📍New Delhi | 1 day ago
Chinese parts in Drones: क्या भारतीय सेना को सप्लाई किए जा रहे ड्रोन में चीनी पार्ट्स का इस्तेमाल हो रहा है? एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सवाल उठाए हैं कि भारतीय सेना को सप्लाई हो रहे ड्रोन में चीनी पार्ट्स का उपयोग किया जा रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता तेज प्रताप सिंह ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), रक्षा मंत्रालय (MoD) और वाणिज्य मंत्रालय से मांग की है कि वे IdeaForge और उसकी दो सहयोगी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। इन कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने भारतीय सेना के ड्रोन खरीद टेंडर में ऐसे मिनी सर्विलांस ड्रोन पेश किए, जिनमें चीनी पुर्जे लगे थे।
Chinese parts in Drones: क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि भारतीय सेना ने हाल ही में कुल 80 मिनी सर्विलांस ड्रोन की खरीद के लिए दो टेंडर GEM/2024/B/5044136 और GEM/2024/B/5044183 निकाले थे। ये टेंडर पछले साल जुलाई और अगस्त में Government e-Marketplace (GeM) प्लेटफॉर्म पर जारी किए गए थे। इन टेंडरों के लिए दो कंपनियों रोहल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और डिफटेक एंड ग्रीनइंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने हिस्सा लिया। इन दोनों कंपनियों ने आइडियाफोर्ज कंपनी के Q6 V2 D&N UAVs ड्रोन को पेश किया।
हालांकि, GeM की तकनीकी जांच में यह सामने आया कि इन ड्रोन में चीनी पार्ट्ल लगे थे। इसके आधार पर दोनों कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी और रक्षा खरीद मानकों का उल्लंघन करने के चलते अयोग्य घोषित कर दिया गया। GeM ने अपनी जांच में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया, “प्रोडक्ट में चीन निर्मित पार्ट्स पाए गए, इसलिए यह गैर-अनुपालक है” और “तकनीकी मूल्यांकन समिति (TEC) के दौरान उत्पाद में चीनी उपकरण पाए गए।” टेंडर के रिजल्ट फरवरी 2025 में घोषित किए गए थे।
Chinese parts in Drones: क्या हैं RTI कार्यकर्ता के आरोप?
आरटीआई कार्यकर्ता तेज प्रताप सिंह ने इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ते हुए कहा कि चीनी पार्ट्स वाले ड्रोन्स का उपयोग भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। उनका कहना है कि अगर सेना को ऐसे ड्रोन दिए जाते हैं जिनमें विदेशी वो भी चीन जैसे संवेदनशील देश के पुर्जे लगे हों, तो इससे हमारी जानकारी लीक होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), रक्षा मंत्रालय, और वाणिज्य मंत्रालय को शिकायत दर्ज कर IdeaForge के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सिंह ने यह भी दावा किया कि आइडियाफोर्ज के ड्रोन्स पहले भी सशस्त्र बलों को सप्लाई किए जा चुके हैं। उन्होंने दावा किया कि उनमें से कुछ को पाकिस्तान और चीन द्वारा हैक भी किया गया है।
सिंह के वकील पियो हेरोल्ड जेम्स ने कहा, “यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। भारतीय सेना इन ड्रोन्स का उपयोग सीमावर्ती क्षेत्रों में करती है, जहां चीनी पार्ट्स की मौजूदगी सैनिकों की जान को खतरे में डाल सकती है। IdeaForge के ड्रोन्स न केवल ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी का उल्लंघन करते हैं, बल्कि जनरल फाइनेंशियल रूल्स, 2017 के नियम 144 (xi) का भी पालन नहीं करते। इसलिए, इन ड्रोन्स का आगे उपयोग करने से पहले इनका गहन मूल्यांकन आवश्यक है।”
Chinese parts in Drones: पहले भी सामने आया था मामला
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब सेना को सप्लाई किए जा रहे ड्रोन में चीनी पार्ट्स मिलने की मामला सामने आया हो। इससे पहले भी पिछले साल अगस्त में ऐसा ही एक मामला उठा था। उस समय खुलासा हुआ था कि स्वदेशी के नाम पर कुछ कंपनियां भारतीय सशस्त्र बलों को चीनी पार्ट्स वाले ड्रोन्स सप्लाई कर रही हैं। इस खुलासे के बाद भारतीय सेना ने एक लॉजिस्टिक ड्रोन कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक सिस्टम बनाने की बात कही गई थी। लेकिन नया मामला सामने आने के बाद लगता है कि चीनी पार्ट्स वाले ड्रोन्स को ‘मेक इन इंडिया’ के तहत अभी भी बेचने की कोशिशें जारी हैं।
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Chinese parts in Drones: कंपनी ने दी सफाई
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए IdeaForge ने बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह “गुमराह करने वाली जानकारी” है। कंपनी का कहना है कि जो पार्ट्स टेक्निकल चेकअप में सामने आए, वे ‘गैर-महत्वपूर्ण’ थे और एक स्विस कंपनी ने इन्हें बनाया था, जिनकी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन में है। कंपनी ने यह भी कहा कि ये ड्रोन केवल ट्रायल के लिए लाए गए गए थे और अगली बार ऐसे पार्ट्स को इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
IdeaForge का यह भी कहना है कि वह लंबे समय से डिफेंस टेंडर्स में हिस्सा ले रही है और हमेशा सभी नियामक मानकों का पालन किया है। कंपनी ने कहा, “इस मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे के तौर पर पेश करना गलत है।”
क्या सेना को वाकई है खतरा?
रक्षा मामलों के जानकारों का कहना है कि जब ड्रोन जैसी तकनीक का इस्तेमाल सीमा क्षेत्रों में निगरानी और ऑपरेशन के लिए हो रहा हो, तब उसमें किसी भी चीनी पार्ट्स का मौजूद होना चिंताजनक है। इससे डाटा लीकेज या ड्रोन को रिमोटली कंट्रोल जैसे साइबर खतरों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
हालांकि भारतीय सेना ने इस पूरे विवाद पर पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि कथित ‘हैकिंग’ की घटनाएं दरअसल तकनीकी गड़बड़ियां थीं, जिन्हें बाद में ठीक कर लिया गया। सेना ने इसे “क्रॉस-बॉर्डर जैमिंग” जैसी सामान्य घटना बताया था और कहा था कि इसे हैकिंग कहना सही नहीं होगा।
क्या है ‘मेक इन इंडिया’ नीति का उल्लंघन?
रक्षा मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, टेंडरों में पेश किए जाने वाले सभी डिफेंस इक्विपमेंट्स ‘मेक इन इंडिया’ पॉलिसी के अंतर्गत होने चाहिए। इसके तहत स्थानीय स्तर पर निर्मित या डिज़ाइन किए गए प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता दी जाती है। अगर किसी प्रोडक्ट में विदेशी पार्ट्स हिस्से मिलते हैं, खासकर ऐसे देशों के जिनसे भारत के कूटनीतिक संबंध बेहद संवेदनशील हैं, तो डिफेंस इक्विपमेंट्स इस नीति के अंतर्गत अयोग्य माने जाते हैं।
आइडियाफोर्ज पर ड्रोनों को वर्चुअली लॉक करने का आरोप
हाल ही में एक दूसरे मामले में चेन्नई मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने ideaForge के सीएफओ विपुल जोशी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है था। और कंपनी सीईओ अंकित मेहता, निदेशक राहुल सिंह, महाप्रबंधक सोमिल गौतम और विपुल जोशी को भी आरोपी बनाया था। यह मामला यह मामला 15 ड्रोन की सप्लाई से जुड़ा है, जिनकी कीमत 2.2 करोड़ रुपये बताई गई है। बताया जाता है कि जून 2023 में Garuda Aerospace ने ideaForge से 15 ड्रोन खरीदे थे। आरोप है कि ideaForge ने इन ड्रोन को सॉफ्टवेयर के ज़रिए रिमोट से लॉक कर दिया, जिससे वे बेकार हो गए। गरुड़ा का दावा है कि इस वजह से ओडिशा सरकार के साथ उनका 70 करोड़ का प्रोजेक्ट रद्द हो गया और कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया।
ideaForge का कहना था, “ग्राहक ने हमारे बौद्धिक संपदा अधिकारों को हड़पने की कोशिश की और हमारे उपकरणों में छेड़छाड़ कर राज्य सरकारों के समक्ष झूठी जानकारी दी। जब हमने उन्हें ऐसा करने से रोका, तो उन्होंने हमें परेशान करने के लिए यह केस दर्ज कराया।”
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इस मामले में कंपनी एफआईआर और चार्जशीट को रद्द करने की मांग के साथ मद्रास हाईकोर्ट भी पहुंची थी, लेकिन हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में चार्जशीट खारिज करने से इनकार कर दिया था, और गैर-जमानती वारंट भी जारी कर दिए थे। जिसके बाद ideaForge ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, ताकि उनके खिलाफ चल रही निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगाई जा सके, लेकिन उन्हें वहां से भी कोई राहत नहीं मिली।