📍नई दिल्ली | 2 Feb, 2025, 2:46 PM
Indian Army drones: भारतीय सेना अब मॉडर्न वारफेयर सिस्टम में एक बड़ा बदलाव करने जा रही है। सेना ने भारी-भरकम ड्रोन (Heavy-Duty Drones) को अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बनाई है, जो न केवल इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनिसेंस (ISR) मिशनों के लिए इस्तेमाल होंगे, बल्कि दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले (Precision Strikes) करने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।

रूस-यूक्रेन और अर्मेनिया-अजरबैजान युद्ध ने यह साफ कर दिया है कि युद्ध का भविष्य अनमैंड टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रहा है। इसी को देखते हुए भारतीय सेना भी अपनी सैन्य क्षमताओं को अपग्रेड कर रही है और एडवांस ड्रोन सिस्टम को शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
Indian Army drones: भारतीय सेना को चाहिए लंबी दूरी तक मार करने वाले ड्रोन
सूत्रों के अनुसार, सेना ऐसे मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) और रिमोटली-पायलटेड एयरक्राफ्ट (RPA) सिस्टम की तलाश में है, जो 1,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज तक काम कर सकें, 30,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकें, जिससे दुश्मन के रडार पर पकड़ में आने से बचा जा सके और 24 घंटे से अधिक समय तक लगातार ऑपरेशन को अंजाम दे सकें।
Indian Army drones: चीन और पाकिस्तान के पास कितने ड्रोन?
चीन के पास फिलहाल 2,000 से अधिक अत्याधुनिक ड्रोन हैं, जिनमें Cai Hong-4, CH-5, CH-7, Wing Loong-II और स्टील्थी Hongdu GJ-11 ‘Sharp Sword’ शामिल हैं। चीन न केवल इनका इस्तेमाल कर रहा है, बल्कि वह दुनिया का सबसे बड़ा मिलिट्री ड्रोन एक्सपोर्टर भी है।
पाकिस्तान को भी चीन ने CH-4 और Wing Loong-II जैसे खतरनाक ड्रोन की आपूर्ति की है। इसके अलावा, पाकिस्तान के पास तुर्की निर्मित Bayraktar TB2 और Akinci ड्रोन भी हैं, जिससे उसकी निगरानी और हमले की क्षमता बढ़ गई है। पाकिस्तान के पास 150-200 ड्रोन होने का अनुमान है, जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकते हैं।
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इसके विपरीत, भारतीय सेना के पास अभी केवल 50 इजरायली मूल के Heron Mark-I, Mark-II और Searcher-II मध्यम ऊंचाई वाले, लंबी दूरी तक काम करने वाले (MALE) ड्रोन हैं। चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध को देखते हुए, भारतीय सेना ने हाल ही में चार नए सैटेलाइट-एनेबल्ड Heron Mark-II ड्रोन शामिल किए हैं, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निगरानी के लिए शामिल किए गए हैं।
Indian Army drones: भारतीय सेना में ड्रोन के मौजूदा इस्तेमाल
सेना का एविएशन कॉर्प्स इन फाइटर-साइज UAVs का उपयोग निगरानी और टारगेट पर हमले के लिए करता है, जबकि इन्फैंट्री बटालियन छोटी दूरी के ड्रोन्स का उपयोग टैक्टिकल रेकनाइसेन्स, लॉजिस्टिक्स और अन्य कार्यों के लिए करती है।
हालांकि, वायुसेना और नौसेना के पास भी अपने UAV बेड़े हैं, लेकिन सभी तीन सेनाओं के लिए कम से कम 150 नए MALE ड्रोन की जरूरत है। इसी के चलते भारतीय सेना अब स्वदेशी विकास और निजी क्षेत्र की भागीदारी के तहत अधिक संख्या में MALE ड्रोन खरीदने की योजना बना रही है।
स्वदेशी ड्रोन बनाने पर जोर
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने Rustom सीरीज के UAVs डेवलप किए हैं, जिसमें Tapas-BH-201 ड्रोन भी शामिल है। हालांकि, यह पूरी तरह से मिलिट्री जरूरतों को पूरा नहीं कर सका। अब इसकी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए काम चल रहा है।
DRDO द्वारा विकसित Archer-NG (नेक्स्ट जनरेशन) ड्रोन का पहला ट्रायल जल्द ही होने की उम्मीद है। यह एक आर्म्ड MALE ड्रोन होगा, जो 30,000 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और 300 किलोग्राम के हथियारों का वजन उठा सकता है। इसमें एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें और स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन (SAAW) जैसे हथियार लगाए जा सकते हैं। वहीं, इसकी रेंज 1,000 किलोमीटर की होगी।
HALE ड्रोन: MQ-9B प्रीडेटर्स की होगी भारतीय सेना में एंट्री
ज्यादा क्षमता वाले हाई-एल्टीट्यूड, लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन के क्षेत्र में भारतीय सेना को अमेरिकी MQ-9B प्रीडेटर्स मिलेंगे। पिछले साल अक्टूबर 2024 में भारत ने अमेरिका के साथ 32,350 करोड़ रुपये के इस सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। इन ड्रोन की डिलीवरी 2029 में शुरू होगी। ये ड्रोन Hellfire मिसाइल, GBU-39B प्रिसिजन-गाइडेड ग्लाइड बम और दूसरे एडवांस हथियारों से लैस होंगे।
सीमा पर सुरक्षा के लिए ड्रोन होंगे गेम-चेंजर
भारतीय सेना को चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ सक्रिय सीमाओं की सुरक्षा के लिए एडवांस MALE ड्रोन की जरूरत है। ड्रोन की तैनाती से सीमाओं की रियल टाइम निगरानी में आसानी होगी और दुश्मन की किसी भी गतिविधि को तुरंत ट्रैक किया जा सकेगा।
इसके अलावा, ड्रोन से सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी और आतंकी ठिकानों पर हमले करने में भी मदद मिलेगी। ये अनमैंड एरियल व्हीकल (UAV) न केवल सैनिकों को खतरे से बचाते हैं, बल्कि यह लंबे समय तक ऑपरेशन को अंजाम देने और सटीक हमले करने में भी सक्षम हैं।
निजी कंपनियों के साथ सेना की साझेदारी
भारतीय सेना अब निजी कंपनियों और विदेशी साझेदारों के साथ मिलकर नई ड्रोन तकनीक विकसित करने पर जोर दे रही है। इसके तहत Make in India अभियान के तहत स्वदेशी रूप से विकसित किए गए MALE और HALE ड्रोन को प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए टैक्स छूट और प्रोत्साहन पैकेज देगी। ड्रोन प्रोडक्शन के लिए “पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)” मॉडल को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही, डिफेंस स्टार्टअप्स को सपोर्ट देकर अत्याधुनिक ड्रोन डेवलप करने पर जोर दिया जाएगा।