China helping Houthis: अमेरिका का आरोप- चीन की मदद से हूती विद्रोही साध रहे हैं अमेरिकी युद्धपोतों पर निशाना!

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By News Desk

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अमेरिका ने चीन पर गंभीर आरोप लगाया है कि उसकी एक सैटेलाइट कंपनी, चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (CGSTL), यमन के ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को अमेरिकी युद्धपोतों और रेड सी में अंतरराष्ट्रीय जहाजों पर हमले के लिए सैटेलाइट इमेजरी मुहैया करा रही है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, यह कंपनी चीन की सेना से जुड़ी है और पहले भी रूस की वैगनर ग्रुप को सैटेलाइट डेटा देने को लेकर प्रतिबंधों का सामना कर चुकी है...

📍Washington | 1 day ago

China helping Houthis: अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि चीन की पीएलए से जुड़ी एक सैटेलाइट कंपनी यमन में ईरान के समर्थन वाले हूती विद्रोहियों को लाल सागर में अमेरिकी युद्धपोतों और अंतरराष्ट्रीय जहाजों को निशाना बनाने के लिए खुफिया जानकारी मुहैया करा रही है। इस कंपनी पर हूतियों को सैटेलाइट इमेज मुहैया कराने का आरोप है, जिससे वे रेड सी में सटीक हमले कर पा रहे हैं। बता दें कि यह दावा ऐसे समय में सामने आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध गहराता जा रहा है और लाल सागर में हूती हमलों के कारण वैश्विक व्यापार पर खतरा मंडरा रहा है।

China helping Houthis: Satellite Firm Allegedly Helping Target US Warships

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अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, चांग गुआंग सैटेलाइट टेक्नोलॉजी कंपनी लिमिटेड (CGSTL) का संबंध चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से है, औऱ यह कंपनी हूती विद्रोहियों को सैटेलाइट इमेजरी दे रही है। ट्रम्प प्रशासन ने बार-बार बीजिंग को चेतावनी दी है कि सीजीएसटीएल की गतिविधियां क्षेत्रीय स्थिरता और अमेरिकी हितों के लिए खतरा हैं।

China helping Houthis: चीन ने किया “नजरअंदाज”

वॉशिंगटन ने कई बार बीजिंग को इस मुद्दे पर अपनी चिंता से अवगत कराया है, लेकिन चीन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अमेरिका का कहना है कि चीन ने इन चिंताओं को “नजरअंदाज” किया है।

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि, “CGSTL सीधे तौर पर ईरान समर्थित हूती आतंकवादियों के हमलों में शामिल है। अमेरिका किसी भी ऐसी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा जो विदेशी आतंकवादी संगठनों को समर्थन देती हो।” उनका कहना है कि वॉशिंगटन की चेतावनियों के बावजूद बीजिंग का मौन समर्थन” चीन के शांति समर्थन के दावों की “खोखली सच्चाई” को उजागर करता है। उन्होंने कहा, “हम अपने सहयोगियों से आग्रह करते हैं कि वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी कंपनियों को उनके शब्दों से नहीं, बल्कि उनके कार्यों से आंकें।”

China helping Houthis: लाल सागर में जहाजों पर बढ़ रहे हूती हमले

हूती विद्रोहियों ने 2023 में इजरायल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू किए। यह युद्ध हमास के 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमले के जवाब में शुरू हुआ था, जिसमें हमास को भी ईरान का समर्थन प्राप्त है। लाल सागर ग्लोबल ट्रेड के लिए एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है, और हूती हमलों ने इस क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना और अंतरराष्ट्रीय जहाजों को खतरे में डाल दिया है।

हाल के हफ्तों में अमेरिका ने यमन में हूती ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं। हाल ही में एक बड़े सैन्य हमले ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है, जिसका खुलासा “सिग्नलगेट” लीक के माध्यम से हुआ। ट्रम्प प्रशासन ने लाल सागर में हूतियों के हमलों को गंभीरता से लिया है। क्योंकि हूती हमले वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बने हुए हैं। हाल ही में अमेरिकी सेना ने हूती ठिकानों पर हवाई और नौसैनिक हमले किए हैं, जिनमें रडार सिस्टम, हवाई रक्षा, और बैलिस्टिक मिसाइल व ड्रोन लॉन्च साइट्स को निशाना बनाया गया है। इन हमलों को ‘ऑपरेशन रफ राइडर’ नाम दिया गया है।

नवंबर 2023 से जनवरी 2025 तक, हूतियों के 190 से अधिक हमलों में 100 से ज्यादा व्यापारिक जहाजों को मिसाइलों और ड्रोनों से निशाना बनाया, जिनमें दो जहाज डूब गए और चार नाविक मारे गए। इसके अलावा, हूतियों ने अमेरिकी युद्धपोतों और इजरायली शहरों, जैसे तेल अवीव और इलात, पर भी हमले किए, जिसमें तेल अवीव में एक ड्रोन हमले में एक नागरिक की मौत हुई।

जनवरी 2025 में गाजा-इजरायल युद्ध में संघर्ष विराम के बाद हूतियों ने अपने हमले रोक दिए थे। हालांकि, 2 मार्च 2025 को इजरायल के गाजा में मानवीय सहायता को रोकने के बाद हूतियों ने चार दिन की समय सीमा दी और फिर से “इजरायली” जहाजों को निशाना बनाने की धमकी दी। इस धमकी के जवाब में अमेरिका ने 15 मार्च से हूती ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले शुरू किए।

China helping Houthis: मिलिट्री-सिविल फ्यूजन नीति के तहत काम करती है CGSTL

CGSTL की स्थापना 2014 में जिलिन प्रांत की सरकार और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज के एक उपसंस्थान चांगचुन के साथ संयुक्त उपक्रम के तौर पर हुई थी। हालांकि यह खुद को एक ‘कमर्शियल’ कंपनी बताती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह चीन की “मिलिट्री-सिविल फ्यूजन” नीति के तहत काम करती है, जिसके तहत कंपनियों को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को जरूरत अनुसार तकनीक और जानकारी प्रदान करनी होती है।

पामीर कंसल्टिंग के चीनी सैन्य और खुफिया विशेषज्ञ जेम्स मुल्वेनन के अनुसार, “CGSTL दिखने में व्यावसायिक है लेकिन इसकी जड़ें PLA और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी में गहराई से जुड़ी हैं।” अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस कंपनी के अब तक 100 सैटेलाइट ऑर्बिट में हैं और 2025 तक यह संख्या 300 तक पहुंचाने की योजना है, जिससे हर 10 मिनट में धरती के किसी भी स्थान की तस्वीर ली जा सकेगी।

China helping Houthis: पहले भी घिर चुकी है सीजीएसटीएल

वहीं, वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास का कहना है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि चीन न केवल इस मामले में चुप्पी साधे हुए है, बल्कि उसकी नीतिगत सहमति भी इन हमलों के लिए अप्रत्यक्ष समर्थन का संकेत देती है।

चीन के मिलिट्री-सिविल फ्यूजन कार्यक्रम के तहत, कंपनियों को सरकार के आदेश पर अपनी तकनीक पीएलए के साथ साझा करनी होती है। ब्लूपाथ लैब्स के चीन रक्षा विशेषज्ञ मैथ्यू ब्रुजेस ने कहा कि सीजीएसटीएल के चीनी सरकार, कम्युनिस्ट पार्टी और सेना से गहरे संबंध हैं। हालांकि, 2020 के बाद इसके पीएलए संबंधों का सार्वजनिक उल्लेख कम हुआ है, जिससे लगता है कि कंपनी इन संबंधों को सार्वजनिक रूप से उजागर करने से बच रही है। उन्होंने यह भी बताया कि सीजीएसटीएल ने सैन्य खुफिया सहित अपने अनुप्रयोगों के बारे में वरिष्ठ चीनी अधिकारियों को ब्रीफिंग दी है और पीएलए के शीर्ष जनरल झांग यूसिया सहित कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के सामने अपनी तकनीक का प्रदर्शन किया है।

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पेंटागन के अनुसार, 2023 में चीन ने 200 सैटेलाइट्स कक्षा में स्थापित किए, जो अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। चीन अपनी सैटेलाइट तकनीक का निर्यात भी कर रहा है, जिसमें सीजीएसटीएल द्वारा उपयोग की जाने वाली रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइट्स शामिल हैं। हाल के सालों में अमेरिका ने सैन्य संबंधों के आरोप में दर्जनों चीनी वाणिज्यिक समूहों पर प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रम्प प्रशासन ने हाल ही में चीन से आयात पर 145 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाया है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध और तनाव बढ़ गया है।

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