अब Maruti Jimny में चलेंगे ITBP के जवान, आईटीबीपी के बेड़े में हुई शामिल, लद्दाख और अरुणाचल की सीमाओं पर होगी तैनात

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By News Desk

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📍नई दिल्ली | 2 months ago

Maruti Jimny: भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के बेड़े में अब मारुति सुज़ुकी की दमदार जिम्नी (Jimny) भी शामिल होंगी। मारुति सुज़ुकी इंडिया लिमिटेड ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस को 60 जिम्नी गाड़ियां सौंपी हैं। इन गाड़ियों को लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम इलाकों में तैनात किए जाएगा। यह पहली बार है जब केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के बेड़े में जिम्नी को जगह दी गई है। इन वाहनों की तैनाती सीमावर्ती क्षेत्रों में गश्त और निगरानी को और मजबूत करेगी।

Maruti Jimny Joins ITBP Fleet, To Patrol Borders in Ladakh and Arunachal Pradesh

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ITBP देश के सबसे कठिन और ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात रहती है, जहां तापमान अक्सर -45 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। ऐसी जगहों पर सुरक्षा बलों को मजबूत और भरोसेमंद वाहनों की जरूरत होती है। वहीं, जिम्नी, अपनी शानदार ऑफ-रोड क्षमताओं के लिए जानी जाती है और ऐसे इलाकों में आसानी से गश्त, सीमा की निगरानी और सैनिकों की आवाजाही के लिए बेहतरीन है।

Maruti Jimny में लैडर-फ्रेम चेसिस

जिम्नी में लैडर-फ्रेम चेसिस और All-Grip Pro (4×4) टेक्नोलॉजी दी गई है, जिससे इसे ऊबड़-खाबड़ रास्तों और मुश्किल इलाकों में भी मजबूत पकड़ और बढ़िया बैलेंसिंग मिलती है। इसके बॉडी डिज़ाइन और स्क्वायर बॉडी रेशियो से ड्राइवर को बेहतर विजिबिलिटी मिलती है, जिससे कठिन रास्तों पर भी ड्राइविंग आसान हो जाती है।

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जिम्नी की ऑफ-रोड क्षमताएं इसे इन इलाकों के लिए बेहद मुफीद हैं। जिम्नी बॉर्डर इलाकों में पेट्रोलिंग, सैनिकों की आवाजाही और आपातकालीन स्थितियों में राहत कार्यों में अहम भूमिका निभाएगी। जिम्नी की “नेवर टर्न बैक” टैगलाइन भी इस बात की पुष्टि करती है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।

आईटीबीपी के लिए क्यों है Maruti Jimny खास?

आईटीबीपी के जवानों को जिस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उसके लिए जिम्नी एक बेहतरीन वाहन है। चाहे वह बर्फीले पहाड़ हों या दुर्गम ग्लेशियर, जिम्नी की ताकत इसे इन इलाकों के लिए परफेक्ट बनाती है।

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Maruti Jimny का मेंटेनेंस भी आसान

जवानों के मुताबिक, जिम्नी का कॉम्पैक्ट डिजाइन, पावरफुल इंजन और बेहतर ग्राउंड क्लीयरेंस इसे ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर भी सहज बनाता है। इसके अलावा, जिम्नी का मेंटेनेंस भी आसान है, जो कि दूर-दराज के इलाकों में तैनात बलों के लिए बेहद जरूरी होता है। वहीं, जिम्नी के ITBP में शामिल होने से न केवल बल की लॉजिस्टिक क्षमताएं बढ़ेंगी, बल्कि सीमावर्ती इलाकों में सप्लाई और कम्यूनिकेशन व्यवस्था भी बेहतर होगी।

नई दिल्ली स्थित ITBP मुख्यालय में आयोजित इस समारोह में ITBP के एडीजी (मुख्यालय) अब्दुल गनी मीर (IPS) और मारुति सुज़ुकी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (मार्केटिंग और सेल्स) पार्थो बनर्जी मौजूद थे। इस अवसर पर पार्थो बनर्जी ने कहा, “यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि जिम्नी अब ITBP के जवानों के साथ देश की सीमाओं की रक्षा में योगदान देगी। दशकों से मारुति सुज़ुकी की जिप्सी सेना का भरोसेमंद साथी रही है और अब जिम्नी इस विरासत को आगे बढ़ाएगी।”

जिप्सी का सेना से पुराना रिश्ता

भारतीय सशस्त्र बलों के साथ मारुति सुज़ुकी का रिश्ता नया नहीं है। पहले मारुति जिप्सी दशकों तक सेना और अर्धसैनिक बलों की पहली पसंद रही थी। जिप्सी की मजबूती और विश्वसनीयता ने इसे जवानों के बीच लोकप्रिय बनाया। अब जिम्नी के आने से यह परंपरा और मजबूत हो गई है। जिम्नी, जिप्सी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और बेहतर परफॉर्मेंस के साथ आईटीबीपी के मिशनों में मदद करेगी।

जापान को एक्सपोर्ट की जाती है भारत में बनी जिम्नी

मारुति सुज़ुकी की जिम्नी पिछले 50 सालों से दुनिया भर में अपनी पहचान बना चुकी है। यह मुश्किल और ऊंचाई वाले इलाकों में अपनी मजबूती और परफॉर्मेंस के लिए प्रसिद्ध है। जिम्नी 5-डोर वर्जन को विशेष रूप से हरियाणा के गुरुग्राम प्लांट में तैयार किया जाता है और इसे 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है। हाल ही में मारुति सुज़ुकी ने जिम्नी 5-डोर को जापान को एक्सपोर्ट करना शुरू किया है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत एक बड़ी उपलब्धि है।

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