📍नई दिल्ली | 4 Feb, 2025, 1:21 PM
ALH Dhruv Crash: भारतीय तटरक्षक बल (कोस्ट गार्ड) के ध्रुव एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) की गुजरात के पोरबंदर में 5 जनवरी को हुई दुर्घटना की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, यह दाहसा हेलीकॉप्टर के ट्रांसमिशन सिस्टम में एक दुर्लभ खराबी की वजह से हुई थी। सूत्रों का कहना है कि ट्रांसमिशन सिस्टम के इस पार्ट में आमतौर पर खराबी आती है और ऐसा बहुत कम ही देखा जाता है। इस हादसे में दो पायलट और एक एयरक्रू मेंबर की मौत हो गई थी।
ALH Dhruv Crash: आर्मी डे और रिपब्लिक डे पर ध्रुव ने नहीं भरी थी उड़ान
रक्षा मंत्रालय ने इस हादसे के बाद देशभर में मौजूद लगभग 330 ALH हेलीकॉप्टरों की उड़ानों पर रोक लगा दी थी। यहां तक कि 15 सितंबर को मनाए जाने वाले आर्मी डे और रिपब्लिक डे पर भी ध्रुव और इसके दूसरे वैरिएंट्स ने उड़ान नहीं भरी थी। वहीं, ALH ध्रुव की आर्म्ड वर्जन ‘रुद्र’ को भी फिलहाल ग्राउंडेड कर दिया गया है। भारतीय सेना और वायुसेना के पास 90 से अधिक रुद्र हेलीकॉप्टर हैं, जिनकी उड़ानें भी अभी रुकी हुई हैं।
इस हादसे की जांच के लिए अब एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई गई है, जो खराबी की असली वजह और उसे ठीक करने के उपायों पर काम करेगी। इस जांच के पूरा होने और आवश्यक सुधारों के बाद ही ALH को फिर से उड़ान भरने की मंजूरी मिलेगी।
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ALH (Advanced Light Helicopter) ध्रुव हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का बनाया एक मल्टीरोल हेलीकॉप्टर है, जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना और तटरक्षक बल कर रहे हैं। हाई एल्टीट्यूड में उड़ान भरने की क्षमता, मिलिट्री ऑपरेशंस में उपयोगिता और रेस्क्यू ऑपरेशंस में विशेषज्ञता के कारण इसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ALH हेलीकॉप्टर भारतीय सेना और वायुसेना के लिए एक वर्कहॉर्स की तरह काम करते हैं। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 2024 में भारतीय सेना में ALH हेलीकॉप्टरों ने 5,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में 40,000 घंटे से अधिक की उड़ान भरी थी।
ALH Dhruv Crash: क्या कहती है जांच रिपोर्ट?
बेंगलुरु स्थित काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल एयरोस्पेस लेबोरेट्री (CSIR-NAL) की गई जांच में पता चला है कि ALH हेलीकॉप्टर के ट्रांसमिशन सिस्टम में गड़बड़ी हुई थी। यह खामी सबसे ज्यादा स्वाशप्लेट असेंबली (Swashplate Assembly) में पाई गई है, जिससे पायलट हेलीकॉप्टर की डायरेक्शन और एल्टीट्यूड को कंट्रोल करता है।
ALH Dhruv Crash: क्या है स्वाशप्लेट असेंबली और क्या है इसका रोल ?
स्वाशप्लेट असेंबली, हेलीकॉप्टर के रोटर ब्लेड को कंट्रोल करने वाला अहम सिस्टम है। यह पायलट द्वारा दिए गए इनपुट को हेलीकॉप्टर के मुख्य और पिछले रोटर तक पहुंचाने में मदद करता है। इस सिस्टम में आई खराबी से हेलीकॉप्टर का कंट्रोल बिगड़ सकता है, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
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ALH Dhruv Crash: हेलीकॉप्टर उड़ानों पर अभी रोक जारी रहेगी
ALH हेलीकॉप्टरों को फिर से उड़ान भरने की अनुमति देने से पहले, एक सिक्योरिटी चेक और सुधार प्रक्रिया अपनाई जाएगी। सरकार ने इस मुद्दे पर एक “डिफेक्ट इंवेस्टिगेशन कमेटी” (DIC) का गठन किया है। इस कमेटी में बेंगलुरु स्थित मिलिट्री एयरवर्थिनेस एंड सर्टिफिकेशन सेंटर (CEMILAC), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ एयरोनॉटिकल क्वालिटी एश्योरेंस और HAL के अधिकारी शामिल होंगे। यह कमेटी चार हफ्तों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इसके बाद ही ALH को उड़ान भरने की अनुमति मिल सकेगी।
सूत्रों का कहना है कि ALH हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा पर जांच पूरी होने में अभी कम से कम एक से दो महीने लग सकते हैं। अगर तकनीकी समस्या गंभीर नहीं पाई जाती है, तो हेलीकॉप्टरों को चरणबद्ध तरीके से उड़ानों के लिए मंजूरी दी जाएगी। लेकिन अगर समस्या बड़ी निकली, तो ALH हेलीकॉप्टरों को लंबे समय तक ग्राउंडेड रखा जा सकता है।
HAL और वायुसेना के लिए झटका, प्रचंड हेलीकॉप्टर में भी हो सकती है दिक्कत
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर स्वैशप्लेट में खराबी की पुष्टि होती है, तो यह लंबी समस्या साबित हो सकती है। इस खराबी का असर भारतीय वायुसेना के हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड (LCH Prachand) पर भी पड़ सकता है, क्योंकि दोनों में एक ही ट्रांसमिशन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय वायुसेना के पूर्व एयर वाइस मार्शल और सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर जनरल मनमोहन बहादुर ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए कहा कि, “अगर यह समस्या स्वैशप्लेट से जुड़ी हुई है, तो इसे जल्द से जल्द हल करना होगा, क्योंकि ALH और प्रचंड दोनों हमारे प्रमुख स्वदेशी रक्षा उत्पाद हैं। हमें इन्हें सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना होगा।”
एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) अनिल चोपड़ा, पूर्व निदेशक, सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज, के मुताबिक, “ALH को फिर से तभी उड़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए, जब सभी सिक्योरिटी से जुड़े सभी मुद्दे पूरी तरह से हल हो जाएं। ट्रांसमिशन और कंट्रोल सिस्टम की किसी भी विफलता से बड़ी दुर्घटना हो सकती है। इसलिए, समस्या की जड़ तक पहुंचना और इसे ठीक करना बेहद जरूरी है।”
ALH हेलीकॉप्टरों के 20 सालों में पहली बार इतनी गंभीर समस्या
ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर पिछले 20 सालों से भारतीय सेनाओं से जुड़े हैं और अब तक इतनी गंभीर तकनीकी समस्या कभी सामने नहीं आई थी। सेना के एक अधिकारी के अनुसार, “अगर यह समस्या क्वालिटी, इंस्पेक्शन और मेंटेनेंस से जुड़ी हुई है, तो इसे जल्द ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर यह डिजाइन संबंधी है, तो ALH हेलीकॉप्टरों को लंबे समय तक उड़ानों से बाहर रखा जा सकता है।”
ALH ध्रुव हेलीकॉप्टर की पिछले कुछ वर्षों में लगभग 15 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। सितंबर 2024 में एक ALH हेलीकॉप्टर अरब सागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें दो पायलट और एक एयरक्रू डाइवर की मौत हो गई थी। उस समय भी कुछ समय के लिए ALH हेलीकॉप्टरों की उड़ानें रोकी गई थीं, लेकिन HAL, CEMILAC और तटरक्षक बल की सुरक्षा जांच के बाद इन्हें फिर से उड़ान भरने की अनुमति दे दी गई थी।
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