1.2 मैक की गति) और एडवांस सिस्टम जैसे AESA रडार और स्वार्म ड्रोन कंट्रोल जैसी क्षमताएं देगा।

5वीं पीढ़ी को स्किप करने का जोखिम

विशेषज्ञों का मानना है कि जहां कावेरी प्रोग्राम जैसी पुराने प्रोजेक्ट्स में 1980 के दशक से अब तक भी कई चुनौतियां बनी हुई हैं, वहीं सीधे छठवीं पीढ़ी पर छलांग लगाना तकनीकी और लॉजिस्टिक दोनों ही स्तरों पर भारत के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो डीआरडीओ के इस विजन को सपोर्ट कर रहा है। उनका मानना है कि चीन और अमेरिका पहले से ही अपने 6th-gen प्रोजेक्ट्स (जैसे J-XX और NGAD) पर काम कर रहे हैं, और भारत को प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए यह कदम उठाना जरूरी है।

AMCA Sixth Generation Engine: कावेरी से लीं कई सीखें

डीआरडीओ प्रमुख ने यह भी बताया कि कावेरी इंजन प्रोग्राम के अनुभवों से काफी कुछ सीखने को मिला है। अब GTRE (Gas Turbine Research Establishment) नए अलॉयज, 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से डिज़ाइन ऑप्टिमाइजेशन की ओर बढ़ रही है। इस बार मिशन में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय कंपनियों जैसे सैफरान (फ्रांस) और रोल्स-रॉयस (यूके) के साथ साझेदारी की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं।

10,000 करोड़ के निवेश की योजना

डीआरडीओ अगले 10 वर्षों में इंजन रिसर्च और डेवलपमेंट पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रहा है। इस प्रोजेक्ट में गोदरेज एयरोस्पेस, एलएंडटी जैसे भारतीय निजी क्षेत्र के साझेदारों को भी शामिल किया जाएगा ताकि तकनीक का न सिर्फ विकास हो, बल्कि घरेलू उत्पादन क्षमता भी मजबूत हो।

AMCA Mk-2: सुपरक्रूज़ और लेजर वेपंस के लिए तैयार

AMCA का पहला वर्जन 5वीं पीढ़ी की क्षमताओं के साथ आएगा, लेकिन Mk-2 वेरिएंट, जिसे 2040 तक सेवा में लाने की योजना है, उसमें छठवीं पीढ़ी की खूबियां, जैसे स्वार्म ड्रोन कंट्रोल, ऑप्शनल मैनिंग (यानि पायलट रहित मोड) और एडवांस्ड सेंसर्स शामिल होंगे। इस सबके लिए एक बेहद एडवांस इंजन जरूरी है, जो बिना आफ्टरबर्नर के Mach 1.2 की स्पीड (सुपरक्रूज़) पकड़ सके।

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2032 तक होगा इंजन का प्रोटोटाइप तैयार

डीआरडीओ की योजना है कि VCE का एक वर्किंग प्रोटोटाइप 2032 तक तैयार कर लिया जाए। अगर यह लक्ष्य समय पर हासिल किया गया तो भारत दुनिया के उन चंद देशों में शामिल हो जाएगा जो छठवीं पीढ़ी की इंजन टेक्नोलॉजी में महारत रखते हैं। DRDO ने 2032 तक VCE प्रोटोटाइप का परीक्षण शुरू करने की योजना बनाई है।

अभी दुनिया में कई देश छठवीं पीढ़ी का इंजन को डेवलप करने में जुटे हुए हैं। केवल कुछ ही देश, जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका Adaptive Engine Transition Program (AETP) पर काम कर रहा है, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस Future Combat Air System (FCAS) इंजन पर रिसर्च कर रहे हैं। ऐसे में DRDO भारत के AMCA के लिए 6th-gen इंजन बना देता है, तो यह भारत को वैश्विक सैन्य शक्ति के रूप में एक नई ऊंचाई देगा। चीन की ओर से आने वाले J-XX प्रोजेक्ट और अमेरिका के NGAD (Next-Generation Air Dominance) जैसे प्रोग्राम से मुकाबले के लिए यह जरूरी भी है। इससे भारत न सिर्फ अपनी वायुसेना की ताकत बढ़ा पाएगा, बल्कि रक्षा निर्यात में भी एक नया अध्याय जोड़ सकेगा। यह प्रोजेक्ट देश की ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति को भी मजबूती देगा।

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