One Rank One Pension: OROP-3 में पेंशन विसंगतियों से नाराज हैं सेवानिवृत्त सैन्य कर्मी, 401 JCOs ने रक्षा मंत्रालय और नेवी चीफ को भेजा कानूनी नोटिस

By हरेंद्र चौधरी

Kindly Promote Us:

📍नई दिल्ली | 22 Nov, 2024, 3:53 PM

One Rank One Pension: भारत के सशस्त्र बलों से सेवानिवृत्त कर्मी, विशेषकर भारतीय नौसेना के ऑनरेरी कमीशंड ऑफिसर यानी मानद कमीशन प्राप्त अधिकारी (AGHCOs), इन दिनों अपनी मूल पेंशन में हो रही विसंगतियों को लेकर चिंतित हैं। यह मामला वन रैंक, वन पेंशन (OROP-3) योजना के तहत पेंशन में विसंगतियों और असमानता से जुड़ा है। जिसके चलते ये अधिकारी कानूनी लड़ाई लड़ने की योजना बना रहे हैं। ऐसे लगभग 401 अधिकारियों ने रक्षा  मंत्रालय और नेवी चीफ को कानूनी नोटिस भेजा है।

One Rank One Pension: Discontent Among Retired Military Personnel Over OROP-3 Pension Discrepancies, 401 JCOs Send Legal Notice to Defence Ministry and Navy Chief

क्या है वजह?

इस मामले में कानूनी नोटिस भेजने वाले नौसेना में 34 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए लेफ्टिनेंट (रिटायर्ड) जोगी राम और उनके जैसे लगभग 400 अन्य अधिकारियों का कहना है कि OROP-3 के तहत उनकी पेंशन का निर्धारण समान रैंक और सेवा अवधि के अन्य बलों के अधिकारियों से कम किया गया है।

यह भी पढ़ें: OROP: वन रैंक वन पेंशन को लेकर अब जवानों के मन की बात सुनेगी सरकार; भेजा बुलावा, लेकिन ये है शर्त

OROP-3 के अनुसार, जोगी राम और अन्य AGHCOs को 46,300 रुपये प्रति माह की मूल पेंशन मिलनी चाहिए थी। लेकिन वास्तविकता में उन्हें केवल 41,352 रुपये प्रति माह की पेंशन ही मिल रही है। उनका कहना है कि इस अंतर से न केवल उन्हें वित्तीय नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि इसे संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन माना जा रहा है।

समान रैंक में असमानता

AGHCOs का कहना है कि उनकी सहयोगी सेवाओं, जैसे भारतीय वायुसेना के मानद फ्लाइंग ऑफिसर्स और फ्लाइट लेफ्टिनेंट्स, को समान सेवा अवधि के बावजूद पूरी पेंशन दी जा रही है। यह असमानता न केवल आर्थिक स्तर पर अन्यायपूर्ण है, बल्कि सशस्त्र बलों के भीतर समानता और सम्मान की भावना को भी ठेस पहुंचाती है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के वकील सुरेश कुमार पालटा ने इस मामले में AGHCOs की ओर से रक्षा मंत्रालय, भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग (DESW), और नौसेना प्रमुख को कानूनी नोटिस भेजा है।

यह भी पढ़ें: 10 Years of OROP: वन रैंक वन पेंशन के पूरे हुए 10 साल; जानें पूर्व सैनिकों को फायदा हुआ या नुकसान!

इस नोटिस में मांग की गई है कि 30 दिनों के भीतर पेंशन विसंगतियों को सुधारा जाए और AGHCOs को OROP-3 के तहत उनके हक का भुगतान किया जाए। याचिकाकर्ताओं के वकील ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य होंगे।

संविधान का उल्लंघन

नोटिस में यह भी आरोप लगाया गया है कि यह विसंगति भारतीय संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करती है, जो समानता और सम्मानजनक जीवन का अधिकार प्रदान करते हैं। यह मुद्दा न केवल पेंशन का है, बल्कि उन सैनिकों की गरिमा का भी है जिन्होंने देश की सेवा में अपने जीवन का बड़ा हिस्सा समर्पित किया।

AGHCOs का कहना है कि उन्होंने देश के लिए अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाया है। वहीं अब सरकार को भी उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। जोगी राम का कहना है, “यह सिर्फ पैसे की बात नहीं है। यह हमारे बलिदान की मान्यता और हमारे साथ न्याय का मामला है।”

बता दें, OROP-3 योजना की विसंगतियां एक रिटायर्ड सैनिकों के एक बड़े वर्ग को प्रभावित कर रही हैं। यह मामला केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह सवाल सरकार और सैनिकों के बीच पनप रहे अविश्वास का भी है। इस मामे में नोटिस भेजने वाले पूर्व सैनिकों ने उम्मीद जताई है कि संबंधित विभाग इस समस्या का समाधान करके सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति अपने दायित्व को पूरा करेंगे।

पूर्व सैनिकों का कहना है कि जिन सैनिकों ने देश के लिए अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय दिया है, वे सम्मान और न्याय के हकदार हैं। उनके मुद्दों को गंभीरता से सुनना और उनका समाधान करना सरकार का कर्तव्य है।

Kindly Promote Us:

Leave a Comment Cancel reply

Share on WhatsApp
Exit mobile version