📍नई दिल्ली | 4 months ago
BrahMos Missile Deal: भारत और वियतनाम के बीच $700 मिलियन की ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल डील पर बातचीत अपने अंतिम चरण में है। इस डील के तहत भारत, वियतनाम की सेना और नौसेना को ब्रह्मोस मिसाइल की आपूर्ति करेगा। समझौते पर हस्ताक्षर अगले कुछ महीनों में होने की उम्मीद है। इस डील के बाद भारत और वियतनाम के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। अगर यह सौदा होता है, तो वियतनाम भारत से ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला दूसरा देश बन जाएगा। इससे पहले फिलीपींस ने भारत से यह मिसाइल खरीदी थी।
दोनों देशों के बीच इस डील को लेकर कई महीनों से चर्चा हो रही है। यह समझौता अब अपने अंतिम चरण में है और आने वाले कुछ महीनों में इस पर दस्तखत हो सकते हैं।
BrahMos Missile Deal: भारत और रूस की तकनीकी साझेदारी
ब्रह्मोस मिसाइल ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित की गई है, जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनीया का जॉइंट वेंचर है। ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर से अधिक है और यह 2.8 मैक की गति से अपने लक्ष्य को भेद सकती है। इसे जल, थल और वायु – तीनों माध्यमों से लॉन्च किया जा सकता है, जो इसे एक बहुमुखी मिसाइल प्रणाली बनाता है। वियतनाम की भौगोलिक स्थिति और सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए ब्रह्मोस मिसाइल उनके लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
BrahMos Aerospace: क्यों विवादों में घिरा देश के लिए अचूक मिसाइल बनाने वाला संस्थान? जानें क्या है पूरा मामला
यदि यह डील पूरी होती है, तो वियतनाम फिलीपींस के बाद ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने वाला दूसरा देश होगा। वियतनाम ने पहले रूस से बास्टियन-पी (K-300P) तटीय रक्षा मिसाइल प्रणाली भी खरीदी है।
BrahMos Missile Deal: डील की प्रक्रिया और शर्तें
वियतनाम ने इस डील के लिए लंबे समय से इंतजार किया है। यह डील ब्रह्मोस एयरोस्पेस से प्रस्तावित मसौदे, फाइनल डील राशि, डिलीवरी शेड्यूल और भुगतान शर्तों के आधार पर की जा रही है। हाल ही में वियतनाम के रक्षा मंत्रालय के साथ तकनीकी और कॉमर्शियल्स डिटेल्स साझा की गई हैं।
हालांकि, ब्रह्मोस एयरोस्पेस की लीडरशिप में कुछ बदलाव होने के कारण डील में कुछ देरी हुई है। नए सीईओ और एमडी डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी की नियुक्ति को लेकर कानूनी विवाद चल रहा है। यह मामला सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल, हैदराबाद में विचाराधीन है।
रक्षा सहयोग में नई ऊंचाई
भारत और वियतनाम के बीच रक्षा सहयोग में लगातार वृद्धि हो रही है। हाल ही में हनोई में आयोजित वियतनाम अंतरराष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी (VIDE24) में भारत ने अपने रक्षा उपकरणों का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन वियतनाम के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री जनरल लुओंग टैम क्वांग, भारतीय रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार, और भारत के वियतनाम राजदूत संदीप आर्य ने किया। इसके अलावा दोनों देशों ने संयुक्त सैन्य अभ्यास, जैसे VINBAX-2023 और MILAN-2024 में भी भाग लिया है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस, DRDO, HAL और मजगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने VIDE24 में हिस्सा लिया। यह प्रदर्शनी भारत और वियतनाम के बीच रक्षा साझेदारी को और मजबूत करने का माध्यम बनी।
सेना के उच्च अधिकारियों का दौरा
भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एन. एस. राजा सुब्रमणि ने वियतनाम का दौरा किया और VIDE24 में भाग लिया। उन्होंने हनोई में वियतनाम पीपल्स आर्मी (VPA) की 80वीं वर्षगांठ समारोह में भी हिस्सा लिया था। इस अवसर पर सेना ने कहा, “यह दौरा दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग को मजबूत करता है, जो सामरिक साझेदारी और विश्वास पर आधारित है।”
भारत ने वियतनाम को दीं 12 हाई-स्पीड गार्ड बोट्स
भारत ने 2022 में वियतनाम को $100 मिलियन की रक्षा क्रेडिट लाइन के तहत 12 हाई-स्पीड गार्ड बोट्स सौंपी थीं। 2023 में भारत ने वियतनाम को स्वदेश निर्मित मिसाइल कार्वेट INS किरपान उपहार स्वरूप दिय था। दोनों देशों के बीच एक लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौता भी है, जिससे सैन्य ठिकानों का उपयोग मरम्मत के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा, भारत ने वियतनामी सैन्य कर्मियों को प्रशिक्षण दिया है। दिसंबर 2023 में वियतनाम में आयोजित संयुक्त सैन्य अभ्यास VINBAX-2023 में भारतीय सेना की 50 सदस्यीय टुकड़ी ने भाग लिया। वहीं, फरवरी 2024 में वियतनाम की नौसेना ने भारत में अंतरराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास MILAN में हिस्सा लिया।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता का उद्देश्य
भारत और वियतनाम का यह सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। वियतनाम के साथ इस तरह की डील न केवल भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत करती है, बल्कि इसे आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) पहल का एक अहम हिस्सा भी बनाती है।
यह डील दोनों देशों के बीच विश्वास और रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है और इस क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस कदम है।