📍नई दिल्ली | 4 months ago
K9 Vajra Artillery Guns: भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट कमेटी ने 100 अतिरिक्त K9 वज्र तोपों और 12 नए Su-30MKI लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण को मंजूरी दी है। यह फैसला भारत की उत्तरी सीमाओं, विशेष रूप से लद्दाख और अन्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चीन के साथ बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए लिया गया है। बता दें कि रक्षा समाचार.कॉम ने यह खबर (K9 Vajra Guns: भारतीय सेना को जल्द मिल सकती हैं 100 और K-9 वज्र तोपें, कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के सामने प्रपोजल पेश करने की तैयारी) 26 नवंबर को ही प्रकाशित कर दी थी।
K9 Vajra Artillery Guns: तकनीकी ताकत और अनोखी क्षमताएं
K9 वज्र एक 155 मिमी की ट्रैक्ड आर्टिलरी गन है, जो टैंक जैसी मारक क्षमता, एडवांस मोबिलिटी और सटीकता के लिए मशहूर है। यह तोप पहले राजस्थान के रेगिस्तान में तैनात की गई थी, लेकिन 2020 में चीन के साथ सीमा पर तनाव के बाद इसे लद्दाख जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया गया। बता दें कि सेना में पहले से ही के9 वज्र गनों की पांच रेजिमेंट हैं, और इस फैसले के बाद पांच रेजिमेंट और बनाईं जाएंगी। जिसके बाद इनकी संख्या कुल 10 हो जाएगी।
K9 Vajra Guns: भारतीय सेना को जल्द मिल सकती हैं 100 और K-9 वज्र तोपें, कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के सामने प्रपोजल पेश करने की तैयारी
इस तोप की सबसे बड़ी खासियत इसकी सेल्फ-प्रोपेल्ड (स्व-चालित) प्रणाली है, जो इसे अन्य तोपों से अलग बनाती है। इसे खींचने के लिए किसी बाहरी वाहन की आवश्यकता नहीं होती, और इसके एडवांस सिस्टम इसे कठिन परिस्थितियों में भी तेजी से फायरिंग और पुनः तैनाती में सक्षम बनाते हैं।
K9 Vajra Artillery Guns में हाई एल्टीट्यूड पर तैनाती के लिए खास अपग्रेड
नई K9 वज्र तोपों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए खास तौर पर तैयार किया जा रहा है। इन्हें -20°C तक के ठंडे मौसम में भी प्रभावी रूप से काम करने लायक बनाया गया है। इसके लिए इनमें कई खास फीचर जोड़े गए हैं, जैसे:
- एडवांस्ड फायर-कंट्रोल सिस्टम
- विशेष लुब्रिकेंट्स
- ठंडे मौसम के लिए तैयार की गई बैटरियां
तोप की रेंज 40 किलोमीटर से अधिक है और यह 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मूव कर सकती है। इसे पांच जवानों की टीम मैनेज करती है और यह 49 राउंड तक गोला-बारूद अपने साथ ले जाने में सक्षम है।
लद्दाख में सैन्य रणनीति को मिलेगी मजबूती
लद्दाख जैसे क्षेत्रों में इन तोपों की तैनाती भारत की सीमा सुरक्षा को एक नई मजबूती प्रदान करेगी। इन तोपों की मदद से किसी भी आकस्मिक स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने में मदद मिलेगी। K9 वज्र तोपें लद्दाख में पहले से तैनात Dhanush और M777 अल्ट्रा-लाइट होवित्जर तोपों के साथ तैनात होंगी। यह तैनाती भारत के उत्तरी सीमा पर मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर को पुनर्गठित करने के बड़े प्रयास का हिस्सा है। यह कदम भारत की आर्टिलरी ताकत को चीन जैसे संभावित खतरों के मुकाबले और अधिक प्रभावी बनाएगा।
स्वदेशी निर्माण: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
K9 वज्र तोपें भारत में बनी हैं। इन्हें गुजरात के हजीरा स्थित लार्सन एंड टुब्रो (L&T) प्लांट में तैयार किया गया है। इन तोपों के निर्माण में 18,000 से अधिक पुर्जे भारतीय सप्लायर्स द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्वदेशी उत्पादन से न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा मिलता है, बल्कि यह देश के रक्षा उद्योग को भी मजबूती प्रदान करता है। इससे भविष्य में अन्य सैन्य उपकरणों के निर्माण और निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।
सेना की मौजूदा K9 वज्र बेड़े को मिलेगा विस्तार
फिलहाल, भारतीय सेना के पास पहले से ही 100 K9 वज्र तोपों का बेड़ा है। नई 100 तोपों के जुड़ने से इस संख्या में दोगुनी वृद्धि होगी, जिससे सेना को सामरिक बढ़त मिलेगी।
सेना इन नई तोपों का उपयोग सीमावर्ती क्षेत्रों में उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए करेगी। इनमें लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्र शामिल हैं, जहां भौगोलिक और कठोर मौसम की परिस्थितियां हमेशा एक चुनौती रहती हैं।
सीमा सुरक्षा के लिए नई शुरुआत
2020 में चीन के साथ सीमा विवाद के बाद से भारत ने अपनी सीमा सुरक्षा और सैन्य तैयारियों में बड़े सुधार किए हैं। K9 वज्र तोपें इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन तोपों की तेज़ फायरिंग क्षमता और मुश्किल इलाकों में तैनाती की सहूलियत भारतीय सेना के लिए एक बड़ा लाभ है।
इस निर्णय से भारतीय सेना को न केवल बेहतर तकनीकी ताकत मिलेगी, बल्कि दुश्मन के साथ किसी भी स्थिति में कुशलता से निपटने का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। K9 वज्र का अपग्रेडेड संस्करण भारतीय सेना के भविष्य के अभियानों को सफल बनाने में एक अहम भूमिका निभाएगा। यह कदम न केवल सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय रक्षा प्रणाली की आत्मनिर्भरता और स्वदेशी निर्माण क्षमताओं को भी प्रदर्शित करता है। K9 वज्र तोपों की तैनाती भारत की उत्तरी सीमाओं की रक्षा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।