📍नई दिल्ली | 2 months ago
P-8I Aircraft Deal: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ी डिफेंस डील पर बातचीत हो सकती है। यह डील अमेरिका से छह और एडवांस्ड P-8I लॉन्ग-रेंज मेरीटाइम पेट्रोल और सबमरीन-हंटिंग एयरक्राफ्ट खरीदने को लेकर है। यह सौदा लगभग तीन साल पहले ठंडे बस्ते में चला गया था, लेकिन अब इसे फिर से इस पर काम करने की कोशिश की जा रही है।
P-8I Aircraft Deal: चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियां
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वॉशिंगटन में होने वाली समिट मीटिंग से पहले इस प्रस्ताव को फिर से “पुनर्विचार” के लिए उठाया गया है। इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है, उसके मुताबिक हिंद महासागर और आसपास के क्षेत्रों में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के चलते भारत की निगरानी क्षमताओं को मजबूत करने की जरूरत है।
अमेरिका से इन छह P-8I विमानों के लिए एक वाजिब दामों का प्रस्ताव देने के लिए कहा गया है। यह सौदा अमेरिका के फॉरेन मिलिट्री सेल्स (FMS) कार्यक्रम के तहत गर्वनमेंट-टू-गर्वनमेंट के स्तर पर किया जाएगा। सही कीमतें मिलने बाद के बाद ही यह तय किया जाएगा कि इस सौदे को अमली जामा पहनाया जा सकता है या नहीं।
P-8I Aircraft Deal: भारतीय नौसेना के पास पहले से ही 12 P-8I विमान
बता दें कि भारतीय नौसेना के पास पहले से ही 12 P-8I विमान हैं, जिन्हें मल्टी-मोड रडार, एडवांस इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सेंसर, हार्पून ब्लॉक-II मिसाइलें, MK-54 हल्के टॉरपीडो, रॉकेट और डेप्थ चार्ज से लैस किया गया है। इन विमानों को बोइंग ने बनाया है और 2009 और 2016 में कुल 3.2 बिलियन डॉलर से अधिक के दो अलग-अलग सौदों के तहत इन्हे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
Aero India 2025: पुराने तेजस से कहीं ज्यादा घातक है LCA Mk2, इस साल के आखिर तक आएगा प्रोटोटाइप, 2026 में भरेगा पहली उड़ान
P-8I विमान का इस्तेमाल मुख्य रूप से दुश्मन की पनडुब्बियों और वॉरशिपों को टारगेट कर उन्हें नष्ट करने के लिए किया जाता है। लेकिन भारत ने इन विमानों का इस्तेमाल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ अप्रैल 2020 में शुरू हुए हिंसक संघर्ष के बाद से 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ चीनी सैनिकों और उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी बड़े पैमाने पर किया है।
मई 2021 में अमेरिका ने दिया था ऑफर
मई 2021 में, अमेरिकी विदेश विभाग ने कांग्रेस को भारत को छह P-8I विमानों और उससे जुड़े इक्विपमेंट्स की 2.4 बिलियन डॉलर की संभावित बिक्री के बारे में बताया था।। हालांकि, भारत ने इस सौदे पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसके बाद इस सौदे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब, यदि भारत इस सौदे को आगे बढ़ाता है, तो कीमत पहले के मुकाबले ज्यादा होने की संभावना है।
इसके अलावा, भारतीय नौसेना को अमेरिका से 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन में से 15 ड्रोन मिलने वाले हैं। ये ड्रोन लंबी दूरी के “हंट एंड किल” मिशनों के लिए बनाए गए हैं। यह सौदा पिछले साल अक्टूबर में 3.4 अरब डॉलर में तय हुआ था। भारतीय सेना और वायुसेना को इन ड्रोनों में से आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।
अमेरिका ने भारत को बेचे 25 अरब डॉलर से अधिक के हथियार
2007 के बाद से अमेरिका ने भारत को 25 अरब डॉलर से अधिक के हथियार बेचे हैं। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप इससे संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने 27 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में भारत से और अधिक अमेरिकी हथियारों की खरीद को बढ़ाने का आग्रह किया था।
P-8I विमानों के अलावा, अमेरिका भारत के साथ आठ पहियों वाले स्ट्राइकर आर्मर्ड इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स की जॉइंट मैन्युफैक्चरिंग की भी पेशकश कर रहा है। इसके साथ ही भारत के साथ मिल कर तेजस मार्क-II लड़ाकू विमानों के लिए जनरल इलेक्ट्रिक F414-INS6 एरो-इंजन बनाने को लेकर भी बातचीत चल रही है।
114 नए मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों के सौदे पर नजर
इसके साथ ही, अमेरिका भारतीय वायुसेना के लिए 114 नए मल्टी-रोल लड़ाकू विमानों (MRFA) बनाने को लेकर भी रुचि दिखा रहा है। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1.25 लाख करोड़ रुपये है। इसके अलावा, इसके अलावा, अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की साझेदारी में, भारतीय वायुसेना के मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट की भी रेस में हैं। इस प्रोजेक्ट के तहत 80 विमान खरीदे जाने हैं, जो पुराने सोवियत मूल के AN-32 बेड़े की जगह लेंगे।