📍नई दिल्ली | 23 Dec, 2024, 12:15 PM
Delhi Republic Day Tableau: गणतंत्र दिवस परेड में दिल्ली की झांकी शामिल न होने के आरोपों पर रक्षा मंत्रालय ने अपनी सफाई दी है। आम आदमी पार्टी (AAP) के मुखिया अरविंद केजरीवाल द्वारा केंद्र सरकार पर लगाए गए पक्षपात के आरोपों को खारिज करते हुए मंत्रालय ने झांकी चयन प्रक्रिया को “पारदर्शी और निष्पक्ष” बताया। इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया है कि उसने 2025 गणतंत्र दिवस पर दिल्ली की झांकी को जानबूझकर बाहर रखा है। केजरीवाल ने इसे दिल्लीवासियों के खिलाफ “भाजपा की नाराजगी” करार दिया। उन्होंने कहा, “दिल्ली देश की राजधानी है, उसकी झांकी हर साल शामिल होनी चाहिए। ये कैसी राजनीति है? वे दिल्ली और उसके लोगों से इतनी नफरत क्यों करते हैं?”
झांकी चयन प्रक्रिया: क्या है सच?
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकी चयन का फैसला रोटेशन सिस्टम के तहत किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि हर तीन वर्षों में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को परेड में शामिल होने का मौका मिले।
सूत्रों ने बताया, “2025 के चक्र के लिए दिल्ली को प्रारंभिक सूची में रखा गया था। दिल्ली की झांकी पिछले दो दशकों में सात बार परेड का हिस्सा रही है। लेकिन इस बार, दिल्ली की प्रस्तावित झांकी चयन समिति के मानकों पर खरा नहीं उतर सकी।” यह भी ध्यान देने योग्य है कि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस साल झांकी प्रस्ताव ही पेश नहीं किए।
इस प्रक्रिया को पारदर्शिता का प्रमाण देते हुए मंत्रालय ने खुलासा किया कि मिजोरम और सिक्किम ने इस वर्ष कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया, जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप चयन बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके चलते पांच अतिरिक्त राज्यों — पंजाब, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश को मौका दिया गया।
AAP के आरोप बेबुनियाद: मंत्रालय
रक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “चयन प्रक्रिया में पक्षपात के आरोप निराधार हैं। पंजाब, जहां आम आदमी पार्टी सत्ता में है, इस साल हिस्सा ले रहा है। इससे यह स्पष्ट है कि चयन प्रक्रिया निष्पक्ष है।”
अधिकारी ने यह भी बताया कि दिल्ली की झांकी पिछले दो दशकों में सात बार परेड में शामिल हो चुकी है। यह औसत अन्य राज्यों की भागीदारी के समान है। इसके अलावा, गुजरात और उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य पांच राज्यों ने हाल के वर्षों में दिल्ली से अधिक बार परेड में भाग लिया है।
राजनीतिक विवाद पर मंत्रालय का रुख
मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया है कि वे चयन प्रक्रिया को राजनीति से जोड़ने के बजाय गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाली प्रस्तावित झांकी की क्वॉलिटी और क्रिएटिविटी पर ध्यान दें। एक अधिकारी ने कहा, “हम सभी प्रतिभागियों को इंस्पीरेशनल झांकियां तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जो परेड के विषयों के अनुरूप हों।”
केजरीवाल का आरोप: दिल्ली के खिलाफ पक्षपात?
पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार दिल्ली और दिल्लीवासियों के प्रति अपनी “नाराजगी” निकाल रही है।
केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली की झांकी हर साल गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होनी चाहिए, क्योंकि यह देश की राजधानी है। यह कैसी राजनीति है? केंद्र सरकार दिल्ली और इसके लोगों से इतनी नफरत क्यों करती है? यदि वे दिल्लीवासियों से इतना बैर रखते हैं, तो दिल्ली क्यों उन्हें वोट दे?”
गणतंत्र दिवस की तैयारियों पर विवाद
यह विवाद तब सामने आया है जब 26 जनवरी, 2025 को देश 76वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है। झांकी चयन प्रक्रिया में विवाद पहली बार नहीं है। हर साल कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी झांकियों के चयन न होने पर नाराजगी व्यक्त करते हैं।
झांकी चयन प्रक्रिया: कैसे होता है चुनाव?
गणतंत्र दिवस परेड के लिए झांकी चयन प्रक्रिया में रचनात्मकता, थीम, और प्रस्तुति के कई पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। चयन समिति में जाने-माने कलाकार, डिजाइन विशेषज्ञ, और संस्कृति एवं इतिहास के विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
झांकियों को निम्नलिखित बिंदुओं पर आंका जाता है:
- थीम की प्रासंगिकता: झांकी का विषय राष्ट्रीय महत्व का होना चाहिए।
- क्रिएटिविटी और इनोवेशन : झांकी का डिज़ाइन अनूठा और आकर्षक होना चाहिए।
- तकनीकी क्षमता: झांकी का निर्माण ऐसा होना चाहिए कि वह परेड के दौरान सुचारू रूप से संचालित हो सके।
दिल्ली की झांकी: पिछले प्रदर्शन
दिल्ली की झांकी ने पिछले वर्षों में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया है। इनमें स्वच्छ भारत अभियान, चांदनी चौक, और किला-ए-मुबारक जैसे विषयों को दिखाया गया। हाल के वर्षों में दिल्ली की झांकी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा भी हासिल की।
क्या है झांकी विवाद का भविष्य?
झांकी चयन प्रक्रिया को लेकर हर साल राजनीति और विवाद सामने आते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि झांकी चयन को और अधिक पारदर्शी और सहभागी बनाने की आवश्यकता है। इससे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह भरोसा मिलेगा कि उनकी झांकी को निष्पक्ष रूप से परखा गया है।
गणतंत्र दिवस परेड, भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। ऐसे में यह जरूरी है कि झांकियों का चयन केवल उनकी गुणवत्ता और विषयवस्तु के आधार पर हो, न कि राजनीतिक दबाव या विवादों के आधार पर।