📍नई दिल्ली | 5 days ago
Heron Mk2 Crash: जम्मू हवाई अड्डे के अति सुरक्षित तकनीकी क्षेत्र में गुरुवार को एक बड़ा हादसा हो गया। भारतीय सेना का एक मानवरहित विमान (ड्रोन), जिसे हरॉन एमके-2 (Heron Mk2 UAV) कहा जाता है, भारतीय वायुसेना के एक टावर से टकरा कर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में वायुसेना के एक कर्मी, नायक सुरिंदर पाल, गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया। सेना ने इसके कारणों की जांच शुरू कर दी है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।

Heron Mk2 Crash: सीमा पर निगरानी कर रहा था ड्रोन
गुलिस्तां न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना गुरुवार दोपहर करीब 2:45 बजे की है। जानकारी के अनुसार, यह ड्रोन अपनी नियमित उड़ान के बाद हवाई अड्डे पर उतर रहा था। लेकिन अचानक यह नियंत्रण से बाहर हो गया और वायुसेना के टावर से जा टकराया। इस टक्कर से टावर को काफी नुकसान पहुंचा और वहां मौजूद नायक सुरिंदर पाल बुरी तरह जख्मी हो गए। नायक सुरिंदर पाल डिफेंस सिक्योरिटी कोर (डीएससी) से हैं, और उनकी हालत अभी नाजुक बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि यह ड्रोन सेना का हरॉन एमके-2 था, जो इजरायल से लिया गया एक ए़डवांस ड्रोन है। इसका इस्तेमाल हाल ही में जम्मू के सीमा से सटे इलाकों में आतंकी गतिविधियों की जानकारी मिलने के बाद निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए किया जा रहा था।
Heron Mk2 Crash: हाई सिक्योरिटी जोन है जम्मू एयरपोर्ट
बता दें कि जम्मू हवाई अड्डे से नागरिक और सैन्य उड़ानें दोनों संचालित होती हैं। यह एक “हाई सिक्योरिटी ज़ोन” है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों के विमान भी उतरते हैं। ऐसे में इस तरह की घटना चिंता का विषय है। हालांकि, वायुसेना ने स्पष्ट किया है कि इस हादसे से हवाई अड्डे की नियमित उड़ानों पर कोई असर नहीं पड़ा। हादसे की जांच शुरू कर दी गई है, लेकिन शुरुआती तौर पर तकनीकी खराबी या मानवीय त्रुटि को इस हादसे की वजह बताया जा रहा है।
Heron Mk2 Crash: इजराइल से लीज पर लिया था ड्रोन
इस दुर्घटना में जो UAV (Unmanned Aerial Vehicle) शामिल था, वह भारतीय सेना द्वारा इजराइल से लीज पर लिए गए चार हेरॉन MK2 ड्रोन में से एक बताया जा रहा है। 2021 में रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 के तहत इस तरह के सैन्य उपकरणों को लीज पर लेने की अनुमति दी गई थी। उस समय भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चरम पर था। सेना को निगरानी के लिए आधुनिक उपकरणों की जरूरत थी और इस लीज समझौते ने उस कमी को पूरा किया। पहले यह लीज तीन साल के लिए तय की गई थी, जिसे बाद में बढ़ाया भी जा सकता था। हालांकि बाद में इस समझौते को स्थायी खरीद में बदल दिया गया और कुल 10 ड्रोन, जिनमें चार सेना और छह वायुसेना के लिए खरीदे गए।
45 घंटे तक हवा में रह सकता है यह ड्रोन
हरॉन एमके-2 ड्रोन की बात करें तो इसे इजरायल की कंपनी, इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज, ने बनाया है। यह ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ सकता है, ऊंचाई पर रहकर दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रख सकता है। यह 45 घंटे तक हवा में रहने की क्षमता रखता है। इसमें खास सेंसर और सैटेलाइट कम्यूनिकेशन सिस्टम लगा होता है, जो इसे सीमा पर निगरानी के लिए बेहद उपयोगी बनाते हैं।
ड्रोन की तकनीकी खूबियों के बावजूद इसके मैंटेनेंस और ऑपरेशन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। भारत इससे पहले भी हेरॉन MK1 ड्रोन के 12 क्रैश झेल चुका है। अधिकतर मामलों में तकनीकी खराबी, इंजन फेल होना या ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूटना जैसे कारण सामने आए थे।
अधिकारियों के मुताबिक, अब इस पूरे मामले की बारीकी से जांच की जाएगी। यह देखा जाएगा कि उड़ान से पहले टेक्निकल चेकअप सही तरीके से हुआ था या नहीं, ग्राउंड कंट्रोल से संपर्क में कोई समस्या थी या नहीं, और क्या ऑपरेशनल सिस्टम में कोई मानवीय चूक हुई। यदि जांच में कोई सिस्टम से संबंधित गड़बड़ी सामने आती है, तो इसे कंपनी के समक्ष उठाया जाएगा।