PM Modi US Visit: अमेरिका दौरे में मोदी पर F-21 या F-35A फाइटर जेट की खरीद का दबाव बना सकते हैं ट्रंप! लेकिन भारत नहीं है तैयार, ये है वजह

By हरेंद्र चौधरी

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📍नई दिल्ली | 4 Feb, 2025, 3:20 PM

PM Modi US Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 से 14 फरवरी के बीच अमेरिका की यात्रा पर जाएंगे, जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होगी। इस साल ट्रंप से मिलने वाले वह तीसरे वैश्विक नेता होंगे, इससे पहले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला II नए अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात कर चुके हैं। इस दौरे के दौरान भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सौदों को लेकर अहम बातचीत होने की संभावना है। ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत अमेरिकी हथियारों और डिफेंस टेक्नोलॉजी की खरीद को और बढ़ाए।

PM Modi US Visit: Trump May Push for F-21 or F-35A Deal, But India Unlikely to Agree! Here's Why

अमेरिका भारत पर दबाव बना रहा है कि वह अपनी रक्षा जरूरतों के लिए और अधिक अमेरिकी हथियारों और डिफेंस सिस्टम की खरीद करे। 2007 से अब तक भारत ने अमेरिका से 25 अरब डॉलर से अधिक के डिफेंस इक्विपमेंट्स खरीदे हैं, लेकिन ट्रंप प्रशासन चाहता है कि यह सहयोग और आगे बढ़े। इसके तहत फाइटर जेट्स, आर्मर्ड व्हीकल्स, एरो-इंजन और मिसाइलों की खरीद के लिए अमेरिका भारत को राजी करने की कोशिश करेगा।

PM Modi US Visit: F-21 या F-35A स्टेल्थ फाइटर जेट देने की पेशकश

सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी सरकार भारत पर दबाव बना रही है कि वह अपने मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोजेक्ट के तहत Lockheed Martin के F-21 या Boeing के F-15EX को चुन ले। बदले में, अमेरिका ने भारत को कुछ व्यापारिक रियायतें (तेजस के इंजन और अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टर की डिलीवरी) देने की पेशकश की है। हालांकि भारतीय वायुसेना (IAF) इस सौदे को लेकर तैयार नहीं है। वहीं अमेरिका ने भारत को F-35A स्टेल्थ फाइटर जेट देने की पेशकश भी की है, लेकिन इसके साथ कई सख्त शर्तें रखी गई हैं।

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PM Modi US Visit: वायुसेना को चाहिए 114 नए मल्टीरोल फाइटर जेट

भारतीय वायुसेना लंबे समय से 114 नए मल्टीरोल फाइटर जेट (MRFA) खरीदने की योजना बना रही है, जिसकी अनुमानित लागत 1.25 लाख करोड़ रुपये है। इस सौदे को लेकर अमेरिकी कंपनियां बोइंग और लॉकहीड मार्टिन अपने लड़ाकू विमानों F-16 और F-35 को भारत में पेश करने के लिए तैयार हैं। 10 से 14 फरवरी को बेंगलुरु में होने वाले एयरो इंडिया शो में अमेरिका अपने F-16 और पांचवीं पीढ़ी के F-35 फाइटर जेट का भी प्रदर्शन करेगा, लेकिन उसकी डेमो फ्लाइट नहीं करेगा।

PM Modi US Visit: कमजोर हैं F-21 और F-15EX

वायुसेना सूत्रों के मुताबिक भारतीय वायुसेना का मानना है कि F-21 और F-15EX भले ही आधुनिक तकनीकों से लैस हों, लेकिन ये विमान चीन और पाकिस्तान के स्टेल्थ फाइटर जेट्स के मुकाबले कमजोर साबित हो सकते हैं। भारत का सबसे बड़ा डर यह है कि चीन के J-20 और J-35A जैसे लेटेस्ट पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट्स के मुकाबले ये अमेरिकी विमान किसी मुकाबले में नहीं हैं।  वहीं, पाकिस्तान भी चीनी स्टेल्थ लड़ाकू विमानों को शामिल करने की योजना बना रहा है। ऐसे में, भारत ऐसे फाइटर जेट्स नहीं खरीदना चाहता जो तकनीकी रूप से पिछड़ सकते हैं।

F-35A Fighter Jet

PM Modi US Visit: फाइटर जेट बेचने के लिए ये हैं अमेरिकी शर्तें

इसके अलावा, भारतीय वायुसेना इस बात से भी चिंतित है कि अमेरिका द्वारा बेचे गए लड़ाकू विमानों पर ऑपरेशनल प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। ऐसा पहले भी हो चुका है कि अमेरिका अपने मिलिट्री एक्सपोर्ट्स को सख्त निगरानी के साथ बेचता है, जिससे किसी भी देश की सैन्य स्वायत्तता (Operational Sovereignty) प्रभावित होती है। अमेरिकी शर्तें भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं, क्योंकि भारतीय वायुसेना ऐसे कोई भी वेपन सिस्टम्स नहीं चाहती जिस पर बाहरी नियंत्रण हो।

हालांकि अमेरिका ने भारत को F-35A स्टेल्थ फाइटर जेट देने की पेशकश भी की है, लेकिन इसके साथ कई सख्त शर्तें रखी गई हैं। सूत्रों के अनुसार, यदि भारत F-35A लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला करता है, तो उसे अमेरिका की ओर से तीन प्रमुख शर्तें माननी होंगी। इनमें पहली शर्त भारतीय एयरबेस पर नियमित निरीक्षण शामिल है। अमेरिकी प्रस्ताव के मुताबिक, F-35A की तैनाती वाले भारतीय एयरबेस का नियमित निरीक्षण किया जाएगा। अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विमान का संचालन, रखरखाव और तकनीकी इस्तेमाल उनकी निर्धारित प्रक्रियाओं के मुताबिक हो। इससे भारत की डिफेंस स्ट्रेटेजी पर अमेरिकी की निगरानी बढ़ सकती है।

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वहीं, अमेरिका चाहता है कि भारत F-35A की तैनाती और उसके इस्तेमाल पर अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट्स की निगरानी हो। इसका मतलब यह होगा कि भारत को हर मिलिट्री मिशन के दौरान अमेरिका को जानकारी देनी होगी, जिसका असर भारत की ऑपरेशनल प्लानिंग पर पड़ सकता है। इसके अलावा तीसरी शर्त भारत में प्रोडक्शन को लेकर है। भारत लंबे समय से अपनी ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत रणनीति के तहत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अमेरिका ने साफ कर दिया है कि F-35A का प्रोडक्शन भारत में नहीं होगा। इससे भारत को इस विमान के लिए पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर रहना पड़ेगा, जिससे लॉजिस्टिक और मेंटेनेंस पर लागत बढ़ सकती है।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन प्रतिबंधों के चलते F-35A को खरीदना भारत के लिए फायदेमंद नहीं होगा। अमेरिकी कंपनी Lockheed Martin ने भारत में F-35 के प्रोडक्शन की किसी भी संभावना से इनकार किया है। उसका कहना है कि भारत का ऑर्डर केवल 114 विमानों का है, इसलिए वह यहां इसकी प्रोडक्शन लाइन नहीं लगा सकती है। वहीं अमेरिका की इस रणनीति से भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का फायदा नहीं मिलेगा और वह अमेरिका पर निर्भर रहेगा।

F-16 का मॉडर्न वर्जन है F-21

भारतीय वायुसेना के लिए MRFA टेंडर के तहत मीडियम-वेट फाइटर (Medium-Weight Fighter) की तलाश है। लेकिन F-15EX एक हेवी-कैटेगरी लड़ाकू विमान है। IAF पहले से ही Su-30MKI जैसे हेवी फाइटर जेट्स ऑपरेट कर रही है। ऐसे में एक और भारी लड़ाकू विमान खरीदना वायुसेना के लिए व्यावहारिक नहीं होगा। वहीं, F-21 के बारे में भी कई सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि यह Lockheed Martin के पुराने F-16 का एक मॉडर्न वर्जन है। ऐसे में, भारत इसे लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट के रूप में नहीं देख रहा है। भारतीय वायुसेना चाहती है कि वह एक ऐसा फाइटर जेट खरीदे जो तकनीकी रूप से एडवांस हो, मीडियम-वेट हो और सस्ता भी हो। F-21 और F-15EX दोनों ही इन मानकों पर खरे नहीं उतरते।

सूत्रों के मुताबिक भारतीय वायुसेना ऐसे फाइटर जेट्स चाहती है, जो चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य क्षमताओं का मुकाबला कर सकें। यदि अमेरिका अपनी शर्तों में ढील देता है और F-35A को उचित शर्तों पर भारत को देने के लिए तैयार होता है, तो भारत इस डील पर विचार कर सकता है। लेकिन F-21 और F-15EX जैसे पुराने डिजाइनों को खरीदने के लिए भारतीय वायुसेना बिल्कुल भी तैयार नहीं है।

ट्रंप की ‘डील-मेकिंग’ रणनीति

राष्ट्रपति ट्रंप की “डील-मेकिंग” रणनीति उनके कार्यकाल की पहचान रही है। इसी कड़ी में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात कर भारत को अधिक अमेरिकी डिफेंस टेक्नोलॉजी देने की बात कही है। एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी के मुताबिक, “भारत को ट्रंप प्रशासन के साथ सावधानीपूर्वक बातचीत करनी होगी। अमेरिकी डिफेंस टेक्नोलॉजी एडवांस जरूर है, लेकिन इसे ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत विदेशी सहयोग से उचित लागत पर विकसित करना हमारी प्राथमिकता है। भारत पूरी तरह से आयात करने के बजाय सह-विकास और सह-उत्पादन के मॉडल को प्राथमिकता देगा।”

बाइडेन प्रशासन के अंतिम महीनों में भारत और अमेरिका के बीच 3.3 अरब डॉलर का सौदा हुआ था, जिसमें भारत ने 31 आर्म्ड MQ-9B ‘प्रिडेटर’ ड्रोन खरीदे थे। इसके अलावा, ड्रोन निर्माता कंपनी जनरल एटॉमिक्स के साथ 520 मिलियन डॉलर का एक और समझौता हुआ, जिसके तहत भारत में मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) फैसिलिटी स्थापित की जा रही है। लेकिन ट्रंप प्रशासन कुछ खास डिफेंस डील्स को लेकर ही उत्सुक है।

अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमान के लिए F414-INS6 एयरो-इंजन के को-प्रोडक्शन पर बातचीत जारी है। इस सौदे में 80 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल है और इसकी अनुमानित लागत 1.5 अरब डॉलर होगी।

इसके अलावा, अमेरिका ने भारतीय सेना को लेटेस्ट जनरेशन स्ट्राइकर आर्मर्ड कॉम्बैट व्हीकल्स (ICVs) की जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग की पेशकश भी की है। पिछले साल जून में भारत-अमेरिका डिफेन्स इंडस्ट्रियल कोऑपरेशन रोडमैप तैयार किया गया था, जिसके तहत 527 व्हील्ड ICVs की जरूरतों का अनुमान लगाया गया है। बता दें कि अमेरिका ने लद्दाख में ऊंचाई वाले इलाकों में Javelin एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों से लैस स्ट्राइकर आर्मर्ड व्हीकल्स का ट्रायल भी कर चुका है।

MH-60R सी हॉक हेलीकॉप्टर और P-8I पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट पर हो सकती है बातचीत

भारत ने फरवरी 2020 में 2.13 अरब डॉलर में 24 MH-60R सी हॉक हेलीकॉप्टर खरीदे थे। अब अमेरिका इस हेलिकॉप्टर के लिए एडिशनल टेक्निकल इक्विपमेंट और सपोर्ट सिस्टम देने के लिए 1.1 अरब डॉलर का सौदा करना चाहता है। इसके अलावा, अमेरिका भारत को छह और P-8I मेरीटाइम पैट्रॉल एयरक्राफ्ट बेचने का इच्छुक है। इससे पहले, भारत ने 12 P-8I विमान 3.2 अरब डॉलर में खरीदे थे। P-8I विमान में अत्याधुनिक हथियार और सेंसर लगे हैं, जो भारतीय नौसेना को समुद्री सीमाओं पर बेहतर निगरानी और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

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