📍नई दिल्ली | 26 Feb, 2025, 5:26 PM
Operation Zafran: फरवरी 2019 का महीना भारत के लिए एक निर्णायक मोड़ था। पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट एयरस्ट्राइक कर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। लेकिन इसके बाद भारतीय सेना ने जो किया, वह शायद ही आम जनता को पता हो। भारतीय सेना ने एक गुप्त सैन्य अभियान, ऑपरेशन जाफरान (Operation Zafran) शुरू किया, जो संभावित युद्ध परिस्थितियों से निपटने के लिए एक टॉप-सीक्रेट मिलिट्री रेडीनेस प्लान था।
Operation Zafran के ऑपरेशन के तहत सेना ने एलओसी (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर फॉरवर्ड तैनाती को तेज़ किया, सैन्य निगरानी और गश्त बढ़ाई और आधुनिक मिलिट्री इक्विपमेंट को तैनात किया, ताकि भारत सामरिक रूप से मजबूत स्थिति में रहे। यह अभियान भारतीय सेना की युद्धक्षमता को हाईएस्ट लेवल तक ले जाने के लिए तैयार किया गया था, ताकि पाकिस्तान किसी भी आक्रामक हरकत से पहले कई बार सोचने पर मजबूर हो जाए।
Operation Zafran: सीमाओं पर हाई-अलर्ट
बालाकोट हमले के बाद भारतीय सेना पूरी तरह से युद्ध के लिए तैयार थी। पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की शहादत के बाद सेना ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने ऑपरेशंस तेज कर दिए। टैंक रेजीमेंट्स, मैकेनाइज़्ड इंफैंट्री, और आर्टिलरी की यूनिट्स को तैनात कर दिया गया। टी-90 टैंक रेजिमेंट्स को खासतौर पर कारगिल सेक्टर में तैनात किया गया ताकि सेना की मारक क्षमता बढ़ाई जा सके।
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सिर्फ सैनिकों की तैनाती ही नहीं, बल्कि अत्यधिक ठंडे इलाकों में युद्ध के लिए स्पेशल इक्विपमेंट और एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोदिंग की भी व्यवस्था की गई। यह सुनिश्चित किया गया कि जवान लंबे समय तक सीमा पर तैनात रह सकें।
सेना की इंजीनियर यूनिट्स ने इंफ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत किया, फॉरवर्ड पोस्ट को और अधिक सुरक्षित बनाया गया और रसद आपूर्ति को दुरुस्त किया गया। वहीं, वायु रक्षा प्रणाली (Air Defence Systems) को हाई-अलर्ट पर रखा गया ताकि दुश्मन की किसी भी हवाई गतिविधि का तुरंत जवाब दिया जा सके।
Operation Zafran- तीनों सेनाओं का जॉइंट ऑपरेशन
ऑपरेशन जाफरान सिर्फ थल सेना तक सीमित नहीं था। भारतीय वायुसेना और नौसेना भी इसमें शामिल थीं। वायुसेना ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भी अपनी सैन्य तैयारियों को बरकरार रखा। पूरी LoC पर सर्विलांस और रीकॉनेसेंस मिशन चलाए गए, ताकि पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर रखी जा सके। वायुसेना की पूरी ताकत ऑपरेशन बंदर के तहत हाई-अलर्ट पर थी। और भारतीय नौसेना ने भी अपने महत्वपूर्ण युद्धपोतों को रणनीतिक स्थानों पर तैनात कर दिया।
भारतीय वायु सेना के मिराज 2000, सुखोई-30MKI और राफेल फाइटर जेट्स को हाई अलर्ट पर रखा गया। वायुसेना ने एयर पेट्रोलिंग को बढ़ाया और आधुनिक S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को तैनात किया गया, जिससे पाकिस्तान की वायुसेना को कोई भी दुस्साहस करने से पहले कई बार सोचना पड़ा।
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भारतीय नौसेना ने इस दौरान भारतीय समुद्री क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और अधिक मजबूत किया। अरब सागर में तैनात INS विक्रमादित्य और अन्य युद्धपोतों को तैयार रखा गया, ताकि किसी भी संभावित समुद्री हमले या दुश्मन की हरकत का तत्काल जवाब दिया जा सके। इस संयुक्त सैन्य रणनीति ने भारत को हर मोर्चे पर मजबूत कर दिया था।
18,000 करोड़ रुपये की गोला-बारूद और हथियार डील
ऑपरेशन जाफरान के दौरान भारतीय सेना ने अपने सैन्य साजो-सामान की खरीद को भी प्राथमिकता दी। सरकार ने लगभग 11,000 करोड़ रुपये की गोला-बारूद खरीद को अंतिम रूप दिया, जिसमें से 95 फीसदी डिलीवर भी हो चुके हैं।
इसके अलावा, सेना ने 33 नई डिफेंस डील्स साइन कीं, जिनकी कुल लागत 7,000 करोड़ रुपये थी। इनमें आधुनिक हथियार, मिसाइल सिस्टम और महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण शामिल थे, जिससे सेना की युद्ध तैयारियों को नई मजबूती मिली।
तत्कालीन सेना प्रमुख की भूमिका और नेतृत्व
बालाकोट स्ट्राइक के बाद सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल बिपिन रावत भारत की सैन्य तैयारियों का चेहरा बने। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने स्पष्ट संदेश दिया कि यदि पाकिस्तान ने कोई भी आक्रामक कदम उठाया, तो भारतीय सेना दुश्मन को उसकी ज़मीन पर ही जवाब देने के लिए तैयार है।
जनरल रावत ने उस समय बार-बार यह बयान दिया कि भारत किसी भी स्थिति में खुद को रक्षात्मक नहीं बनाएगा, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा। उनके इस स्पष्ट मिलिट्री एप्रोच ने पाकिस्तान को बैकफुट पर धकेल दिया।
Operation Zafran ने कैसे बदली भारत की मिलिट्री एप्रोच
ऑपरेशन जाफरान केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, बल्कि यह भारत की नई रक्षा नीति का संकेत था। इसने दिखा दिया कि भारत अब केवल रक्षात्मक नहीं रहेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर आक्रामक कार्रवाई भी करेगा।
बालाकोट हमले के बाद भारत ने अपने सैन्य संसाधनों को अपग्रेड करने, सीमाओं को सुरक्षित बनाने और पाकिस्तान पर रणनीतिक दबाव बनाने की नीति अपनाई। ऑपरेशन ज़ाफरान ने साबित कर दिया कि अब भारत किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।